Saturday, March 2, 2024

काजल की कोठरी में चुनावी-चंदे का मायाजाल

भारतीय आम चुनाव दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक गतिविधि है। यह गतिविधि काले धन से चलती है। काले धन की विशाल गठरियाँ इस मौके पर खुलती हैं। चंदा लेने की व्यवस्था काले पर्दों से ढकी हुई है। लोकसभा के एक चुनाव में 543 सीटों के लिए करीब आठ हजार प्रत्याशी खड़े होते लड़ते हैं। तीस से पचास हजार करोड़ रुपए की धनराशि प्रचार पर खर्च होती है। शायद इससे भी ज्यादा। राजनीतिक दलों का खर्च अलग है। जो पैसा चुनाव के दौरान खर्च होता है, उसमें काफी बड़ा हिस्सा काले धन के रूप में होता है। यह सोचने की जरूरत है कि यह काला धन कहाँ से और क्यों आता है।

ज्यादातर प्रत्याशी अपने चुनाव खर्च को कम करके दिखाते हैं। चुनाव आयोग के सामने दिए गए खर्च के ब्यौरों को देखें तो पता लगता है कि किसी प्रत्याशी ने खर्च की तय सीमा पार नहीं की। जबकि अनुमान है कि सीमा से आठ-दस गुना तक ज्यादा खर्च होता है। जिस काम की शुरूआत ही गोपनीयता, झूठ और छद्म से हो वह आगे जाकर कैसा होगा? इसी छद्म-प्रतियोगिता में जीतकर आए जन-प्रतिनिधि कानून बनाते हैं। चुनाव-सुधार से जुड़े कानून भी उन्हें ही बनाने हैं। 

हाल में उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों को चुनावी चंदे की व्यवस्था यानी इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है। अदालत ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी है। अदालत के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में पाँच जजों के संविधान पीठ ने इस बारे में 15 फरवरी को फैसला सुनाया। इसके पहले नवंबर 2023 में संविधान पीठ ने लगातार तीन दिन तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Friday, March 1, 2024

केरल में ‘इंडिया’ बनाम ‘इंडिया’, वायनाड में असमंजस

 


2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र के अलावा केरल के वायनाड क्षेत्र से भी चुनाव लड़ा था। अमेठी में वे स्मृति ईरानी से मुकाबले में हार गए थे, पर वायनाड में वे जीत गए। इसबार वायनाड की सीट पर राहुल गांधी के सामने कम्युनिस्ट पार्टी ने एनी राजा को प्रत्याशी बनाया है, जो सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं। एनी पार्टी के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं। उनकी इस इलाके में अच्छी खासी प्रतिष्ठा है। राहुल गांधी के लिए इस मुकाबले को जीतना आसान नहीं होगा। सवाल है कि कम्युनिस्ट पार्टी ने ऐसा क्यों किया, जबकि वह इंडिया गठबंधन में शामिल है?

इसके पहले कांग्रेस की ओर से कहा जा चुका है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ राज्य की 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगा, जिनमें से 16 पर कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। वामपंथी दल इंडिया गठबंधन में शामिल जरूर हैं, पर उनके सामने सबसे बड़ा अस्तित्व का संकट है। वे बंगाल से बाहर हो चुके हैं और 2019 के चुनाव में लोकसभा से भी तकरीबन बाहर हो गए। वाममोर्चा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने 2019 में राज्य की सभी 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इनमें  माकपा के 14 और भाकपा के 4 प्रत्याशी थे। दो सीटों पर लेफ़्ट समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार खड़े किए गए थे।

Wednesday, February 28, 2024

हिंद महासागर में ‘चीनी इशारे’ और मालदीव के तेवर


लद्दाख की सीमा पर चल रहे गतिरोध को तोड़ने के लिए गत 19 फरवरी को भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत का 19वाँ दौर भी पूरा हो गया, पर कोई नतीजा निकल कर नहीं आया. एजेंसी-रिपोर्टों के अनुसार पिछले साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने का कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ा है.

निष्कर्ष यह है कि चीन इस समस्या को बनाए रखना चाहता है. उसकी गतिविधियाँ केवल उत्तरी सीमा तक सीमित नहीं हैं. वह हिंद महासागर में अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहा है. दूसरी तरफ भारत लगातार विश्व-समुदाय का ध्यान चीनी-दादागीरी की ओर खींच रहा है.  

Thursday, February 22, 2024

वैश्विक-ध्रुवीकरण के बरक्स भारत की दो टूक राय


यूक्रेन और गज़ा में चल रही लड़ाइयाँ रुकने के बजाय तल्खी बढ़ती जा रही है. शीतयुद्ध की ओर बढ़ती दुनिया के संदर्भ में भारतीय विदेश-नीति की स्वतंत्रता को लेकर कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं.

कभी लगता है कि भारत पश्चिम-विरोधी है और कभी वह पश्चिम-परस्त लगता है. कभी लगता है कि वह सबसे अच्छे रिश्ते बनाकर रखना चाहता है या सभी के प्रति निरपेक्ष है. पश्चिम एशिया में भारत ने इसराइल, सऊदी अरब और ईरान के साथ अच्छे रिश्ते बनाकर रखे हैं. इसी तरह उसने अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाकर रखा है. कुछ लोगों को यह बात समझ में नहीं आती. उन्हें लगता है कि ऐसा कैसे संभव है?

म्यूनिख सुरक्षा-संवाद

विदेशमंत्री एस जयशंकर ने पिछले हफ्ते म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में इस बात को काफी हद तक शीशे की तरह साफ करने का प्रयास किया है. इस बैठक में भारत और पश्चिमी देशों के मतभेदों से जुड़े सवाल भी पूछे गए और जयशंकर ने संज़ीदगी से उनका जवाब दिया.

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन वैश्विक-सुरक्षा पर केंद्रित वार्षिक सम्मेलन है. यह सम्मेलन 1963 से जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित किया जाता है. इस साल यह 60वाँ सम्मेलन था. सम्मेलन के हाशिए पर विभिन्न देशों के राजनेताओं की आपसी मुलाकातें भी होती हैं.

इसराइल-हमास संघर्ष

जयशंकर ने इसराइल-हमास संघर्ष पर भारत के रुख को चार बिंदुओं से स्पष्ट किया. एक, 7 अक्तूबर को जो हुआ वह आतंकवाद था. दूसरे, इसराइल जिस तरह से जवाबी कार्रवाई कर रहा है, उससे नागरिकों को भारी नुकसान हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का पालन करना उसका दायित्व है. उन्होंने इसराइल के दायित्व शब्द का इस्तेमाल करके इसराइल को निशान पर लिया है.

इसके अलावा उनका तीसरा बिंदु बंधकों की वापसी से जुड़ा है, जिसे उन्होंने जरूरी बताया है. चौथा, राहत प्रदान करने के लिए एक मानवीय गलियारे और एक स्थायी मानवीय गलियारे की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे का स्थायी हल निकाला जाना चाहिए. उन्होंने टू स्टेट समाधान की बात करते हुए कहा कि यह विकल्प नहीं बल्कि अनिवार्यता ज़रूरत है.

Wednesday, February 21, 2024

मोदी-यात्रा और खाड़ी देशों में भारत की बढ़ती साख


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने भारत और पश्चिम एशिया के परंपरागत रिश्तों को न केवल बरकरार रखा, बल्कि और बेहतर बनाया. पश्चिम एशिया की उनकी ताज़ा यात्रा के ठीक पहले क़तर में भारत के आठ पूर्व नौसैनिक अधिकारियों की रिहाई से इस बात की पुष्टि हुई है कि इन देशों के साथ उनके मजबूत निजी रिश्ते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को अबूधाबी में बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के मंदिर का उद्घाटन किया. यह मंदिर दुनिया भर में इस संस्था के बनाए एक हज़ार मंदिरों और 3,850 केंद्रों में से एक है.

2015 के बाद से प्रधानमंत्री का यूएई का यह सातवाँ दौरा है. 2015 में भी करीब 34 साल के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वह पहली यूएई यात्रा थी. मोदी से पहले इंदिरा गांधी 1981 में यूएई गई थीं. यूएई के अलावा भारत के सऊदी अरब, ओमान, क़तर, बहरीन और कुवैत के साथ भी रिश्ते मज़बूत हुए हैं.