Saturday, October 8, 2016

‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर कांग्रेसी दुविधा

कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि हम सर्जिकल स्ट्राइक के मामले में भारतीय जवानों के साथ हैं, लेकिन इसे लेकर क्षुद्र राजनीति नहीं की जानी चाहिए। रणदीप सुरजेवाला का कहना है, ‘ हम सर्जिकल स्ट्राइक पर कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन यह कोई पहला सर्जिकल स्ट्राइक नहीं है। कांग्रेस के शासनकाल में 1 सितंबर 2011, 28 जुलाई 2013 और 14 जनवरी 2014 को 'शत्रु को मुंहतोड़ जबाव' दिया गया था। परिपक्वता, बुद्धिमत्ता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र कांग्रेस सरकार ने इस तरह कभी हल्ला नहीं मचाया।
भारतीय राजनीति में युद्ध की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सन 1962 की लड़ाई से नेहरू की लोकप्रियता में कमी आई थी। जबकि 1965 और 1971 की लड़ाइयों ने लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी का कद काफी ऊँचा कर दिया था। करगिल युद्ध ने अटल बिहारी वाजपेयी को लाभ दिया। इसीलिए 28-29 सितम्बर की सर्जिकल स्ट्राइक के निहितार्थ ने देश के राजनीतिक दलों एकबारगी सोच में डाल दिया। सोच यह है कि क्या किसी को इसका फायदा मिलेगा? और क्या कोई घाटे में रहेगा?

Wednesday, October 5, 2016

सर्जिकल स्ट्राइक का विवरण जो प्रवीण स्वामी ने दिया


नियंत्रण रेखा के उस पार रह रहे कुछ चश्मदीद गवाहों ने इंडियन एक्सप्रेस के सामरिक तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों के राष्ट्रीय सम्पादक प्रवीण स्वामी को बताया कि भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद 29 सितम्बर की सुबह लश्करे तैयबा से जुड़े लोगों की लाशें ट्रकों पर लादकर दफनाने के लिए ले जाई गईं। उन्होंने रात में हुए संघर्ष का विवरण भी दिया, जिसमें जेहादियों के अस्थायी निर्माण ध्वस्त हो गए। ये वे जगहें थीं, जिन्हें भारतीय सेना ने आतंकियों के लांच पैड बताया है। यहाँ आकर आतंकी दस्ते रुकते हैं और मौका पाते ही भारतीय सीमा में प्रवेश करते हैं।

इन लोगों ने उन जगहों के बारे में जानकारी दी है, जिनका जिक्र भारतीय सेना ने किया है, पर जिनका विवरण नहीं दिया। अलबत्ता इनसे जो विवरण प्राप्त हुआ है उससे लगता है कि मरने वालों की तादाद भारत की अनुमानित संख्या 38-50 से कम है और जेहादियों के ढाँचे को उतना नुकसान नहीं हुआ, जितना बताया जा रहा है।

सर्जिकल स्ट्राइक का विवरण जो प्रवीण स्वामी ने दिया


नियंत्रण रेखा के उस पार रह रहे कुछ चश्मदीद गवाहों ने इंडियन एक्सप्रेस के सामरिक तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों के राष्ट्रीय सम्पादक प्रवीण स्वामी को बताया कि भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद 29 सितम्बर की सुबह लश्करे तैयबा से जुड़े लोगों की लाशें ट्रकों पर लादकर दफनाने के लिए ले जाई गईं। उन्होंने रात में हुए संघर्ष का विवरण भी दिया, जिसमें जेहादियों के अस्थायी निर्माण ध्वस्त हो गए। ये वे जगहें थीं, जिन्हें भारतीय सेना ने आतंकियों के लांच पैड बताया है। यहाँ आकर आतंकी दस्ते रुकते हैं और मौका पाते ही भारतीय सीमा में प्रवेश करते हैं।

इन लोगों ने उन जगहों के बारे में जानकारी दी है, जिनका जिक्र भारतीय सेना ने किया है, पर जिनका विवरण नहीं दिया। अलबत्ता इनसे जो विवरण प्राप्त हुआ है उससे लगता है कि मरने वालों की तादाद भारत की अनुमानित संख्या 38-50 से कम है और जेहादियों के ढाँचे को उतना नुकसान नहीं हुआ, जितना बताया जा रहा है।

Monday, October 3, 2016

पाकिस्तान क्यों नहीं मानता?

गुरुवार 28-29 सितम्बर की रात भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके आतंकवादियों पर जिस रणनीति के तहत हमला किया था उसका लक्ष्य था पाकिस्तान को चेतावनी देना. अभी तक पाकिस्तान ने इस संदेश को नहीं समझा है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे अलग-थलग करने के लिए भारत मुहिम चला रहा है. पर लगता नहीं कि पाकिस्तान अकेला पड़ेगा. प्रकट रूप से उसके हौसले कम नहीं हुए हैं. पता नहीं दुनिया हमारे नुक्ते-नज़र को समझती भी है या नहीं.

Sunday, October 2, 2016

‘सर्जिकल स्ट्राइक’ ने क्या दिया?

विसंगति है कि हम गांधी जयंती के दिन सर्जिकल स्ट्राइक की बात कर रहे हैं। पर यह सवाल आज ही पूछा जा सकता है कि क्या शांति-स्थापना का रास्ता युद्ध से होकर नहीं जाता है? खासतौर से तब जब कोई हथियार लेकर सिर पर खड़ा हो? गुरुवार 28-29 सितम्बर की रात भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके आतंकवादियों के सात लांच पैड पर हमले किए थे। यह प्रिवेंटिव कार्रवाई थी। हमले को रोकने की पेशबंदी।