रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने जानकारी दी है कि पिछले साल जून में गलवान घाटी में हुए संघर्ष में 45 चीनी सैनिक मारे गए थे। ‘तास’ के अनुसार उस झड़प में ‘कम से कम 20 भारतीय और 45 चीनी सैनिक मारे गए थे।’ भारत ने अपने 20 सैनिकों की सूचना को कभी छिपाया नहीं था, पर चीन ने आधिकारिक रूप से कभी नहीं बताया था कि उसके कितने सैनिक उस टकराव में मरे थे। अलबत्ता उस समय भारतीय सूत्रों ने जानकारी दी थी कि चीन के 43 सैनिक मरे हैं। उस वक्त चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा था, ‘मैं यक़ीन के साथ आपसे कह सकता हूं, कि ये फेक न्यूज़ है।’ उन्हीं दिनों अमेरिकी इंटेलिजेंस के हवाले से भी चीन के 34 सैनिक मरने की एक खबर आई थी।
15 जून को गलवान घाटी
में झड़प के बाद से, चीन अपने
मृतकों की संख्या पर, टिप्पणी
करने से लगातार इनकार करता रहा है। जब एक वेबिनार में दिल्ली स्थित चीनी राजदूत सन
वीदांग पूछा गया कि अमेरिकी इंटेलिजेंस की ख़बरों के मुताबिक़, चीनी सेना के 34 सैनिक मारे गए हैं, तो उन्होंने सवाल का जवाब नहीं दिया था।
उन्होंने कहा था कि इससे स्थिति को सुधारने में मदद नहीं मिलेगी। ख़बरों में कहा
गया था, कि मारे जाने वालों
में, चीनी सेना का एक कमांडिंग
ऑफिसर भी शामिल था। कुछ ख़बरों में, चीन की ओर से मारे गए सैनिकों की संख्या भी बताई गई थी।
बहरहाल ‘तास’ की सूचना न केवल उन खबरों की पुष्टि कर रही है, बल्कि चीन की
खामोशी का पर्दाफाश भी कर रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि चीन सरकार ने ‘तास’ की खबर का खंडन नहीं किया है। संयोग है कि ‘तास’ ने यह खबर तब दी है, जब पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील के पास
से दोनों देशों की सेनाओं की वापसी का समझौता होने की खबरें आई हैं।
पैंगोंग झील पर
समझौता
बुधवार 10 फरवरी को प्रकाशित एक लेख में ‘तास’ ने पैंगोंग त्सो के पास की सरहद से, चीन और भारत के सैनिकों की वापसी के बारे में, चीनी रक्षा मंत्रालय के बयान का विस्तार से हवाला दिया है। इसी लेख में तास ने लिखा, ‘मई और जून 2020 में, उस इलाक़े में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें कम से कम 20 भारतीय और 45 चीनी सैनिकों की मौत हुई थी।’