अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे
की घोषणा से बहुत से लोगों को हैरत हुई है, पर आप गहराई से सोचें तो पाएंगे कि वे
इसके अलावा कर ही क्या सकते थे। अगले कुछ महीने वे दिल्ली के
‘कार्यमुक्त मुख्यमंत्री’ के रूप में
अपने पद पर बने रहते, तो जनता के सामने जो संदेश जाता, उसकी तुलना में ऐसी ‘मुख्यमंत्री के संरक्षक’ के रूप में
बने रहना ज्यादा उपयोगी होगा, जिसका ध्येय उनको मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वापस
लाना है। बावजूद इसके कुछ खतरे अभी बने हुए हैं, जो केजरीवाल को परेशान करेंगे।
आतिशी की
परीक्षा
आतिशी मार्लेना (या
सिंह) कार्यकुशल साबित हुईं तब और विफल हुईं तब भी, पहला खतरा उनसे ही है। भले ही
वे भरत की तरह कुर्सी पर खड़ाऊँ रखकर केजरीवाल की वापसी का इंतजार करें, पर जनता
अब उनके कामकाज को गौर से देखेगी और परखेगी। आतिशी
के पास अब भी वे सभी 13 विभाग हैं जो पहले उनके पास थे,
जिनमें लोक निर्माण विभाग, बिजली, शिक्षा, जल और वित्त आदि शामिल हैं। इसके
विपरीत मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल के पास कोई भी विभाग नहीं था। आतिशी पर
काम का जो दबाव होगा, वह केजरीवाल पर नहीं था और वे राजनीति के लिए काफी हद तक
स्वतंत्र थे।