Wednesday, December 22, 2010

भारत और पी-5

पी-5 यानी सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य। इन पाँचं के साथ भारत के रिश्तों की लकीरें इस साल के अंत तक स्पष्ट हो गईं हैं। अमेरिका और यूके का एक धड़ा है, जो राजनैतिक रूप से हमारा मित्र है, अनेक अंतर्विरोधों के साथ। इन दोनों देशों को चीन और युरोपीय संघ के साथ संतुलन बैठाने में हमारी मदद चाहिए। हमें इनके साथ रहना है क्योंकि हमें उच्च तकनीक और पूँजी निवेश की ज़रूरत है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में हमें बैठना है तो इनका साथ ज़रूरी है। अभी न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में हमें शामिल होना है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता चाहिए, जी-8 के साथ संतुलन चाहिए। इनके साथ ही आस्ट्रेलिया है, जो प्रशांत क्षेत्र में चीन के बरक्स हमारा मित्र बनेगा।

Sunday, December 19, 2010

भारत-चीन और पाकिस्तान




आज के इंडियन एक्सप्रेस में सी राजमोहन की खबर टाप बाक्स के रूप में छपी है। इसमें बताया गया है कि चीन अब भारत-चीन सीमा की लम्बाई 3500 किमी के बजाय 2000 किमी मानने लगा है। यानी उसने जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह पाकिस्तान का हिस्सा मान लिया है। चीनी नीतियाँ जल्दबाज़ी में नहीं बनतीं और न उनकी बात में इतनी बड़ी गलती हो सकती है। स्टैपल्ड वीजा जारी करने क पहले उन्होंने कोई न कोई विचार किया ही होगा। इधर आप ध्यान दें कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी हर तीन या चार महीने में चीन जा रहे हैं। फौज के अध्यक्ष जनरल कियानी भी चीन का दौरा कर आए हैं। स्टैपल्ड वीजा का मामला उतना सरल नहीं है जितना सामने से नज़र आता है।

Saturday, December 18, 2010

विकीलीक्स

जुलाई में मैने विकीलीक्स यानी साहस की पत्रकारिता शीर्षक पोस्ट लिखी थी। वह पोस्ट आज तक पढ़ी जा रही है।  हिन्दी में गूगल सर्च करने पर सबसे पहले वही पोस्ट सामने आती है। विकीलीक्स ने दुनिया को हिला दिया है। साथ ही विकीपीडिया को विकीलीक्स शीर्षक लेख में सबसे पहले यह लिखने को मजबूर कर दिया है कि विकीपीडिया का विकीलीक्स से वास्ता नहीं है।

विकीलीक्स से लेकर राडिया टेप्स तक आपने एक बात पर गौर किया होगा कि दुनिया पीछे-पीछे कैसी बातें करती है। सामने-सामने सब महान हैं, उदार हैं। बहरहाल इस वक्त सबसे बड़ी बात सामने यह है कि विकीलीक्स को अमेरिकी व्यवस्था टार्गेट कर रही है वहीं दुनियाभर के पारदर्शिता समर्थक उसे सहारा दे रहे हैं। मैने अपनी शुरुआती पोस्ट में विकीलीक्स का जो लिंक दिया था वह अब लापता है। इस वक्त का लिंक है यह http://www.wikileaks.ch/ । हो सकता है कल यह भी बदल जाए। इसलिए अब ज़रूरी हो गया है कि ठिकाना बदलते ही पाठकों को सूचित किया जाय।

Friday, December 17, 2010

राजदीप सरदेसाई भाग-1




राजदीप इसे मिस-कंडक्ट नहीं मिस-जजमेंट मानते हैं। इसे मानने में दिक्कत नहीं है, पर इसे मानने का मतलब है कि हम इस किस्म की पत्रकारिता से जुड़े आचरण को उचित मानते हैं। इन टेपों को सुनें तो आप समझ जाएंगे कि इन पत्रकारों ने नीरा राडिया से सवाल नहीं किए हैं, बल्कि उनके साथ एक ही नाव की सवारी की है। ये पत्रकार नीरा राडिया से कहीं असहमत नहीं लगते। व्यवस्था की खामियों को वे देख ही नहीं पा रहे हैं। दरअसल पत्रकारिता की परम्परागत समझ उन्हें है ही नहीं और वे अपने सेलेब्रिटी होने के नशे में हैं।

बदलता वक्त


कुछ दिन के लिए मै लखनऊ चला गया। वहाँ नवीन जोशी के पुत्र हर्ष के विवाह समारोह में रूपरेखा वर्मा, नरेश सक्सेना,  राजीव लोचन साह, वीरेन्द्र यादव, मुद्राजी, सुनील दुबे, अश्विनी भटनागर, दिलीप अवस्थी, गुरदेव नारायण,  शरत प्रधान, ज्ञानेन्द्र शर्मा, घनश्याम दुबे, रवीन्द्र सिंह, मुदित माथुर, विजय दीक्षित, मुकुल मिश्रा समेत अनेक पुराने मित्रों से मिलने का मौका मिला। लखनऊ में या दिल्ली में मुझे जहाँ भी किसी से बात करने का अवसर मिला हर जगह एक बेचैनी है। इस बेचैनी के पीछे कोई एक कारण नहीं है। इन कारणों पर मैं भविष्य में कभी लिखूँगा। लखनऊ से पोस्ट लिखने का मौका नहीं मिला। आज मैं चीनी प्रधानमंत्री की यात्रा के संदर्भ में कुछ लिख रहा हूँ। साथ ही अपने कुछ पुराने लेखों की कतरनें लगा रहा हूँ जो पोस्ट नहीं कर पाया था।

चीन के संदर्भ में मेरी राय यह है कि हमें और चीन को आपस में समझने में कुछ समय लगेगा। सन 2012 में चीन का नया नेतृत्व सामने आएगा। तब तक भारतीय व्यवस्था भी कोई नया रूप ले रही होगी। 2014 के भारतीय चुनाव एक बड़ा बदलाव लेकर आएंगे। मैं कांग्रेस या गैर-कांग्रेस के संदर्भ में नहीं सोच रहा हूँ। ज्यादातर राजनैतिक दल जिस तरीके से अपराधी माफिया और बड़े बिजनेस हाउसों के सामने नत-मस्तक हुए हैं उससे लगता है कि जनता इन्हें ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेगी। बहरहाल..