Sunday, March 13, 2016

‘रेरा’ के दाँत पैने करने होंगे

रियल एस्टेट विधेयक इस हफ्ते गुरुवार को राज्यसभा में पारित हो गया। विधेयक में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के गठन की व्यवस्था है। सरकार ने इस विधेयक के पारित होने से पहले राज्यसभा की प्रवर समिति द्वारा सुझाए गए 20 संशोधनों को स्वीकार किया। विधेयक को अब लोकसभा में पेश किया जाएगा। पूरी तरह कानून बन जाने के बाद यह कानून मकान खरीदने वालों का मददगार साबित होगा। अलबत्ता इस दिशा में हमें और ज्यादा विचार करने की जरूरत है। खासतौर से ‘रेरा’ के दाँत पैने करने होंगे। 

‘भूमि’ चूंकि राज्य विषय है, इसलिए इस सिलसिले में राज्यों के कानून लागू होते हैं। इस बिल का दायरा खरीदार और प्रमोटर के बीच समझौते और सम्पत्ति के हस्तांतरण तक सीमित है। ये दोनों मामले समवर्ती सूची में आते हैं। इसके वास्तविक प्रभाव को देखने के लिए केंद्रीय कानून को राज्यों के अपार्टमेंट एक्ट के साथ मिलाकर देखना होगा। यह कानून भविष्य के निर्माणों पर लागू होने वाला है। जरूरत इस बात की भी है कि जो योजनाएं पूरी हो चुकी हैं और जिन्हें लेकर ग्राहकों को शिकायतें है उनके बारे में भी कोई व्यवस्था हो।

Thursday, March 10, 2016

सवाल माल्या का ही नहीं, बीमार बैंकों का भी है

विडंबना है कि जब देश के 17 सरकारी बैंकों के कंसोर्शियम ने सुप्रीम कोर्ट में रंगीले उद्योगपति विजय माल्‍या के देश छोड़ने पर रोक लगाने की मांग की तब तक माल्या देश छोड़कर बाहर जा चुके थे. अब सवाल इन बैंकों से किया जाना चाहिए कि उन्होंने क्या सोचकर माल्या को कर्जा दिया था? हाल में देश के 29 बैंकों से जुड़े कुछ तथ्य सामने आए तो हैरत हुई कि यह देश चल किस तरह से रहा है. विजय माल्या पर जो रकम बकाया थी, उसकी वसूली शायद अब कभी नहीं हो सकेगी. कर्ज रिकवरी न्यायाधिकरण ने जिस राशि को रोका है वह ऊँट के मुँह में जीरे की तरह है. अफसोस इस बात का है कि व्यवस्था बहुत देर से जागी है. अपराधी आसानी से निकल कर भाग गया. साबित यह हुआ कि बीमार माल्या नहीं हमारे बैंक है.

Sunday, March 6, 2016

संसद की बेहतर भूमिका

संसद के बजट सत्र के पहले दो हफ्तों का अनुभव अपेक्षाकृत बेहतर रहा है। पिछले दो सत्रों को देखते हुए अंदेशा था कि यह सत्र भी निरर्थक रहेगा। इस अंदेशे के पेशे नजर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने अभिभाषण में प्रतीकों के सहारे कहा था कि लोकतांत्रिक भावना का तकाजा है कि सदन में बहस और विचार-विमर्श हो। संसद चर्चा के लिए है, हंगामे के लिए नहीं। उसमें गतिरोध नहीं होना चाहिए। राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में रोचक नोक-झोंक तो हुई, पर सदन का समय खराब नहीं हुआ। इस हफ्ते पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखें भी घोषित हो गईं हैं। संसद का यह सत्र चुनावों के साथ-साथ चलेगा, इसलिए चुनाव की प्रतिध्वनि इसमें सुनाई देगी।

संसद के बजट सत्र और बाहरी राजनीति को मिलाकर देखें तो कुछ बातें दिखाई पड़ेंगी

· देश की अर्थ-व्यवस्था नाजुक दौर से गुजर रही है। बेशक हम दुनिया की सबसे तेज अर्थ-व्यवस्था बनते जा रहे हैं, पर उस गति को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संस्थागत सुधार अभी हम नहीं कर पाए हैं।

· संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो रही हैं। भारतीय जनता पार्टी अभी पूरी तरह जम नहीं पाई है और कांग्रेस अभी पूरी तरह परास्त नहीं है। अगले दो महीने में देश निर्णायक विजय-पराजय की और बढ़ेगा।

· भारतीय जनता पार्टी को सन 2016 में जिन कारणों से विजय मिली उन्हें लेकर पार्टी के भीतर अभी स्पष्टता दिखाई नहीं पड़ती। आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक सवाल गड्ड-मड्ड हो रहे हैं। हाल में जाट-आरक्षण आंदोलन और जेएनयू प्रकरण ने इस असमंजस को बढ़ाया है।

Thursday, March 3, 2016

राज्य सभा से सन 2016 में रिटायर होने वाले सदस्यों की सूची

The Modi government can breathe easy – not just yet. After struggling to push through its legislative agenda in the Rajya Sabha for want of numbers, the Bharatiya Janata Party and its partners are set to improve on their tally in the Upper House. However, the equations will change considerably not during the Rajya Sabha elections in March, but in July.

Of the 76 Rajya Sabha members whose terms are ending this year, 12 are retiring in April. The election to these seats will not alter the composition of the 250-member Upper House. The government tally will go up – and the Congress strength dip – when the elections of the remaining 64 seats are held in July.

Of the 12 members being elected on March 21, five are from Punjab where the position of the parties remains unaltered. The Congress has retained its two seats for which it chose former Punjab Congress chiefs Pratap Singh Bajwa and Shamsher Singh Dullo with an eye on next year’s state assembly elections. The Shiromani Akali Dal has also kept its two seats, having given another term to its sitting members Naresh Gujral and Sukhdev Dhindsa. The BJP has replaced Avinash Rai Khanna by Shwet Malik, a former mayor of Amritsar.

Of the three seats which fell vacant in Kerala, the Congress has retained one – former minister AK Antony has got another term – while the Communist Party of India (Marxist) has been able to hold on to only one of the two seats it had. It lost its second seat to the United Democratic Front, which nominated Veerendra Kumar of the Janata Dal (United).

The Congress had one seat in Himachal Pradesh for which it nominated deputy leader in the Rajya Sabha Anand Sharma. Sharma has won unopposed. Similarly, the picture has not changed in Assam either – the Congress is keeping the two seats for which elections are to be held on Monday. The CPM has retained the lone seat from Tripura.

Changing equations

The National Democratic Alliance government is anxious to improve its numbers in the Rajya Sabha. Its floor managers were able to demonstrate in the first half of the on-going budget session of Parliament that it can do business by dividing the opposition and co-opting regional parties. But this success is not easy as it involves long back-channel parleys.

However, their burden is going to become lighter.

For starters, the government can improve its numbers from 48 to 55 immediately by filling the seven vacancies of nominated members who retired recently. While two members in this category, HK Dua and Ashok Ganguly, completed their terms last November, five more – Javed Akhtar, Mrinal Miri, Bhalchandra Mungekar, Mani Shankar Aiyar and B Jayashree – retired this month. Nominated members are theoretically free to vote according to their conscience but they usually go along with the party which nominates them.

Another breakthrough will come the ruling alliance’s way during the election for 64 Rajya Sabha seats in July. By then the Congress’s present tally of 66 is likely to fall by 14, which includes seven nominated members, while the BJP and its allies will pick up more seats, because of their increased numbers in the state assemblies of Haryana, Rajasthan, Maharashtra, Jharkhand and Madhya Pradesh.

Wrangling for seats

For starters, the BJP will be able to win all the four seats from Rajasthan, while the Congress has little chance of retaining its two seats in view of its virtual decimation in the last assembly election. Similarly, the Congress cannot hope to get a single seat in the states of Telangana and Andhra Pradesh. As a result, its members – Jairam Ramesh, JD Seelam and Hanumanth Rao will not be returning to the Upper House. Ramesh is said to be lobbying for a seat from Karnataka where the Congress can get two clear winners. The party has already announced that sitting member Oscar Fernandes will be repeated.

Several Union ministers, including Piyush Goel, Nirmala Sitharaman, M Venkaiah Naidu, Suresh Prabhu, Chaudhry Birender Singh, YS Chowdhary and Mukhtar Abbas Naqvi, are retiring this year but the government will not have any problems in getting them re-elected.

While Goyal and Prabhu will sail through from their home state Maharashtra, the BJP will have to do some hard bargaining with the Telugu Desam Party to accommodate Sitharaman. Naidu was elected from Karnataka last time along with Aayyamur Manjunath but the BJP can win only one seat from here. MJ Akbar is likely to be nominated from Jharkhand again as he had only got a one-year term last time.

The situation in Bihar is also interesting as five Janata Dal (United) will be retiring this year but the party can only get two members re-elected as it will now have to accommodate the Rashtriya Janata Dal and the Congress in view of their strength in the state assembly. Bihar Chief Minister Nitish Kumar has a tough task as he has to choose from Sharad Yadav, KC Tyagi, Pawan Verma, Ghulam Rasool Baliyawi and RCP Singh.

Sno
Name
State
Date of Notification
Date of Retirement
1
Nominated
22-03-10
21-03-16
2
Nominated
22-03-10
21-03-16
3
Nominated
22-03-10
21-03-16
4
Nominated
29-06-12
21-03-16
5
Nominated
22-03-10
21-03-16
6
Kerala
03-04-10
02-04-16
7
Tripura
03-04-10
02-04-16
8
Kerala
03-04-10
02-04-16
9
Assam
16-12-11
02-04-16
10
Assam
03-04-10
02-04-16

Wednesday, March 2, 2016

क्या हो सकते हैं पिछड़ेपन के नए आधार?

पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को ओबीसी  कोटा के तहत आरक्षण देने के केंद्र के फैसले को रद्द करने के साथ स्पष्ट किया था कि आरक्षण के लिए नए आधारों को भी खोजा जाना चाहिए। अदालत की दृष्टि में केवल ऐतिहासिक आधार पर फैसले करने से समाज के अनेक पिछड़े वर्ग संरक्षण पाने से वंचित रह जाएंगे, जबकि हमें उन्हें भी पहचानना चाहिए। अदालत ने ‘ट्रांस जेंडर’ जैसे नए पिछड़े ग्रुप को ओबीसी के तहत लाने का सुझाव देकर इस पूरे विचार को एक नई दिशा भी दी थी। कोर्ट ने कहा कि हालांकि जाति एक प्रमुख कारक है, लेकिन पिछड़ेपन के निर्धारण के लिए यह एकमात्र कारक नहीं हो सकता।
आजाद भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने सामाजिक अंतर्विरोधों को दुरुस्त करने की है। दुनिया के तमाम देश ‘एफर्मेटिव एक्शन’ के महत्व को स्वीकार करते हैं। ये कार्यक्रम केवल शिक्षा से ही जुड़े नहीं हैं। इनमें किफायती आवास, स्वास्थ्य और कारोबार से जुड़े कार्यक्रम शामिल हैं। अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, ब्राजील आदि अनेक देशों में ऐसे सकारात्मक कार्यक्रम चल रहे हैं। इनके अच्छे परिणाम भी आए हैं।