श्रीलंका में शुक्रवार 26 अक्तूबर को अचानक हुए राजनीतिक घटनाक्रम से
भारत में विस्मय जरूर है, पर ऐसा होने का अंदेशा पहले से था। पिछले कुछ महीनों से
संकेत मिल रहे थे कि वहाँ के शिखर नेतृत्व में विचार-साम्य नहीं है। सम्भवतः दोनों
नेताओं ने भारतीय नेतृत्व से इस विषय पर चर्चा भी की होगी। बहरहाल अचानक वहाँ के
राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को बर्खास्त करके चौंकाया जरूर है। अमेरिका और युरोपियन
यूनियन ने प्रधानमंत्री को इस तरीके से बर्खास्त किए जाने पर फौरन चिंता तत्काल व्यक्त
की और कहा कि जो भी हो, संविधान के दायरे में होना चाहिए। वहीं भारत ने
प्रतिक्रिया व्यक्त करने में कुछ देर की। शुक्रवार की घटना पर रविवार को भारतीय
प्रतिक्रिया सामने आई।
रानिल विक्रमासिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटाए
जाने पर भारत ने आशा व्यक्त की है कि श्रीलंका में संवैधानिक और लोकतांत्रिक
मूल्यों का आदर होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'श्रीलंका
में हाल ही में बदल रहे राजनीतिक हलचल पर भारत पूरे ध्यान से नजर रख रहा है। एक
लोकतंत्र और पड़ोसी मित्र देश होने के नाते हम आशा करते हैं कि लोकतांत्रिक
मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान होगा।' भारत को ऐसे मामलों में काफी सोचना पड़ता है।
खासतौर से हिंद महासागर के पड़ोसी देशों के संदर्भ में। पहले से ही आरोप हैं कि
उसके अपने पड़ोसी देशों से रिश्ते अच्छे नहीं हैं।