हिंदू-प्रतिरोध |
अंतरिम सरकार शेख हसीना को भारत में शरण देने की आलोचना करती रही है और संभव है कि निकट भविष्य में वह औपचारिक रूप से उनके प्रत्यर्पण की माँग करे. अगस्त में हुए सत्ता-परिवर्तन को पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त था, क्योंकि वे शेख हसीना के तौर-तरीकों से सहमत नहीं थे. पर क्या वे इस देश के और दक्षिण एशिया के अंतर्विरोधों को समझते हैं? यूनुस को अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार और बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपंथियों ने कुर्सी पर बैठाया है. अब चीन ने भी इस्लामिक कट्टरपंथियों से संपर्क स्थापित किया है.
जमात-ए-इस्लामी
कुछ पर्यवेक्षक मानते हैं कि बांग्लादेश की राजनीति में इस समय वास्तविक ताकत जमात-ए-इस्लामी और हिफ़ाज़ते इस्लाम के हाथों में है. अंतरिम सरकार में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन अहम भूमिका निभा रहे हैं. डॉ यूनुस की सरकार केवल शेख हसीना को ही नहीं, शेख मुजीबुर रहमान को भी फासिस्ट बता रही है.
अगस्त में शेख हसीना के विरुद्ध हिंसक आंदोलन में जमात-ए-इस्लामी की महत्वपूर्ण भूमिका थी. शेख हसीना के कार्यकाल में जमात पर पाबंदी थी, जिसे डॉ यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार ने हटा लिया. जमात-ए-इस्लामी वैचारिक रूप से मिस्र के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के बेहद करीब है. उसका पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी निकट-संबंध है.