पिछले साल हुए
गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी के जवाब में अपने ‘हिन्दुत्व या
हिन्दू तत्व’ का आविष्कार कर लिया है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव
के पहले उनके कैलाश-मानसरोवर दौरे का प्रचार हुआ। उसके पहले कर्नाटक-विधानसभा के
चुनाव के दौरान वे मंदिरों और मठों में गए। गुजरात में तो इसकी शुरुआत ही की थी। चुनाव
प्रचार के दौरान वे जिन प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन के लिए गए उनकी तस्वीरें
प्रचार के लिए जारी की गईं। पोस्टर और बैनर लगाए गए।
छत्तीसगढ़ और
मध्य प्रदेश में चुनाव पूरा होने के बाद अब तेलंगाना और राजस्थान की बारी है। प्रचार
की शुरुआत में ही राजस्थान के पुष्कर तीर्थ में उनके गोत्र का सवाल उठा। खुद राहुल
गांधी ने अपने गोत्र की जानकारी दी। पूजा कराने वाले पुजारी ने बताया कि उन्होंने
अपने गोत्र का नाम दत्तात्रेय बताया। इस जानकारी को उनके विरोधियों ने पकड़ा और
सोशल मीडिया पर सवालों की झड़ी लग गई। उनके दादा के नाम और धर्म को लेकर सवाल उठाए
जा रहे हैं। क्या उन्होंने धर्म-परिवर्तन किया था? क्या उनका विवाह
हिन्दू पद्धति से हुआ था वगैरह। इन व्यक्तिगत बातों का कोई मतलब नहीं होता, पर
सार्वजनिक जीवन में उतरे व्यक्ति के जीवन की हर बात महत्वपूर्ण होती है।