Tuesday, January 10, 2023

गहरे हैं तमिल राजनीतिक-टकराव के निहितार्थ

अन्नादुरै और पेरियार

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) और राज्यपाल आरएन रवि के बीच टकराव ने अप्रिय रूप धारण कर लिया है। लगता यह है कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले कुछ पुराने प्रसंगों को उजागर करेगा, जिसमें कांग्रेस को भी लपेटा जा सकता है। राज्यपाल का विधानसभा से वॉकआउट करना और तमिलनाडु बनाम तमिषगम (Thamizhagam) विवाद में राज्यपाल की टिप्पणियों के गहरे निहितार्थ हैं। फिलहाल डीएमके सरकार के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन मामले को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं, पर लगता है कि इसके साथ एक नई बहस शुरू होगी।  

गत 9 जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा का सत्र शुरू हुआ। राज्यपाल ने सदन में अपना अभिभाषण पढ़ते समय सरकार द्वारा उन्हें दिए गए वक्तव्य में से कुछ अंशों को छोड़ दिया था। हालांकि बाद में सदन ने एक प्रस्ताव पास करके उन अंशों को कार्यवाही में शामिल कर लिया था, पर राज्यपाल का वॉकआउट संभवतः विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुआ था।

यह विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। राज्यपाल ने पोंगल के उत्सव के सिलसिले में निमंत्रण-पत्र भेजा है, जिसमें तमिलनाडु सरकार के बजाय तमिषगा अज़ुनार का उपयोग किया गया है। राजभवन के पोंगल समारोह के निमंत्रण पर राज्य सरकार का प्रतीक चिह्न नहीं होने का भी विवाद छिड़ गया है। कई लोगों ने आरोप लगाया कि आमंत्रण में केवल राष्ट्रीय प्रतीक है। निमंत्रण-पत्र तमिल-भाषा में है।

तमिलनाडु नहीं तमिषगम

पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में राज्यपाल रवि ने कहा था कि तमिलनाडु के स्थान पर तमिषगम अधिक उपयुक्त शब्द है। तमिलनाडु का अर्थ है तमिलों का राष्ट्र जबकि तमिषगम का अर्थ है तमिल लोगों का निवास और यह इस क्षेत्र का प्राचीन नाम है। इसके बाद सत्तारूढ़ डीएमके और उसके सहयोगियों ने राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए तमिषगम नाम का इस्तेमाल किया है। डीएमके नेता टीआर बालू ने कहा, वे ऐसे बयान देते हैं जो तथ्यात्मक रूप से गलत और खतरनाक हैं।  

सरकार ने राज्यपाल आरएन रवि पर विधानसभा में दिए अभिभाषण में कुछ अंशों को छोड़ने का आरोप लगाया। इसके बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस बदलाव को खारिज करने के लिए सदन में एक प्रस्ताव पेश किया, जबकि रवि सदन से वॉकआउट कर गए। स्टालिन ने साथ ही अपनी पार्टी के विधायकों से विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल आरएन रवि पर कोई अप्रिय टिप्पणी नहीं करने का अनुरोध किया। मंगलवार को चेन्नई में विधायकों की बैठक में स्टालिन ने विधायकों से राज्यपाल आर एन रवि के खिलाफ कोई पोस्टर नहीं लगाने को कहा।

‘गेटआउट रवि’ के पोस्टर

इस घटनाक्रम के बीच ट्विटर पर ‘हैशटैग गेटआउट रवि’ ट्रेंड करने लगा और कई लोग रवि को राज्यपाल के पद से हटाने की मांग करने लगे हैं। विधानसभा में हुए विवाद के एक दिन बाद शहर के कुछ हिस्सों में हैशटैग ‘गेटआउट रवि’ (रवि बाहर जाओ) लिखे पोस्टर दिखाई दिए। इन पोस्टरों में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की तस्वीर को प्रमुखता दी गई है। सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दलों में कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) शामिल हैं।

गत 4 जनवरी को चेन्नई स्थित राजभवन में हुए काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में राज्यपाल रवि ने कहा कि राज्य के लिए तमिषगम नाम ज्यादा उपयुक्त है। उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु में एक अलग किस्म का नैरेटिव चलता है। जो बात पूरे देश के लिए सही होती है, उसे तमिलनाडु में अस्वीकार किया जाता है। यह प्रतिगामी प्रवृत्ति है, इसे दूर करना चाहिए। पिछले 50 से ज्यादा वर्षों में ऐसा बताने की कोशिश की जा रही है कि जैसे तमिलनाडु भारत का अटूट अंग नहीं है। वस्तुतः राज्यपाल उस विचारधारा  की ओर इशारा कर रहे थे, जो स्वतंत्र भारत की पहला अलगाववादी आंदोलन था।

द्रविड़नाडु

तमिल भाषा में नाडु शब्द का मतलब होता है भूमि। तमिलों की भूमि या देश। भारत के स्वतंत्र होने के पहले ही द्रविड़नाडु यानी तमिल देश बनाने की माँग शुरू हो गई थी। 1 जुलाई 1947 को द्रविड़ नेताओं ने द्रविड़नाडु अलगाव दिवस मनाया था। 13 जुलाई 1947 को उन्होंने तिरुचिरापल्ली में एक प्रस्ताव पास करके स्वतंत्र द्रविड़नाडु की माँग की थी। इसके पहले ईवी रामासामी पेरियार ने जिन्ना से भी सलाह की थी।

इस बात को तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने साफ कहा भी है।  उन्होंने कहा कि डीएमके अपने अलगाववादी अतीत को छिपाने की कोशिश कर रही है। उनकी वैचारिक पितृ-संस्था द्रविडार कषगम या डीके की स्थापना पेरियार नाइकर ने की थी, जिसका उद्देश्य अलग द्रविड़नाडु बनाना था, जो बाद में तमिलनाडु राज्य बना। ज्यादातर द्रविड़ पार्टियाँ अपने नाम के साथ कषगम शब्द का इस्तेमाल करती हैं, जो पेरियार की पितृ-संस्था से निकटता बताने के लिए है। डीएमके के कार्यकर्ता आज भी कहते हैं कि हम द्रविड़नाडु को भूले नहीं हैं। द्रविड़नाडु नाम से फेसबुक का एक पेज भी है। 

 

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