Tuesday, June 6, 2023

भारत-जर्मनी के बीच एआईपी युक्त छह पनडुब्बियाँ बनाने का करार होगा

 


भारत दौरे पर आए जर्मनी के रक्षामंत्री  बोरिस पिस्टोरियस ने मंगलवार को भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ वार्ता की. खबरों के मुताबिक, भारत और जर्मनी के बीच छह पनडुब्बियों के निर्माण का समझौता होने जा रहा है। इस करार का मतलब है कि लंबे अर्से से रुका पड़ा प्रोजेक्ट 75(आई) अब तेजी पकड़ेगा।

राजनाथ सिंह ने जर्मनी के रक्षामंत्री  बोरिस पिस्टोरियस से व्यापक चर्चा की और द्विपक्षीय रक्षा व सामरिक संबंध मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान दिया।  पिस्टोरियस भारत के चार दिवसीय दौरे पर हैं। मंगलवार की बैठक के बाद मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत और जर्मनी, भारत में पनडुब्बी बनाने पर समझौते के करीब आ गए हैं। ये पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के लिए बनाई जानी हैं।

Monday, June 5, 2023

विरोधी-एकता के असमंजस


आगामी 12 जून को पटना में प्रस्तावित विरोधी दलों की एकता-बैठक एक बार फिर से स्थगित हो गई है। हालांकि इसकी अगली तारीख तय नहीं है, पर संभावना है कि अब यह बैठक 23 जून को हो सकती है। इसका स्थान भी पटना के बजाय कहीं और हो सकता है। इसे शिमला में भी किया जा सकता है। कांग्रेस पहले से 23 जून की बात कह रही थी, पर जेडीयू ने 12 जून की घोषणा कर दी थी।

विरोधी-एकता की एक परीक्षा संसद के मॉनसून सत्र में होगी, जब दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े अध्यादेश का स्थान लेने वाला विधेयक पेश किया जाएगा। बहरहाल 12 जून की बैठक में शामिल होने के लिए 16 पार्टियों ने सहमति दी थी, जिनमें आम आदमी पार्टी भी शामिल है। इस बैठक को लेकर नीतीश कुमार के अलावा अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार इसे लेकर काफी उत्साहित हैं।

हिंदी बेल्ट

ममता बनर्जी ने एक वीडियो जारी करके पटना आने और बैठक में शामिल होने का बयान भी दिया है। ममता बनर्जी ने कहा कि पटना में होने वाली विपक्ष की एकता की बैठक से हिंदी बेल्ट में बेहतर असर होगा। हालांकि ममता ने इस बात को खुलकर नहीं कहा है, पर जो बातें सामने आ रही हैं, उनसे संकेत मिलता है कि उन्होंने ही नीतीश कुमार को सलाह दी थी कि आप अपनी तरफ से पहल करें। 12 जून की बैठक उसी पहल का परिणाम थी। ममता बनर्जी सत्तर के दशक में जय प्रकाश नारायण की पहल का इस सिलसिले में उदाहरण देती हैं।

Sunday, June 4, 2023

पूर्वोत्तर की चुनौती: मणिपुर-हिंसा


मणिपुर में एक महीने से चल रही हिंसा की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि गृहमंत्री अमित शाह को खुद वहाँ जाकर स्थिति पर नियंत्रण करने के निर्देश देने पड़े। उन्होंने अलग
-अलग जनजातियों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से बातचीत की है, पर दीर्घकालीन समाधान एक-दो दिनों में नहीं आते। उसके लिए पहले माहौल को बनाना होगा। यह हिंसा देश की बहुजातीय पहचान और सांस्कृतिक-बहुलता के लिए खतरनाक है। इसका राजनीतिक इस्तेमाल और भी खतरनाक है। राज्य के पाँच जिलों में जितनी तेजी से बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ, लोगों की जान गई, घरों, चर्चों, मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई, वह राज्य में लंबे अर्से से चली आ रही पहाड़ी और घाटी की पहचान के विभाजन का नतीजा है। प्रशासनिक समझदारी से उसे टाला जा सकता था।

पक्षपात का आरोप

इस वक्त सबसे ज्यादा सवाल राज्य सरकार की भूमिका को लेकर उठाए जा रहे हैं। अमित शाह ने विभिन्न वर्गों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि राज्य में शांति बहाल करना सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का दावा है कि स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है और 20 हज़ार के क़रीब लोगों को हिंसाग्रस्त इलाकों से निकालकर शिविरों में पहुंचा दिया गया है। राज्य सरकार ने तत्परता और समझदारी से काम किया होता तो यह धारणा जन्म नहीं लेती कि वह एक खास समुदाय की हिमायती है। ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ से प्रेरित होकर सरकार ने अति उत्साह में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया, जिसमें कुकी समुदाय के गाँव प्रभावित हुए थे। भाजपा के कुछ आदिवासी विधायकों ने इस पक्षपात का मुद्दा उठाया था और नेतृत्व में बदलाव की मांग भी की थी।

अतिक्रमण-विरोधी अभियान

मणिपुर सरकार ने फ़रवरी में संरक्षित इलाक़ों से अतिक्रमण हटाना शुरू किया था, तभी से तनाव था। लोग सरकार के इस रुख़ का विरोध कर रहे थे, लेकिन मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद 3 मई से स्थिति बेकाबू हो गई, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने 3 मई को जनजातीय एकता मार्च निकाला। इस मार्च के दौरान कई जगह हिंसा हुई। यह मार्च मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने के प्रयास के विरुद्ध हुआ था। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 साल पुरानी सिफ़ारिश को लागू करे, जिसमें ग़ैर-जनजाति मैती समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी। यह शिकायत, कि मैती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर पहाड़ी आदिवासी समुदायों के आरक्षण लाभों को काम कर देगा, एक सीमा तक ठीक लगता है। पर उनकी यह चिंता सही नहीं है कि इससे पारंपरिक भूमि स्वामित्व बदल जाएगा। आदिवासी नेताओं ने घाटी विरोधी भावनाओं को भड़काने में जमीन खोने के दाँव का इस्तेमाल किया है।

Thursday, June 1, 2023

अमेरिकी ऋण-सीमा बढ़ेगी


अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा यानी हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव ने सरकार की ऋण-सीमा बढ़ाने वाले विधेयक को स्पष्ट बहुमत से पारित कर दिया है. विधेयक के समर्थन में 314 और विरोध में 117 मत पड़े. दोनों ही पक्षों की तरफ़ से विरोध में मतदान हुआ है.

विधेयक के समर्थन में 165 डेमोक्रेट (राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी) और 149 रिपब्लिकन सदस्यों ने मतदान किया है. इससे अमेरिकी सरकार के क़र्ज़ संकट का समाधान हो सकता है और सरकार के डिफॉल्टर होने का ख़तरा टल सकता है. सरकार को डिफॉल्ट होने से बचाने के लिए अब सोमवार से पहले इस विधेयक को सीनेट में पारित कराना अनिवार्य होगा.

रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियों के बीच इस समझौते के कारण व्यवस्था के बिखर जाने का खतरा टल जरूर गया है, पर देश का आर्थिक संकट बरकरार है. उधर रिपब्लिकन पार्टी को इस बात का संतोष है कि राष्ट्रपति जो बाइडन से उसने कुछ सरकारी खर्च कम करवा लिए हैं. अनुमान है कि अगले एक दशक में सरकारी खर्चों में 1.3 ट्रिलियन डॉलर की कटौती होगी. ये कटौतियाँ 2024 और 2025 से लागू होंगी.   

संसद की प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है. जबकि, सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है. ऐसे में इस बिल का प्रतिनिधि सभा में पास होना महत्वपूर्ण है. इस बिल को पारित कराने में दोनों पार्टियों के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभाने वाले रिपब्लिकन पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता केविन मैकार्थी ने इसे ऐतिहासिक कहा है.

वर्चुअली होगा एससीओ शिखर सम्मेलन

दूसरी बड़ी अंतरराष्ट्रीय खबर यह है कि जुलाई के महीने में भारत में होने वाला शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन अब वर्चुअल होगा. केंद्र सरकार ने मंगलवार को एलान किया कि 4 जुलाई को दिल्ली में प्रस्तावित एससीओ की बैठक अब वर्चुअली आयोजित होगी. इस साल एससीओ की अध्यक्षता भारत के पास है, जिसकी वजह से ये बैठक दिल्ली में आयोजित होनी थी.

 

इस बैठक में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को हिस्सा लेना था. इनमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तानी पीएम शाहबाज़ शरीफ़ और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जैसे नेता शामिल होते.

केंद्र सरकार इस बैठक को आयोजित करने के लिए पिछले कई महीनों से तैयारी भी कर रही थी. इन नेताओं को भारत आने का न्यौता भी भेजा गया था. मंगलवार को सरकार ने एकाएक अपना फ़ैसला बदल दिया. दो-तीन बातें हवा में हैं. एक, दिल्ली में सम्मेलन की तैयारी पूरी नहीं है. दूसरे चीन, पाकिस्तान और रूस के राष्ट्राध्यक्षों ने अभी तक सम्मेलन में आने की पुष्टि नहीं की है. संभवतः रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन-युद्ध के कारण आने की स्थिति में नहीं हैं.

 

उम्मीद से बेहतर जीडीपी संवृद्धि


देश की ​आर्थिक-वृद्धि दर विश्लेषकों के अनुमान को पीछे छोड़ते हुए वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी रही। मैन्युफैक्चरिंग और निर्माण गतिविधियों में तेजी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि ने चकित किया है। साथ ही यह कमजोर वै​श्विक परिदृश्य के बीच मजबूत घरेलू मांग को दर्शाता है। पिछले हफ्ते रॉयटर्स द्वारा 56 अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।

चौथी तिमाही में उम्मीद से ज्यादा वृद्धि से पूरे वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी वृद्धि दर पहले के 7 फीसदी के अनुमान को पार कर 7.2 फीसदी पहुंच गई। राष्ट्रीय सां​ख्यिकी कार्यालय ने पहले अंतरिम अनुमान में जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। बुनियादी मूल्य पर सकल मूल्य वर्धन (GVA) वित्त वर्ष 2023 की मार्च तिमाही में 6.5 फीसदी और पूरे वित्त वर्ष में 7 फीसदी बढ़ा है। हालांकि देश की अर्थव्यवस्था का आकार वित्त वर्ष 2023 में 272.4 लाख करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2024 के बजट से पूर्व जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमान से 67,039 करोड़ रुपये कम है।

लगातार दो तिमाही में गिरावट झेलने के बाद जनवरी-मार्च 2023 तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र ने अच्छी वापसी की और कच्चे माल की लागत कम होने तथा मार्जिन में सुधार के साथ इस क्षेत्र के उत्पादन में 4.5 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। ब्याज दरों में बढ़ोतरी और ऊंची खुदरा मुद्रास्फीति के बावजूद श्रम प्रधान निर्माण क्षेत्र में भी मार्च तिमाही के दौरान 10.4 फीसदी की तेजी देखी गई।

बेमौसम बारिश के बावजूद जनवरी-मार्च 2023 तिमाही में कृषि क्षेत्र का उत्पादन 5.5 फीसदी बढ़ा है जबकि व्यापार, होटल और परिवहन के बेहतर प्रदर्शन के दम पर सेवा क्षेत्र में 6.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। यहाँ पढ़ें बिजनेस स्टैंडर्ड में असित रंजन मिश्र का विश्लेषण और अखबार का संपादकीय

 आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस से मानव सभ्यता के अंत का ख़तरा

'आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस से इंसानी वजूद को ख़तरा हो सकता है.कई विशेषज्ञों ने इसे लेकर आगाह किया है. ऐसी चेतावनी देने वालों में ओपनएआई और गूगल डीपमाइंड के प्रमुख शामिल हैं.इसे लेकर जारी बयान 'सेंटर फ़ॉर एआई सेफ़्टी' के वेबपेज़ पर छपा है. कई विशेषज्ञों ने इस बयान के साथ अपनी सहमति जाहिर की है. विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा है, "समाज को प्रभावित कर सकने वाले दूसरे ख़तरों, मसलन महामारी और परमाणु युद्ध के साथ-साथ एआई (आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस) की वजह से वजूद पर मौजूद ख़तरे को कम करना वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए." बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट पढ़ें यहाँ

 राहुल गांधी ने मोदी पर साधा निशाना, खालिस्तानियों को भी जवाब

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस को निशाना बनाया है. अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में लोगों को एक ग्रुप ऐसा है, जिसे लगता है कि वे हर चीज़ जानते हैं. राहुल गांधी 10 दिनों की अमेरिका यात्रा पर हैं. सैन फ्रांसिस्को के बाद वे वॉशिंगटन डीसी और फिर न्यूयॉर्क जाएँगे. संबोधन के दौरान सिख्स फ़ॉर जस्टिस (एसजेएफ़) से जुड़े कुछ लोगों ने खालिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी की और खालिस्तान का झंडा भी दिखाया. इंदिरा गांधी को लेकर भी नारेबाज़ी की गई. एसजेएफ़ का कहना है कि वे राहुल गांधी की हर सभा में जाएँगे और जब पीएम मोदी अमेरिका आएँगे, तब भी ऐसा ही करेंगे. बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट पढ़ें यहाँ