Wednesday, April 26, 2017

वैकल्पिक राजनीति का पराभव

नज़रिया: 'नई राजनीति' पर भारी पड़ा 'मोदी का जादू'

मोदी और केजरीवाल
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एमसीडी के चुनाव परिणामों को दो तरीके से देख सकते हैं. यह मोदी की जीत है और दूसरे अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की हार.
आंशिक रूप से दोनों बातें सही हैं. फिर भी देखना होगा कि दोनों में से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण क्या है.
कई विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी को काम की वजह से नहीं, 'मोदी के जादू' की वजह से जीत मिली.
पर इस जादू ने साल 2015 के विधानसभा चुनाव में काम नहीं किया, जबकि मोदी की अपील उस वक्त आज से कम नहीं थी.
उस वक्त अरविंद केजरीवाल की 'नई राजनीति' मोदी के जादू पर भारी पड़ी थी. आज मोदी का जादू भारी पड़ा है.
एमसीडी चुनावइमेज कॉपीरइटTWITTER @AAMAADMIPARTY

वोटर का मोहभंग

इसका मतलब है कि केजरीवाल का जादू दो साल में रफा-दफा हो गया और मोदी का जादू कायम है.
आज केजरीवाल की 'नई राजनीति' हारी हुई दिखाई पड़ रही है. साल 2015 में उसे सिर पर बिठाने वाली दिल्ली ने इस बार उसे धूल चटा दी.
जैसी ऐतिहासिक वो जीत थी वैसी ही ऐतिहासिक ये हार भी है. दरअसल 'आप' से वोटर का मोहभंग हुआ है.
'आप' इसके लिए ईवीएम को दोष दे रही है, पर यह बात गले नहीं उतरती. आखिर 2015 के चुनाव में भी तो ईवीएम मशीनें थीं.
लगता है कि पार्टी इसे मुद्दा बनाएगी. देखना होगा कि उसकी यह कोशिश उसे कहीं और ज्यादा अलोकप्रिय न बना दे.
एमसीडी चुनावइमेज कॉपीरइटAFP/GETTY IMAGES

'ईवीएम में गड़बड़ी'

मतदान के दो-तीन दिन पहले अखबारों में प्रकाशित इंटरव्यू में केजरीवाल ने कहा था, "ईवीएम में गड़बड़ी नहीं हुई तो हमें 272 में 200 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी."
केजरीवाल की बातों में यकीन नहीं बोल रहा है. पंजाब और गोवा में मिली हार से उनका मनोबल पहले से ही टूटा हुआ है.
एमसीडी की हार अब पार्टी के भीतर की कसमसाहट को बढ़ाएगी.
परिणाम आने के एक दिन पहले सोशल मीडिया पर केजरीवाल का एक वीडियो वायरल हुआ था.
इसमें उन्होंने कहा, "अब अगर हम बुधवार को हारते हैं... नतीजे वैसे ही रहते हैं जैसे कि बीती रात बताए गए हैं, तो हम ईंट से ईंट बजा देंगे... आम आदमी पार्टी आंदोलन की उपज है, इसलिए पार्टी वापस अपनी जड़ों की ओर लौटने से हिचकिचाएगी नहीं."

1 comment:

  1. The party should to go back to its roots to stay relevant

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