जयललिता जयराम को जबर्दस्त
जुझारू और जीवट वाली राजनेता के रूप में याद किया जाएगा. उन्होंने सत्ता का भरपूर
इस्तेमाल किया, शानदार जीवन जिया, अपने विरोधियों का दमन किया और बड़े-बड़े
अप्रत्याशित फैसले किए. फिल्मों के ग्लैमरस संसार से आईं जयललिता को राजनीति में
प्रवेश करने के पहले कई प्रकार के अवरोधों, अपमानों और दुर्व्यवहारों का सामना भी करना
पड़ा. शायद उनके अप्रत्याशित व्यवहार के पीछे यह भी एक बड़ा कारण था. पर उनकी
गरीबनवाज़ छवि ने उनके सारे दोषों को धो दिया.
उनके ऐसे व्यक्तित्व को
विकसित करने में तमिलनाडु की विलक्षण व्यक्ति-पूजा का भी योगदान है. भारतीय
राजनीति में बड़े-बड़े कटआउटों की संस्कृति तमिलनाडु में ही विकसित हुई थी, जिसे
रोकने का काम भी दक्षिण से आए टीएन शेषन ने ही किया था. इस राज्य में जीवित समकालीन
नेताओं, फिल्मी सितारों और खिलाड़ियों के मंदिर बनते हैं. उनकी पूजा होती है. दक्षिण
की पुरुष-प्रधान राजनीति में जयललिता जैसा होना भी अचंभा है. उन्होंने साधारण
परिवार में जन्म लिया, कठिन परिस्थितियों का सामना किया और एक बार सत्ता की
सीढ़ियों पर चढ़ीं तो चढ़ती चली गईं.