Thursday, May 6, 2010

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा

गिरा दिया है तो साहिल पे इंतज़ार न कर
अगर वोह डूब गया है तो दूर निकलेगा

उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा

यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा

अमीर आगा किज़ल्बाश 
ब्रिटेन में चुनाव 
मुझे लगता है इस बार के ब्रिटिश चुनाव लकीर से हटकर होंगे. ब्रिटिश राज व्यवस्था हमारी व्यवस्था से बेहतर है, पर राजनीति में जब हित टकराते हैं तब घटियापन हर जगह दिखाई पड़ता है. कल दिन में शायद तस्वीर साफ़ होगी. त्रिशंकु संसद होने पर माहौल रोचक हो जायेगा. ऐसे में वहां के मीडिया की भूमिका पर भी नज़र रखनी चाहिए.