Friday, August 16, 2013

प्रधानमंत्री बनाम मोदी पर मीडिया

प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश के जवाब में नरेन्द्र मोदी के भाषण के बारे में अखबारों की कवरेज में खासी विविधता है। स्वतंत्रता दिवस का अवकाश होने के कारण देश के कई इलाकों में अखबार नहीं निकले, इसलिए उस स्तर पर कवरेज नहीं हुई जितनी सामान्य दिनों में होती है। दो-तीन बातें मुझे समझ में आईं जिनका विवरण मैं देना चाहता हूँ।

1. इस विषय पर सम्पादकीय टिप्पणी केवल अंग्रेजी के कुछ अखबारों में देखने को मिली। हिन्दी के अखबार ऐसे विषयों पर सम्पादकीय लिखने से बचते हैं, जिनमें राजनीतिक जोखिम हो।

2. हिन्दी के अखबारों ने पेज एक पर खबर देने में भी सावधानी बरती है। अलबत्ता नवभारत टाइम्स और हिन्दुस्तान ने लगभग एक जैसे शीर्षक के साथ खबर दी है। नवभारत टाइम्स की लीड है 'अटैक कर घिर गए मोदी।' हिन्दुस्तान में लीड के साथ जुड़ी खबर है 'पीएम पर टिप्पणी करके चौतरफा घिर गए मोदी।' दैनिक जागरण की लीड है 'जश्न के मौके पर सियासी जंग।'इन सभी अखबारों ने प्रधानमंत्री के संबोधन पर औपचारिक सम्पादकीय हैं।

3. बिजनेस दैनिक मिंट की लीड का शीर्षक है, 'Study in contrast/ I-day speeches set stage for 2014' मुम्बई के डीएनए की नीति सम्पादकीय पेज छापने की नहीं है। उसने दोनों के वक्तव्यों को आमने-सामने रखकर एक ग्रैफिक दिया है।



Thursday, August 15, 2013

राष्ट्र के नाम संदेश बनाम राजनीतिक संदेश

राष्ट्रीय संबोधनों का राजनीतिक तमाशा

 गुरुवार, 15 अगस्त, 2013 को 18:42 IST तक के समाचार
narendra modi
साल 2001 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी राज्यस्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह जिला मुख्यालयों पर आयोजित करते आ रहे हैं.
इस बार यह समारोह कच्छ जिला मुख्यालय भुज के लालन कॉलेज कैंपस में हुआ. वे पहले भी प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस भाषणों की समीक्षा इस प्रकार करते रहे हैं, जैसी इस बार की. पर इस बार उन्होंने ख़बरदार करके यह हमला बोला है.
क्या यह एक नई परंपरा पड़ने जा रही है? केंद्र सरकार और केंद्रीय राजनीतिक शक्ति के साथ असहमतियाँ आने वाले समय में कम नहीं बल्कि ज़्यादा ही होंगी. ऐसे में क्या स्वतंत्रता दिवस के संबोधनों को राजनीतिक संबोधनों के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए. लेकिन लगता है कि लालकिले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस का संबोधन राजनीति से नहीं बच पाएगा.
मनमोहन सिंह यों भी सार्वजनिक सभाओं के लिहाज़ से अच्छे वक्ता नहीं हैं. ग्रासरूट राजनीति का उनका अनुभव नहीं है. उनके मुकाबले नरेंद्र मोदी शुरू से जमीन पर काम करते रहे हैं. उनके पास जनता को लुभाने वाले मुहावरे और लच्छेदार भाषा है. वे खांटी देसी अंदाज़ में बोलते हैं.

भारतीय स्वतंत्रता दिवस का गूगल लोगो

भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर 2013 का लोगो
                                         

आज आपने जब गूगल खोला होगा, तब आपको जो डूडल दिखाई पड़ा वह भारत पर था। भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर गूगल पिछले कई साल से डूडल दे रहा है। गूगल ने दुनिया भर की महत्वपूर्ण तिथियों की याद दिलाने का यह अभिनव तरीका खोजा है। केवल भारत का ही नहीं कल गगूल ने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस भी डूडल दिया था।
भारतीय स्वतंत्रता दिवस 2012 का लोगो


Google-Doodle
इस साल यानी 14 अगस्त 2013 को गूगल ने पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर जो डूडल जारी किया उसमें पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु मार्खोर नजर आता है और पृष्ठभूमि में नंगा पर्वत या के2 है। 

नीचे गूगल डूडल के बारे में कुछ लिंक दिए हैं। उन्हें पढ़ने के लिए क्लिक करें

गूगल लोगो के बारे में विकीपीडिया में पढ़ें

गूगल डूडल्स

सन 2012 में हुई डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता

गूगल का अर्थ डे डूडल

गूगल डूडल का आयडिया आया कहाँ से?

Wednesday, August 14, 2013

शोर संसदीय कर्म है, पर कितना शोर?

 बुधवार, 14 अगस्त, 2013 को 08:29 IST तक के समाचार
भारतीय संसद
संसद में होने वाले शोर को लेकर अकसर सवाल उठाए जाते हैं
सभी दलों की बैठक शांति से होती है. सदन को ठीक से चलाने पर आम राय भी बनती है. पर जैसे ही सुबह 11 बजे सदन शुरू होता है काम-काज अस्त-व्यस्त हो जाता है.
राजनीतिक विरोध के प्रश्नों पर टकराव स्वाभाविक है, पर वह भी ढंग से नहीं हो पाता. क्लिक करेंमानसून सत्र की अब तक की छह दिन की कार्यवाहियों में सबसे ज्यादा अवरोध तेलंगाना मसले के कारण हुआ.
इसका शिकार कोई न कोई महत्वपूर्ण मसला ही हुआ.क्लिक करेंतेलंगाना का मूल मसला भी इस विरोध प्रदर्शन के चलते पीछे चला गया. सोमवार को राज्यसभा ने विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने वाले संशोधन विधेयक को पास कर दिया.
संसद में अब 16 अगस्त को अवकाश रहेगा. इसके बदले 24 अगस्त को संसद की बैठक होगी. 14 अगस्त के बाद संसद की अगली बैठक 20 अगस्त को होगी. उसके बदले 21 को अवकाश रहेगा.
शोर भी संसदीय कर्म है. पिछले साल कोयला खानों के आवंटन को लेकर संसद में व्यवधान पैदा करने वाले भाजपा नेताओं का यही कहना था. पर कितना शोर?
अंततः संसद विमर्श का फोरम है जिसके साथ विरोध-प्रदर्शन चलता है. पर संसद केवल विरोध प्रदर्शन का मंच नहीं है.

'अराजकता का संघ'

शोर के अलावा मर्यादा का मसला भी है. पिछले साल दिसंबर में राज्य सभा के सभापति हामिद अंसारी को लेकर बसपा नेता मायावती की टिप्पणी के कारण राज्य सभा में में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी.
"हरेक नियम, हरेक शिष्टाचार का उल्लंघन हो रहा है. अगर माननीय सदस्य इसे ‘अराजकता का संघ’ बनाना चाहते हैं तो दीगर बात है."
हामिद अंसारी, राज्यसभा के सभापति
मंगलवार को भी सभापति हामिद अंसारी को कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी, जिसे भाजपा के वरिष्ठ सदस्यों ने पसंद नहीं किया, बल्कि उन्होंने वो टिप्पणी वापस लेने की माँग की.
सदन में भाजपा सांसद सभापति के आदेशों की अनसुनी कर रहे थे. तभी हामिद अंसारी ने कहा, "हरेक नियम, हरेक शिष्टाचार का उल्लंघन हो रहा है. अगर माननीय सदस्य इसे ‘अराजकता का संघ’ बनाना चाहते हैं तो दीगर बात है."
इसके बाद भी हंगामा रुका नहीं और सदन स्थगित हो गया. बाद में जब फिर से सदन शुरू हुआ तो भाजपा के नेता अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सभापति यह टिप्पणी बिना शर्त वापस लें.

Tuesday, August 13, 2013

क्या अहम मुद्दों पर संसद में हो पाएगी चर्चा?

 मंगलवार, 13 अगस्त, 2013 को 08:44 IST तक के समाचार
किश्तवाड़ में शुक्रवार को हिंसा शुरू हुई थी. इस हिंसा में तीन लोग मारे गए.
किश्तवाड़ में शुक्रवार को हिंसा शुरू हुई थी. इस हिंसा में तीन लोग मारे गए.
संसद की कार्यवाही इस हफ्ते सिर्फ तीन दिन होगी. इनमें से एक दिन निकल गया है. इसके बाद 15 अगस्त से छह दिन की छुट्टी. यानी 21 अगस्त को कार्यवाही फिर शुरू होगी. हो सकता है तब तक स्थितियाँ सुधरें. निर्भर इस बात पर करेगा कि सरकार की दिलचस्पी किन विधेयकों को पास कराने में है.
हालांकि कुछ दिन के विराम के बाद संसद का ध्यान नियंत्रण रेखा से ज़रूर हटा है, पर संसदीय कार्य जम्मू-कश्मीर पर ही केन्द्रित रहा है.
पुंछ में सैनिकों की हत्या और अब किश्तवाड़ की हिंसा को लेकर इस हफ्ते भी गहमा-गहमी जारी रहे तो आश्चर्य नहीं. चूंकि नियंत्रण रेखा से लगातार गोलाबारी की खबरें आ रहीं हैं, इसलिए यह मसला फिलहाल महत्वपूर्ण बना रहेगा. तेलंगाना का भी तड़का बीच-बीच में लगेगा. वामपंथी पार्टियाँ केरल के सोलर घोटाले को लेकर आक्रामक हैं.
उम्मीद थी कि लोकसभा खाद्य सुरक्षा विधेयक पर विचार करेगी, पर ऐसा हो नहीं पाया. सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक और सेबी संशोधन विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश हो गए. संसद के इस सत्र का यह पाँचवाँ दिन था.