लम्बे अरसे से
हिमालयी क्षेत्र में महा-- भूकम्प का अंदेशा है। कहना मुश्किल है कि यह वही
भूकम्प था या इससे बड़ा भूकम्प और आएगा। धरती के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों के लगातार
जमा होते तनाव के कारण यह भूकम्प अनिवार्य था। पिछले डेढ़ सौ साल में हिमालय
क्षेत्र में चार बड़े भूकम्प आए हैं। पर जिस इलाके में इस बार आया है वहाँ एक अरसे
से कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी। भूकम्प को टाला नहीं जा सकता, पर उससे होने वाले
नुकसान को सीमित किया जा सकता है। दूसरे उससे हम कुछ सीख भी सकते हैं। प्राकृतिक
आपदा कई तरीकों से सामने आती है। कोई भी प्राकृतिक परिघटना आपदा तभी बनती है जब हम
उसपर काबू करने की कोशिश करते हैं। दूसरी ओर प्रकृति के अनुरूप हम खुद को ढालें तो वह हमारी मित्र है।
Tuesday, April 28, 2015
Sunday, April 26, 2015
सारी तोहमत राजनीति पर ही क्यों?
तकरीबन तीन साल
पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने राजनीति के संदर्भ में
भारतीय व्यवस्था को लकवा मार जाने के रूपक का इस्तेमाल किया था। उसके दो-तीन साल
पहले से हमारा मीडिया भ्रष्टाचार से जुड़ी खबरों से पटा पड़ा था। ऐसा माहौल बन रहा
था कि देश में ‘सब चोर’ हैं। संयोग से उन्हीं दिनों अन्ना हजारे के आंदोलन ने सिर उठाना शुरू किया
था। हमारे सनसनीखेज मीडिया ने माहौल को बिगाड़कर रख दिया। इस कीचड़ के छींटे मीडिया
पर भी पड़े हैं। लोकतंत्र के हरेक स्तम्भ की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या
इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता है?
Saturday, April 25, 2015
इतना शर्मिंदा क्यों होते हैं केजरीवाल?
केजरीवाल बार-बार माफ़ी पर क्यों आ जाते हैं?
प्रमोद जोशीवरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
किसान गजेंद्र सिंह की आत्महत्या पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी ग़लती को माना है.
उनका कहना है कि, "हमें उस दिन अपनी सभा ख़त्म कर देनी चाहिए थी." इस ग़लती का एहसास उन्हें बाद में हुआ.
ग़ालिब का शेर है, "की मेरे क़त्ल के बाद उसने जफ़ा से तौबा, हाय उस ज़ूद-पशेमां (गुनाहगार) का पशेमां (शर्मिंदा) होना."
केजरीवाल का ग़लती मान लेना मानवीय नज़रिए से सकारात्मक और ईमानदार फ़ैसला है. उनकी तारीफ़ होनी चाहिए.
पर पिछले दो साल में वे कई बार ग़लतियों पर शर्मिंदा हो चुके हैं.
क्या यह भी कोई प्रयोग था?
सवाल है कि वे ठीक समय पर पश्चाताप क्यों नहीं करते? देर से क्यों पिघलते हैं? इसलिए शक़ पैदा होता है कि यह शर्मिंदगी ‘रियल’ है या ‘टैक्टिकल?’
क्या आम आदमी पार्टी प्रयोगशाला है? और क्यों जो हो रहा है वह प्रयोग है?
दिसम्बर 2013 में पहले दौर की सरकार बनाने और 49 दिन बाद इस्तीफ़ा देनेके ठोस कारण साफ़ नहीं हुए थे कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में उतरने का फैसला कर लिया.
उसमें फ़ेल होने के बाद फिर से दिल्ली में सरकार बनाने की मुहिम छेड़ी.
इधर, इस साल जब से उन्हें विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त सफलता मिली है, पार्टी को ‘अंदरूनी’ बीमारी लग गई है.
Friday, April 24, 2015
खेती के सहारे हमेशा काम नहीं चलेगा
बुधवार को दो खराब खबरें एक
साथ मिलीं। राजस्थान से आए किसान गजेंद्र
सिंह की आत्महत्या और भारतीय मौसम विभाग का इस साल के मॉनसून को लेकर
पूर्वानुमान। गाँवों के लिए दोनों खबरें दहशत पैदा करने वाली हैं। हमारी 60 फीसदी फसलें
पूरी तरह बारिश के पानी पर निर्भर हैं। गजेंद्र सिंह की आत्महत्या के बारे में राय
व्यक्त करने के पहले समझना होगा कि वे हालात क्या थे जिनमें उनकी मौत हुई। क्या वे
सिर्फ धमकी देना चाहते थे? या फिर उनका इस्तेमाल किया
गया? क्या वे दुर्घटना के शिकार हुए? अफसोस इस बात का है कि मीडिया के लिए यह एक सनसनीखेज घटना
से ज्यादा बड़ी बात नहीं थी और राजनीति अपना पॉइंट स्कोर करने के लिए इस बात का इस्तेमाल करना चाहती है।
Wednesday, April 22, 2015
India Wheat Production
India Wheat Production by Year
Market Year | Production | Unit of Measure | Growth Rate |
---|---|---|---|
1960 | 10320 | (1000 MT) | NA |
1961 | 10995 | (1000 MT) | 6.54 % |
1962 | 12076 | (1000 MT) | 9.83 % |
1963 | 10779 | (1000 MT) | -10.74 % |
1964 | 9854 | (1000 MT) | -8.58 % |
1965 | 12258 | (1000 MT) | 24.40 % |
1966 | 10394 | (1000 MT) | -15.21 % |
1967 | 11393 | (1000 MT) | 9.61 % |
1968 | 16540 | (1000 MT) | 45.18 % |
1969 | 18651 | (1000 MT) | 12.76 % |
1970 | 20093 | (1000 MT) | 7.73 % |
1971 | 23832 | (1000 MT) | 18.61 % |
1972 | 26410 | (1000 MT) | 10.82 % |
1973 | 24735 | (1000 MT) | -6.34 % |
1974 | 21778 | (1000 MT) | -11.95 % |
1975 | 24104 | (1000 MT) | 10.68 % |
1976 | 28846 | (1000 MT) | 19.67 % |
1977 | 29010 | (1000 MT) | 0.57 % |
1978 | 31749 | (1000 MT) | 9.44 % |
1979 | 35508 | (1000 MT) | 11.84 % |
1980 | 31830 | (1000 MT) | -10.36 % |
1981 | 36313 | (1000 MT) | 14.08 % |
1982 | 37452 | (1000 MT) | 3.14 % |
1983 | 42794 | (1000 MT) | 14.26 % |
1984 | 45476 | (1000 MT) | 6.27 % |
1985 | 44069 | (1000 MT) | -3.09 % |
1986 | 47052 | (1000 MT) | 6.77 % |
1987 | 44323 | (1000 MT) | -5.80 % |
1988 | 46169 | (1000 MT) | 4.16 % |
1989 | 54110 | (1000 MT) | 17.20 % |
1990 | 49850 | (1000 MT) | -7.87 % |
1991 | 55134 | (1000 MT) | 10.60 % |
1992 | 55690 | (1000 MT) | 1.01 % |
1993 | 57210 | (1000 MT) | 2.73 % |
1994 | 59840 | (1000 MT) | 4.60 % |
1995 | 65470 | (1000 MT) | 9.41 % |
1996 | 62097 | (1000 MT) | -5.15 % |
1997 | 69350 | (1000 MT) | 11.68 % |
1998 | 66350 | (1000 MT) | -4.33 % |
1999 | 70780 | (1000 MT) | 6.68 % |
2000 | 76369 | (1000 MT) | 7.90 % |
2001 | 69680 | (1000 MT) | -8.76 % |
2002 | 72770 | (1000 MT) | 4.43 % |
2003 | 65760 | (1000 MT) | -9.63 % |
2004 | 72150 | (1000 MT) | 9.72 % |
2005 | 68640 | (1000 MT) | -4.86 % |
2006 | 69350 | (1000 MT) | 1.03 % |
2007 | 75810 | (1000 MT) | 9.32 % |
2008 | 78570 | (1000 MT) | 3.64 % |
2009 | 80680 | (1000 MT) | 2.69 % |
2010 | 80800 | (1000 MT) | 0.15 % |
2011 | 86870 | (1000 MT) | 7.51 % |
2012 | 94880 | (1000 MT) | 9.22 % |
2013 | 93510 | (1000 MT) | -1.44 % |
2014 | 95850 | (1000 MT) | 2.50 % |
See also: Commodity prices
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