क्या झूठे का बोलबाला होगा?
पुलवामा कांड के करीब दो हफ्ते बाद एक फेसबुक यूज़र ने एक फोन कॉल की रिकॉर्डिंग पोस्ट की, जिसमें देश के गृहमंत्री, बीजेपी के अध्यक्ष और एक महिला की आवाजों का इस्तेमाल किया गया था। उद्देश्य यह साबित करना था कि पुलवामा पर हुआ हमला जान-बूझकर रची गई साजिश थी। इसका उद्देश्य लोकसभा चुनाव में वोट हासिल करने के लिए जनता को गुमराह करना था। इसमें एक जगह बीजेपी अध्यक्ष के स्वर में कहा गया, ‘देश की जनता को गुमराह किया जा सकता है। और हम मानते भी हैं चुनाव के लिए युद्ध कराने की जरूरत है।’ भारत में फेसबुक के फैक्ट-चेकर सहयोगी ‘बूम’ ने 24 घंटे के भीतर पड़ताल से पता लगा लिया कि यह ऑडियो पूरी तरह फर्जी है। पुराने साक्षात्कारों से ली गई आवाजों को जोड़कर और उनमें से कुछ को हटाकर या दबाकर इसे तैयार किया गया था।
यह एक बड़ा अपराध है। लोगों को धोखा देने की कोशिश। पता नहीं इस सिलसिले में जाँच किस जगह पहुँची है, पर सहज रूप से सवाल मन में आता है कि किसने यह ऑडियो तैयार किया और क्यों? इसे बनाने वालों के तकनीकी ज्ञान का पता नहीं, पर मीडिया तकनीक में आ रहे बदलाव को देखते हुए सम्भव है कि कुछ दिनों में ऐसे वीडियो-ऑडियो बने, जिनकी गलतियों को ढूँढना बेहद मुश्किल हो। या जबतक गलती का पता लगे, तबतक कुछ से कुछ हो चुका हो। इस ऑडियो को भी जबतक डिलीट किया गया, 25 लाख लोग इसे सुन चुके थे और इसके डेढ़ लाख शेयर हो चुके थे। ट्विटर, यूट्यूब और न जाने कहा-कहाँ इसे कॉपी करके लगाया जा चुका है और न जाने कितने लोगों के निजी संग्रह में यह अब भी मौजूद हो और गलतफहमी फैलाने का काम कर रहा हो।
पुलवामा कांड के करीब दो हफ्ते बाद एक फेसबुक यूज़र ने एक फोन कॉल की रिकॉर्डिंग पोस्ट की, जिसमें देश के गृहमंत्री, बीजेपी के अध्यक्ष और एक महिला की आवाजों का इस्तेमाल किया गया था। उद्देश्य यह साबित करना था कि पुलवामा पर हुआ हमला जान-बूझकर रची गई साजिश थी। इसका उद्देश्य लोकसभा चुनाव में वोट हासिल करने के लिए जनता को गुमराह करना था। इसमें एक जगह बीजेपी अध्यक्ष के स्वर में कहा गया, ‘देश की जनता को गुमराह किया जा सकता है। और हम मानते भी हैं चुनाव के लिए युद्ध कराने की जरूरत है।’ भारत में फेसबुक के फैक्ट-चेकर सहयोगी ‘बूम’ ने 24 घंटे के भीतर पड़ताल से पता लगा लिया कि यह ऑडियो पूरी तरह फर्जी है। पुराने साक्षात्कारों से ली गई आवाजों को जोड़कर और उनमें से कुछ को हटाकर या दबाकर इसे तैयार किया गया था।
यह एक बड़ा अपराध है। लोगों को धोखा देने की कोशिश। पता नहीं इस सिलसिले में जाँच किस जगह पहुँची है, पर सहज रूप से सवाल मन में आता है कि किसने यह ऑडियो तैयार किया और क्यों? इसे बनाने वालों के तकनीकी ज्ञान का पता नहीं, पर मीडिया तकनीक में आ रहे बदलाव को देखते हुए सम्भव है कि कुछ दिनों में ऐसे वीडियो-ऑडियो बने, जिनकी गलतियों को ढूँढना बेहद मुश्किल हो। या जबतक गलती का पता लगे, तबतक कुछ से कुछ हो चुका हो। इस ऑडियो को भी जबतक डिलीट किया गया, 25 लाख लोग इसे सुन चुके थे और इसके डेढ़ लाख शेयर हो चुके थे। ट्विटर, यूट्यूब और न जाने कहा-कहाँ इसे कॉपी करके लगाया जा चुका है और न जाने कितने लोगों के निजी संग्रह में यह अब भी मौजूद हो और गलतफहमी फैलाने का काम कर रहा हो।