Sunday, July 1, 2012

Majority of Pakistanis consider India greatest enemy


Pew Research Center is one of the biggest opinion gathering institution in world. It regularly conducts surveys in different parts of world. Here are some results from Pakistan.
Only 22% of Pakistanis have a favorable view of traditional rival India, although this is actually a slight improvement from 14% last year. Moreover, when asked which is the biggest threat to their country, India, the Taliban, or al Qaeda, 59% name India.
Pakistanis have consistently identified India as the top threat since the question was first asked in 2009. The percentage fearing India has increased by 11 points since then, while the percentage naming the Taliban has decreased by nine points.

Friday, June 29, 2012

कितना वेतन मिलता है प्रधानमंत्री को



यह जानकारी काफी लोगों के लिए रोचक होगी कि प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी का वेतन प्रधानमंत्री को मिलने वाले वेतन से 30 हजार रुपया महीना कम है। इन्हें 1.30 लाख रुपया महीना मिलता है जो प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पुलक चटर्जी के वेतन (90 हजार) से ज्यादा है। उनसे ज्यादा वेतन भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी मुथु कुमार को मिलता है (1.40 लाख रु) जो पिछले सात साल से पीएमओ में हैं। ये जानकारियाँ आरटीआई के तहत हासिल की गईं हैं और इन्हें आज के मेल टुडे ने छापा है।

PRIME MINISTER'S SALARY SLIP

Rs50,000 pay
Rs3,000 sumptuary allowance
Rs62,000 daily allowance (Rs2,000 per day)
Rs45,000 constituency allowance
Rs1.6 lakh - gross pay/month

मेल टुडे के ईपेपर में पढ़ें खबर
मेल ऑनलाइन में पढ़ें पूरी कथा

सरबजीत या सुरजीत, गलती मीडिया की थी !!!

सरबजीत या सुरजीत के नाम को लेकर जो भी भ्रम फैला उसके लिए जिम्मेदारी पाकिस्तान सरकार के ऊपर डाली जा रही है, पर जो बातें सामने आ रहीं हैं इनसे लगता है कि गलती मीडिया से हुई है। दोनों देशों के मीडिया ने इस मामले में जल्दबाज़ी की। पाकिस्तानी राष्ट्रपति के दफ्तर ने इस मामले में स्पष्टीकरण देने में आठ घंटे क्यों लगाए यह ज़रूर परेशानी का विषय है।

28 जून के हिन्दू में अनिता जोशुआ की छोटी सी रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति के मीडिया सलाहकार ने पहली बार भी सुरजीत सिंह का नाम लिया था, सरबजीत का नहीं। इस रिपोर्ट की निम्न लिखित पंक्तियों पर ध्यान दें-
'Farhatullah Babar, media adviser to President Asif Ali Zardari, can be clearly heard in his interviews to Indian television channels referring to Surjeet Singh as the Indian prisoner Pakistan planned to release. But after a Pakistani news channel referred to the person as Sarabjit, that became the name the media ran away with.'

Wednesday, June 27, 2012

सरबजीतः यह क्या हुआ?




देर रात टीवी की बहस देख और सुनकर जो लोग सोए थे उन्हें सुबह के अखबारों में खबर मिली कि धोखा हो गया, सरबजीत नहीं सुरजीत की रिहाई का आदेश है। दिल्ली में इंडियन एक्सप्रेस या देर से छूटने वाले अखबारों में ही यह खबर थी, पर फेसबुकियों ने सुबह सबको इत्तला कर दी। बहरहाल आज इस बात पर बहस हो सकती है कि धोखा हुआ या नहीं? पाकिस्तान सरकार जो कह रही है वह सही है या नहीं? मीडिया ने जल्दबाज़ी में मामले को उछाल दिया क्या? हो सकता है कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति के दफ्तर के ही किसी ज़िम्मेदार व्यक्ति से गलती हो गई हो।

आज के हिन्दी अखबारों का सवाल है कि राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी क्‍यों पलट गए? राजस्थान पत्रिका के जालंधर संस्करण का शीर्षक है पाकिस्तान का दगा। कहीं शीर्षक है आधी रात को धोखा। बहरहाल विदेश मंत्री एसएम कृष्णा सर्बजीत की रिहाई का स्वागत कर चुके हैं। आमतौर पर डिप्लोमेटिक जगत में बगैर पूर्व सूचना के ऐसा नहीं होता। पीटीआई के इस्‍लामाबाद संवाददाता रियाज उल लश्‍कर का भी कहना है कि राष्‍ट्रपति ने शायद फौज के दबाव में आकर पलटी मारी होगी। 


पाकिस्‍तान में मंगलवार शाम से ही मीडिया में खबरें चलने लगीं कि राष्‍ट्रपति ने फैसला किया है कि सरबजीत सिंह रिहा होंगे। इसे लेकर वहां मीडिया पर बहस भी चलने लगी। भारतीय विदेश मंत्री ने जरदारी को बधाई तक दे दी। तभी रात करीब 12 बजे राष्‍ट्रपति की ओर से सफाई जारी हुई कि रिहाई सरबजीत की नहीं, सुरजीत की हो रही है।

Tuesday, June 26, 2012

जामे जमशेदः 180 साल पुराना अखबार


जामे जमशेद एशिया का दूसरा सबसे पुराना अखबार है जो आज भी प्रकाशित हो रहा है। विजय दत्त श्रीधर लिखित भारतीय पत्रकारिता कोश के अनुसार 1832 में मुम्बई से पारसी समाज के मुख पत्र के रूप में इसका प्रकाशन शुरू हुआ था। इस हिसाब से इसे इस साल 180 साल हो गए। इसके सम्पादक प्रकाशक पेस्तनजी माणिकजी मोतीवाला थे। यह साप्ताहिक था और 1853 में इसे दैनिक कर दिया गया।


मुंबई से सन 1822 में गुजराती भाषा में समाचार पत्र ' बम्बई समाचार ' का प्रकाशन प्रारंभ हुआ और वर्तमान में यह भारत में नियमित प्रकाशित होने वाला सबसे पुराना समाचार पत्र है। यह अखबार आज मुम्बई समाचार के नाम से निकल रहा है।