Friday, May 2, 2025

मानसिक-युद्धों के दौर में खामोशी भी हथियार है



पुलवामा हमला 14 फरवरी को हुआ था और भारत ने बालाकोट पर हमला उसके 12 दिन बाद 26 फरवरी को किया। इसबार कार्रवाई क्या और कब होगी, इसे लेकर अटकलें हैं। ऐसी कार्रवाई किसी भी वक्त हो सकती है, पर ज़रूरी नहीं कि बहुत जल्दी हो। रक्षा-प्रतिष्ठान समय और उसके तरीके पर काफी सोच-विचारकर ही फैसला करेगा। कार्रवाई के संभावित परिणामों पर भी विचार करने की जरूरत होती है। 

हमारा सत्ता-प्रतिष्ठान किसी किस्म की बदहवासी व्यक्त नहीं कर रहा है, जैसी पाकिस्तान से दिखाई और सुनाई पड़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में युद्ध के दो नए पक्ष और जुड़े हैं। एक है साइबर-युद्ध और दूसरा हाइब्रिड-युद्ध। दोनों एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। 12 नवंबर, 2021 को हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने 'नागरिक समाज को युद्ध का नया मोर्चा' कहा था। उनके इस बयान पर काफी हंगामा हुआ। 

वस्तुतः अजित डोभाल ने चेतावनी दी थी कि युद्ध की अवधारणा बदल रही है। ‘राष्ट्रहित को नुकसान पहुँचाने के लिए सिविल सोसाइटी को भ्रष्ट किया जा सकता है, अधीन बनाया जा सकता है, बाँटा जा सकता है, उसे अपने फायदे में इस्तेमाल किया जा सकता है।’ इस बयान से यह अर्थ नहीं निकलता कि समूची सिविल-सोसायटी दुश्मन है। ‘सिविल-सोसायटी मोर्चा है’ कहने का तात्पर्य है कि उसकी आड़ ली जा सकती है। युद्ध के नए हथियार के रूप में सिविल-सोसायटी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।  

जम्मू-कश्मीर को ‘पूर्ण-राज्य’ बनाने में देरी


जम्मू-कश्मीर में हालात काफी हद तक सामान्य हो रहे थे कि पहलगाम पर हमला हो गया, जिसके पीछे इरादा यह भी रहा होगा कि राज्य में स्थितियाँ सामान्य होती नज़र नहीं आएँ। हालांकि इस हमले से राज्य के नागरिकों का मनोबल टूटा नहीं है, पर लगता है कि इससे पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने में कुछ विलंब होगा। 

हमले से कुछ हफ़्ते पहले ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल होने को लेकर उम्मीद जताई थी। उस समय उन्होंने कहा था, हमें लगता है कि सही समय आ गया है, विधानसभा चुनाव हुए छह महीने बीत चुके हैं। शाह यहाँ आए थे, मैंने उनसे अलग से मुलाक़ात की, जो अच्छी रही... मुझे अब भी उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही अपना राज्य का दर्जा वापस मिल जाएगा।

Wednesday, April 30, 2025

पाकिस्तान के खिलाफ ‘कठोर-कार्रवाई’ की तैयारी


पहलगाम-हमले के बाद पाकिस्तान को सबसे अच्छा जवाब यही होगा कि हम कश्मीर में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाकर रखें. दुनिया का अनुभव है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लंबी चलती है. सवाल है कि इस आतंकी हमले की योजना क्यों बनाई गई और यही समय क्यों चुना गया?

फिलहाल कश्मीर में सबसे बड़ी ज़रूरत वहाँ के निवासियों का भरोसा जीतने की और पाकिस्तानी हरकतों का जवाब देने की है. सीमा पार से एटम बम दागने की धमकियाँ दी जा रही हैं. हमें ऐसी रणनीति बनानी होगी, जो कम से कम जोखिम उठाकर पाकिस्तान को ज्यादा से ज्यादा बड़ी सज़ा दे सके. 

हालात जिस मोड़ पर आ गए हैं, उसमें भारत को कार्रवाई करनी ही होगी.  पानी रोकने के अलावा हमारे पास आतंकी केंद्रों पर हमले का विकल्प भी है. सरकार के एक शीर्ष सूत्र ने दिल्ली के एक राष्ट्रीय दैनिक से कहा है कि सैनिक कार्रवाई होगी. हम तैयार हैं और हमले के तरीके पर चर्चा कर रहे हैं. 

सवाल है कि क्या हमारी सेना एलओसी पार करके पीओके में प्रवेश कर सकती है? क्या नौसेना कराची बंदरगाह की नाकेबंदी करेगी? एलओसी पर गोलाबारी रोकने को लेकर 2021 में जो समझौता हुआ था, वह भी अब टूटता हुआ लग रहा है. 

सबसे बड़ा खतरा बैक-चैनल संपर्क टूटने का है. इसे टूटना नहीं चाहिए और उन्मादी बयानों से बचना भी चाहिए. 

Thursday, April 24, 2025

पहलगाम का पहला सबक, पाकिस्तान को कड़वी दवाई


पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद यह स्पष्ट है कि भारत ने अब पाकिस्तान को करारा जवाब देने का फैसला कर लिया है. यह जवाब भविष्य में सैनिक-कार्रवाइयों के रूप में भी हो सकता है, पर इसकी शुरुआत राजनयिक रिश्तों को न्यूनतम स्तर पर पहुँचाते हुए हुई है. सेना को हाई अलर्ट कर दिया गया है. 

पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार की शाम हुई सीसीएस की बैठक में कुछ बड़े फैसले हुए हैं. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इन फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित तब तक रखा जाएगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता. 

सीमा पार सभी तरह की आवाजाही के लिए अटारी चेक पोस्ट को भी बंद कर दिया है और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा यात्रा विशेषाधिकारों को निलंबित कर दिया है. सार्क ढांचे के तहत भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया है. 

भारत-अमेरिका ‘न्यूक्लियर-डील’ से ‘होल्टैक-डील’ तक


वैश्विक व्यापार-युद्ध के बीच भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर कई तरह के किंतु-परंतु इन दिनों हवा में हैं. ये रिश्ते केवल आर्थिक सतह पर ही नहीं हैं, बल्कि सामरिक और तकनीकी-सहयोग, तथा राजनय और वैश्विक राजनीति की सतह पर भी हैं. 

इन संपर्कों-संबंधों के समानांतर भारत-रूस, भारत-चीन, भारत-ईयू औऱ भारत तथा पश्चिम एशिया के देशों के रिश्ते भी हैं. बहरहाल 2008 का सिविल न्यूक्लियर-डील याददाश्त से मिटता जा रहा था कि हाल में हाल में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) को लेकर हुई गतिविधि ने कई बातें एकदम ताज़ा कर दी हैं. 

लग यह भी रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार का प्रारंभिक समझौता अगले कुछ महीनों में हो जाएगा, पर उसके नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में हुई गतिविधि ने लहरें पैदा की हैं.