2025 में भारत की विदेश नीति महाशक्तियों अमेरिका, चीन और रूस के साथ संतुलन बैठाने, दक्षिण एशिया में अपनी उपस्थिति को मज़बूत करने और ‘ग्लोबल साउथ’ के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने पर केंद्रित रही.
पुतिन की यात्रा के साथ, जहाँ रूस के साथ खड़े
होकर भारत ने अपनी स्वतंत्र-नीति का परिचय दिया, वहीं धैर्य का परिचय देते हुए
अंततः अमेरिका के साथ
व्यापार-समझौते का आधार तैयार करके व्यावहारिक राजनीति का परिचय भी दिया.
यूक्रेन के युद्ध में हालाँकि भारत ने रूस की
प्रकट आलोचना नहीं की, पर प्रकारांतर से यह संदेश देने में देरी भी नहीं की कि ‘यह वक्त लड़ाइयों’ का नहीं है. पुतिन की यात्रा के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति की भारत-यात्रा
इस संतुलन को प्रकट करती है. इस साल चीन के साथ भारत के रिश्तों
में भी बर्फ पिघली है.
वैश्विक-राजनीति में संतुलन बैठाते हुए भारत ने हार्ड-डिप्लोमेसी,
आर्थिक लचीलेपन और सामरिक-शक्ति को बढ़ाने पर जोर दिया. इस साल वह विश्व की चौथी
सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.
भारत सक्रिय रूप से ‘ग्लोबल साउथ’ के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में सुधारों की वकालत कर रहा है. अपनी वैश्विक स्थिति को बढ़ाने के लिए जी20, ब्रिक्स और एससीओ जैसे मंचों का उपयोग कर रहा है.




