आईबीएन सीएनएन ने राडिया लीक्स और विकी लीक्स के बाद अपने दर्शकों से सवाल किया कि क्या पुराने स्टाइल के जर्नलिज्म को नए स्टाइल के मीडिया ने हरा दिया हैं? क्या है नए स्टाइल का जर्नलिज्म? सागरिका घोष की बात से लगता है कि नया मीडिया। यानी सोशल मीडिया, ट्विटर वगैरह।
Wednesday, December 1, 2010
अब यह भी तो पता लगाइए कि टेप किसने जारी किए
पत्रकारिता और कारोबारियों के बीच रिश्तों को लेकर हाल में जो कुछ हुआ है उससे हम पार हो जाएंगे। पर शायद अपनी साख को हासिल नहीं कर पाएंगे। यह बात काफी देर बाद समझ में आएगी कि साख का भी महत्व है। और यह भी कि पत्रकारिता दो दिन में स्टार बनाने वाला मंच ज़रूर है, पर कभी ऐसा वक्त भी आता है जब चोटी से जमीन पर आकर गिरना होता है। बहरहाल अभी अराजकता का दौर है।
Monday, November 29, 2010
एशियाड में भारतीय लड़कियाँ
एशियाई खेलों में भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। हमारी पोजीशन छठे नम्बर पर रही। असली सफलता एथलेटिक्स में मिली। इसमें चीन के बाद हमारा दूसरा स्थान रहा। भारतीय टीम ने कुल 11 मेडल जीते इनमें 10 लड़कियों ने हासिल किए। एथलेटिक्स में भारत के पाँच में से चार गोल्ड मेडल लड़कियों के नाम हैं।
Sunday, November 28, 2010
नीरा राडिया टेप मामले से उठे सवाल
रतन टाटा के करीबी सूत्रों के अनुसार सम्भवतः वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। रतन टाटा देश के सम्मानित उद्योगपति हैं और उनके संस्थान की देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका है। वे चाहते हैं कि यह देश बनाना रिपब्लिक न बनने पाए। यानी यहाँ ताकतवर लोग जो मन में आए वह न करा पाएं। वास्तव में एक सभ्हय और सुसंस्कृत देश के रूप में हमारी साख का सवाल है।
रतन टाटा के करीबी सूत्रों के अनुसार सम्भवतः वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। रतन टाटा देश के सम्मानित उद्योगपति हैं और उनके संस्थान की देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका है। वे चाहते हैं कि यह देश बनाना रिपब्लिक न बनने पाए। यानी यहाँ ताकतवर लोग जो मन में आए वह न करा पाएं। वास्तव में एक सभ्हय और सुसंस्कृत देश के रूप में हमारी साख का सवाल है।
Saturday, November 27, 2010
क्या हैं टू जी, थ्रीजी और सीएजी
जेपीसी क्या होती है? और पीएसी क्या होती है? दूरसंचार आयोग क्या काम करता है? और इन दिनों चल रहे दूरसंचार घोटाले का मतलब क्या है? किसने क्या फैसला किया और क्यों किया? सीएजी क्या करता है? उसे रपट लिखने की ज़रूरत क्यों आन पड़ी? उसकी रपट में क्या है?
मैं अपने आपको एक आम हिन्दी पाठक की जगह रखकर देखता हूँ तो ऐसे तमाम सवाल मेरे मन में उठते हैं। उसके बाद सुबह का अखबार उठाता हूँ तो कुछ और सवाल जन्म ले लेते हैं। टीआरएआई, जीओएम, एडीएजी, एफसीएफएस, 2जी, 3जी वगैरह-वगैरह के ढेर के बीच एक बात समझ में आती है कि कोई घोटाला हो गया है। मामला करोड़ों का नहीं लाखों करोड़ का है।
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