मीडिया की कवरेज को देखने से लगता है कि देश सन 1991 के आर्थिक
संकट से भी ज्यादा बड़े संकट से घिर गया है। वित्त मंत्री और उनके बाद प्रधानमंत्री
ने भी माना है कि संकट के पीछे अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम के अलावा राष्ट्रीय कारण भी
छिपे हैं। राज्यसभा में शुक्रवार को प्रधानमंत्री तैश में भी आ गए और विपक्ष के नेता
अरुण जेटली के साथ उनकी तकरार भी हो गई। पर उससे ज्यादा खराब खबर यह थी कि इस साल की
पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की संवृद्धि की दर 4.4 फीसदी रह गई है, जो पिछले चार
साल के न्यूनतम स्तर पर है। रुपए का डॉलर के मुकाबले गिरना दरअसल संकट नहीं संकट का
एक लक्षण मात्र है। यदि हमारी अर्थव्यवस्था निर्यातोन्मुखी होती तो रुपए की कमजोरी
हमारे फायदे का कारण बनती। पर हम दुर्भाग्य से आयातोन्मुखी हैं। पेट्रोलियम से लेकर
सोने और हथियारों तक हम आयात के सहारे हैं।
Sunday, September 1, 2013
Saturday, August 31, 2013
सीरियाः पश्चिम एशिया में एक और ‘इराक’?

Thursday, August 29, 2013
यूपीए का आर्थिक राजनीति शास्त्र

जिस विधेयक को लेकर राजनीति में ज्वालामुखी फूट रहे थे वह खुशबू
के झोंके सा निकल गया. लेफ्ट से राइट तक पक्षियों और विपक्षियों में उसे गले लगाने
की ऐसी होड़ लगी जैसे अपना बच्चा हो. उसकी आलोचना भी की तो जुबान दबाकर. ईर्ष्या भाव
से कि जैसे दुश्मन ले गया जलेबी का थाल. यों भी उसे पास होना था, पर जिस अंदाज में
हुआ उससे कांग्रेस का दिल खुश हुआ होगा. जब संसद के मॉनसून सत्र के पहले सरकार अध्यादेश
लाई तो वृन्दा करात ने कहा था, हम उसके समर्थक हैं पर हमारी आपत्तियाँ हैं. हम चाहते
हैं कि इस पर संसद में बहस हो. खाद्य सुरक्षा सार्वभौमिक होनी चाहिए. सबके लिए समान.
मुलायम सिंह ने कहा, यह किसान विरोधी है. नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी
लिखी कि मुख्यमंत्रियों से बात कीजिए. पर लगता है उन्होंने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ
नेताओं से बात नहीं की. भाजपा के नेता इन दिनों अलग-अलग सुर में हैं. दिल्ली में विधान
सभा चुनाव होने हैं और पार्टी संग्राम के मोड में है. बिल पर संसद में जो बहस हुई,
उसमें तकरीबन हरेक दल ने इसे ‘चुनाव सुरक्षा
विधेयक’ मानकर ही अपने विचार व्यक्त किए. सोमवार की रात कांग्रेसी
सांसद विपक्ष के संशोधनों को धड़ाधड़ रद्द करने के चक्कर में सरकारी संशोधन को भी खारिज
कर गए. इस ‘गेम चेंजर’ का खौफ विपक्ष पर
इस कदर हावी था कि सुषमा स्वराज को कहना पड़ा कि हम इस आधे-अधूरे और कमजोर विधेयक का
भी समर्थन करते हैं. जब हम सत्ता में आएंगे तो इसे सुधार लेंगे.
Tuesday, August 27, 2013
लोक और तंत्र के बीच यह कौन बैठा है?
पिछले साल दिसम्बर में दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद अचानक
लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। वे समझ नहीं पा रहे थे कि किसके खिलाफ इस गुस्से का इजहार
करें? और किससे करें? देश भयावह
संदेहों का शिकार है। एक तरफ आर्थिक संवृद्धि, विकास और समृद्धि के कंगूरे हैं तो दूसरी
ओर भ्रष्टाचार और बेईमानी की कीचड़भरी राह है। समझ में नहीं आता हम कहाँ जा रहे हैं? आजादी के 66 साल पूरे हो चुके हैं और लगता है कि हम चार कदम आगे आए हैं तो
छह कदम पीछे चले गए हैं। दो साल पहले इन्हीं दिनों अन्ना हजारे का आंदोलन जब शुरू हुआ
था तब उसके साथ करोड़ों आँखों की उम्मीदें जुड़ गई थीं। पर वह आंदोलन तार्किक परिणति
तक नहीं पहुँचा। और अन्ना आज अपनी जनतांत्रिक यात्राओं के साथ देश के कोने-कोने में
जा रहे हैं। पर संशय कम होने के बजाय बढ़ रहे हैं। संसद से सड़क तक देश सत्याग्रह की
ओर बढ़ रहा है। सत्याग्रह यानी आंदोलन। कैसा आंदोलन और किसके खिलाफ आंदोलन? गांधी का सत्याग्रह सुराज की खोज थी। कहाँ गया सुराज का सपना?
Monday, August 26, 2013
डिफेंस मॉनिटर का नया अंक
रक्षा आयात से भी चाहिए आजादी
डिफेंस मॉनिटर का छठा अंक बाजार में आ गया है। यह अंक रक्षा सामग्री के स्वदेशीकरण पर केन्द्रित है। इसके मुख्य लेख इस प्रकार हैं :-
डिफेंस मॉनिटर का छठा अंक बाजार में आ गया है। यह अंक रक्षा सामग्री के स्वदेशीकरण पर केन्द्रित है। इसके मुख्य लेख इस प्रकार हैं :-
कहानी पर्वत और तूफान की :
रक्षा सामग्री के स्वदेशीकरण की दिशा में फाइटर प्लेन एचएफ-24 मारुत और युद्धपोत
नीलगिरि के निर्माण की कहानियाँ दो अलग किस्म के अनुभवों को बताती है। रियर एडमिरल
विजय एस चौधरी (सेनि) का विशेष लेख
एम्फीबियस एयरक्राफ्ट से और बढ़ेगी नौसेना
की ताकत : एम्फीबियस
विमान सागर की सतह पर भी उतर सकते हैं। जापानी विमान शिनमेवा यूएस-2 दुनिया का
सर्वश्रेष्ठ एम्फीबियस विमान है, जिन्हें भारत खरीदने का विचार कर रहा है।
हाइड्रोग्राफी :
सागर की गहराइयों की राजदार : कैप्टेन
जीएस इंदा
तलवार की धार पर अफगानिस्तान : गुरमीत कँवल
कैसा हो आदर्श रक्षा उत्पादन : मृणाल पाण्डे
जीतेगा वही जो सोचेगा, हम पीछे क्यों रहें :
प्रमोद जोशी
‘इंपोर्टेड माल’ की पुरानी लत है सेनाओं को : सुशील
शर्मा
हिमालय सा हौसला लिए जुटी रही आईटीबीपी :
श्याम प्रधान
इसके अलावा वर्दी वाले देवदूत, मिग-21 विमान
: 50 साल का गबरू, उत्तराखंड में राहत की एक्सक्लूसिव तस्वीरें और रक्षा
शब्दावली।
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