संसद में होने वाले शोर को लेकर अकसर सवाल उठाए जाते हैं
सभी दलों की बैठक शांति से होती है. सदन को ठीक से चलाने पर आम राय भी बनती है. पर जैसे ही सुबह 11 बजे सदन शुरू होता है काम-काज अस्त-व्यस्त हो जाता है.
राजनीतिक विरोध के प्रश्नों पर टकराव स्वाभाविक है, पर वह भी ढंग से नहीं हो पाता.
क्लिक करेंमानसून सत्र की अब तक की छह दिन की कार्यवाहियों में सबसे ज्यादा अवरोध तेलंगाना मसले के कारण हुआ.
इसका शिकार कोई न कोई महत्वपूर्ण मसला ही हुआ.
क्लिक करेंतेलंगाना का मूल मसला भी इस विरोध प्रदर्शन के चलते पीछे चला गया. सोमवार को राज्यसभा ने विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने वाले संशोधन विधेयक को पास कर दिया.
संसद में अब 16 अगस्त को अवकाश रहेगा. इसके बदले 24 अगस्त को संसद की बैठक होगी. 14 अगस्त के बाद संसद की अगली बैठक 20 अगस्त को होगी. उसके बदले 21 को अवकाश रहेगा.
शोर भी संसदीय कर्म है. पिछले साल कोयला खानों के आवंटन को लेकर संसद में व्यवधान पैदा करने वाले भाजपा नेताओं का यही कहना था. पर कितना शोर?
अंततः संसद विमर्श का फोरम है जिसके साथ विरोध-प्रदर्शन चलता है. पर संसद केवल विरोध प्रदर्शन का मंच नहीं है.
'अराजकता का संघ'
शोर के अलावा मर्यादा का मसला भी है. पिछले साल दिसंबर में राज्य सभा के सभापति हामिद अंसारी को लेकर बसपा नेता मायावती की टिप्पणी के कारण राज्य सभा में में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी.
"हरेक नियम, हरेक शिष्टाचार का उल्लंघन हो रहा है. अगर माननीय सदस्य इसे ‘अराजकता का संघ’ बनाना चाहते हैं तो दीगर बात है."
हामिद अंसारी, राज्यसभा के सभापति
मंगलवार को भी सभापति हामिद अंसारी को कड़ी टिप्पणी करनी पड़ी, जिसे भाजपा के वरिष्ठ सदस्यों ने पसंद नहीं किया, बल्कि उन्होंने वो टिप्पणी वापस लेने की माँग की.
सदन में भाजपा सांसद सभापति के आदेशों की अनसुनी कर रहे थे. तभी हामिद अंसारी ने कहा, "हरेक नियम, हरेक शिष्टाचार का उल्लंघन हो रहा है. अगर माननीय सदस्य इसे ‘अराजकता का संघ’ बनाना चाहते हैं तो दीगर बात है."
इसके बाद भी हंगामा रुका नहीं और सदन स्थगित हो गया. बाद में जब फिर से सदन शुरू हुआ तो भाजपा के नेता अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सभापति यह टिप्पणी बिना शर्त वापस लें.