Sunday, July 30, 2023

संसद में शोर, यानी चुनाव के नगाड़े


जैसा कि अंदेशा था, संसद के मॉनसून सत्र का पहला हफ्ता शोरगुल और हंगामे की भेंट रहा। इस हंगामे या शोरगुल को क्या मानें, गैर-संसदीय या संसदीय? लंबे अरसे से संसद का हंगामा संसदीय-परंपराओं में शामिल हो गया है और उसे ही संसदीय-कर्म मान लिया गया है। शायद ही कोई इस बात पर ध्यान देता हो कि इस दौरान कौन से विधेयक किस तरह पास हुए, उनपर चर्चा में क्या बातें सामने आईं और सरकार ने उनका क्या जवाब दिया वगैरह। एक ज़माने में अखबारों में संसदीय प्रश्नोत्तर पर लंबे आइटम प्रकाशित हुआ करते थे। अब हंगामे का सबसे पहला शिकार प्रश्नोत्तर होते हैं। आने वाले हफ्तों की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही रहने की संभावना है। पीआरएस की वैबसाइट के अनुसार इस सत्र में  अभी तक लोकसभा की उत्पादकता 15 प्रतिशत और राज्यसभा की 33 प्रतिशत रही। शुक्रवार को दोनों सदनों में हंगामा रहा और उसी माहौल में लोकसभा से तीन विधेयकों को भी पारित करवा लिया गया। इस हफ्ते कुल आठ विधेयक पास हुए हैं। गुरुवार को जन विश्वास बिल पास हुआ, जिससे कारोबारियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इससे कई कानूनों में बदलाव होगा और छोटी गड़बड़ी के मामले में सजा को कम कर दिया जाएगा। पर अब सारा ध्यान अविश्वास-प्रस्ताव पर केंद्रित होगा, जिसे इस हफ्ते कांग्रेस की ओर से रखा गया है। कहना मुश्किल है कि यह चर्चा विरोधी दलों के पक्ष में जाएगी या उनके पक्ष को कमज़ोर करेगी।

काले-काले कपड़े

गुरुवार और शुक्रवार को विरोधी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस (इंडिया) से जुड़े सांसद मणिपुर मुद्दे पर सरकार के विरोध में काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे थे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि काले कपड़े पहनने के पीछे विचार ये है कि देश में अंधेरा है तो हमारे कपड़ों में भी अंधेरा होना चाहिए। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि ये काले कपड़े पहनने वाले लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि देश की बढ़ती हुई ताकत आज क्या है? इनका वर्तमान, भूत और भविष्य काला है, लेकिन हमें उम्मीद है कि उनकी जिंदगी में भी रोशनी आएगी। इस शोरगुल के बीच आम आदमी पार्टी के संजय सिंह की सदस्यता भी इस हफ्ते निलंबित कर दी गई। उन्हें पिछले सोमवार को हंगामा करने और आसन के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए वर्तमान मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के बाद से संजय सिंह संसद परिसर में लगातार धरने पर बैठ गए। नेता विरोधी दल मल्लिकार्जुन खरगे भी कुछ देर धरना स्थल पर बैठे और उनसे रात के समय धरना नहीं देने की अपील की। अब वे केवल दिन में ही धरने पर बैठ रहे हैं।

अविश्वास प्रस्ताव

प्रकटतः हंगामे के पीछे मुद्दा मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय हिंसा है, लेकिन असली वजह सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच का टकराव है, जिसमें संसद के भीतर संजीदगी के साथ कही गई बातों का अब कोई मतलब रह नहीं गया है। विपक्ष ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाकर इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। ऐसा ही सोलहवीं लोकसभा के मॉनसून-सत्र में हुआ था। उस प्रस्ताव के समर्थन में 126 वोट पड़े थे और उसके खिलाफ 325 सांसदों ने मत दिया था। वर्तमान सदन में सत्ताधारी पक्ष के पास 331 और इंडिया नाम के गठबंधन में शामिल दलों के पास 144 सांसद है। बीआरएस के नौ सांसद भी सरकार के खिलाफ वोट करेंगे, क्योंकि बीआरएस ने अलग से नोटिस दिया है। विपक्ष चाहता है कि इस पर तत्काल चर्चा हो, उसके बाद ही सदन में कोई भी विधायी कार्य हो। जब तक अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक सरकार को नीतिगत मामलों से जुड़ा कोई भी प्रस्ताव या विधेयक सदन में नहीं लाना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चुनौती दी कि विपक्ष के पास संख्या बल है तो उसे विधेयकों को पारित होने से रोककर दिखाना चाहिए।

Wednesday, July 26, 2023

आम चुनाव की तरफ कदम बढ़ाता पाकिस्तान


पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत तीनों देश, अब आम-चुनावों की ओर बढ़ रहे हैं. इनमें सबसे पहले होगा पाकिस्तान, जो करीब पंद्रह महीने की राजनीतिक गहमा-गहमी के बाद चुनावी रंग में रंगने वाला है. शहबाज़ शरीफ के नेतृत्व में काम कर रही वर्तमान सरकार अब किसी भी वक्त  नेशनल असेंबली को भंग करने की घोषणा करने वाली है. वे कह चुके हैं कि सरकार नेशनल असेंबली का कार्यकाल 12 अगस्त को खत्म होने के पहले हट जाएगी.

इस घोषणा के बावजूद चुनाव के समय को लेकर असमंजस हैं. एक और बड़ा असमंजस इमरान खान और उनकी पार्टी तहरीके इंसाफ को लेकर है. उसे चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने दिया जाएगा या नहीं. चुनाव आयोग का कहना है कि मामला अदालत में है और वहीं से निर्देश आएगा.

इमरान खान के संवाददाता सम्मेलन की खबरों के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई है. इमरान खान पर इतने केस चला दिए गए हैं कि वे उनमें उलझ गए हैं, फिर भी उनकी राजनीतिक शक्ति बनी हुई है. उनकी पार्टी के दर्जनों नेता उन्हें छोड़कर चले गए हैं. इसके पीछे सेना का दबाव बताया जाता है.

हालांकि उनकी पार्टी तकरीबन तोड़ दी गई है, फिर भी यह साफ है कि अवाम के बीच वे लोकप्रिय हैं. अपनी बदहाली के लिए इमरान खान खुद भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि उन्होंने अपने आप को खुद-मुख्तार मान लिया था, जबकि वे सेना की कठपुतली मात्र थे.   

Sunday, July 23, 2023

वीभत्स वीडियो और शर्मसार देश


सिर्फ एक वीडियो ने देश की अंतरात्मा को जगा दिया। प्रधानमंत्री को बोलने को मजबूर कर दिया और सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई करने की चेतावनी दे दी। मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा के जिस तरह के वीभत्स विवरण सामने आ रहे हैं, उनसे किसी भी देशवासी को शर्म आएगी। पिछले ढाई महीने में शायद ही कोई दिन रहा हो जब इस राज्य के किसी इलाक़े में हिंसक झड़प, हत्या या आगज़नी नहीं हुई हो, पर गत 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न के विचलित करने वाले वीडियो के सामने आने के बाद यह वितृष्णा पराकाष्ठा पर पहुँच गई है। एकसाथ कई तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। क्या यह केवल कुकी और मैतेई समुदायों के बीच की सामुदायिक हिंसा है या इसके पीछे किसी की कोई योजना है? बर्बरता दोनों तरफ से हुई है और कई तरह के वीडियो वायरल हो रहे हैं। कौन है इसके पीछे? यह हिंसा रुक क्यों नहीं रही? राज्य सरकार क्या सोई हुई है? केंद्र खामोश क्यों है? अदालतें क्या कर रही है वगैरह। इस वीडियो के आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बोलने में इतनी देर क्यों की? वे ऐसे प्रकरणों पर बोलते क्यों नहीं?  वे भारतीय मीडिया से बात क्यों नहीं करते?  उधर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, कोई कुछ नहीं करेगा, तो हमें कोई कदम उठाना होगा। क्या कदम उठा सकती है अदालत? अदालत ने कहा है कि वह इस मामले में 28 जुलाई को सुनवाई करेगी।

राजनीतिक रंग

ज्यादातर राजनीतिक दलों ने अपने-अपने नज़रिए से टिप्पणी की है, बल्कि इस वीडियो के वायरल होने की तारीख बता रही है कि इसके पीछे कोई राजनीतिक-दृष्टि है। वर्ना 4 मई की घटना के वीडियो को प्रकट होने में ढाई महीने क्यों लगे? कौन था, जिसे संसद के सत्र का इंतज़ार था?  किसी ने कहा इंटरनेट पर पाबंदी थी, इसलिए वीडियो वायरल नहीं हुआ। वस्तुतः सरकारी अधिसूचना के अनुसार राज्य में 20 जुलाई के दिन में तीन बजे तक इंटरनेट पर रोक थी। वायरल तो वह रोक के दौरान ही हुआ। उसके पहले भी मणिपुर के वीडियो सोशल मीडिया पर आ ही रहे थे। खबरें आ ही रही थीं और इतने महत्वपूर्ण वीडियो को तो राज्य के बाहर जाकर भी अपलोड किया जा सकता था। बहरहाल जो भी था। वीडियो के प्रकट होते ही सरकार ने मुख्य अभियुक्त की पहचान कर ली और उसे गिरफ्तार भी कर लिया। तभी क्यों नहीं पकड़ा, जब घटना की खबर मिली थी? यदि यह दो समुदायों के टकराव का मामला है, तो मुख्य अभियुक्त के गाँव की महिलाओं ने जो उसके मैतेई समुदाय से ही आती हैं, उसके घर को क्यों फूँका?  इस हिंसा में कोई एक पक्ष पीड़ित नहीं है। कुकी और मैतेई, दोनों ही पक्ष अत्याचार झेल रहे हैं। दोनों समुदायों के लोगों को ज़िंदा जलाए जाने के भी मामले सामने आए हैं। बताया जाता है कि इससे भी ज्यादा भयावह वीडियो लोगों के पास हैं। बहरहाल यह वीडियो बेहद शर्मनाक है और इस कृत्य की निंदा होनी चाहिए।

Wednesday, July 19, 2023

वैश्विक-मंच पर तेज होती जाएगी भारत-चीन स्पर्धा


पिछले तीन महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और फ्रांस की यात्राओं और एससीओ के शिखर सम्मेलन से भारतीय विदेश-नीति की दिशा स्पष्ट हो रही है. भारत पश्चिमी देशों के साथ अपने सामरिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत कर रहा है, पर कोशिश यह भी कर रहा है कि उसकी स्वतंत्र पहचान बनी रहे.

भारत और चीन के रिश्तों में फिलहाल पाँच फ्रिक्शन एरियाज़ माने जा रहे हैं, जो पूर्वी लद्दाख सीमा से जुड़े हैं, पर प्रत्यक्षतः दो बड़े अवरोध हैं. एक कुल सीमा-विवाद और दूसरे पाकिस्तान. पिछले शुक्रवार को भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर और चीन के पूर्व विदेशमंत्री वांग यी के बीच जकार्ता में हुए ईस्ट एशिया समिट के हाशिए पर मुलाकात हुई. इसमें भी रिश्तों को सामान्य बनाने वाले सूत्रों का जिक्र हुआ, पर सीमा-विवाद सुलझ नहीं रहा है.

चीन की वैश्विक-राजनीति इस समय दुनिया को एक-ध्रुवीय बनने से रोकने की है, तो भारत एशिया को एक-ध्रुवीयबनने नहीं देगा.  भारत की रणनीति ग्लोबल साउथो एकजुट करने में है, जो विश्व-व्यवस्था को भविष्य में प्रभावित करने वाली ताकत साबित होगी. चीन भी इसी दिशा में सक्रिय है, इसलिए हमारी प्रतिस्पर्धा चीन से होगी.  

जी-20 और ब्रिक्स

सितंबर के महीने में नई दिल्ली में होने वाले जी-20 के शिखर सम्मेलन में और दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन में चीन के बरक्स यह प्रतिस्पर्धा और स्पष्ट होगी. चीन चाहता है कि ब्रिक्स की सदस्य संख्या बढ़ाई जाए, पर भारत चाहता है कि बगैर एक सुपरिभाषित व्यवस्था बनाए बगैर ब्रिक्स का विस्तार करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

चीन की मनोकामना जल्द से जल्द पश्चिमी देशों की बनाई विश्व-व्यवस्था के समांतर एक नई व्यवस्था खड़ी करने की है. भारत और चीन के दृष्टिकोणों का टकराव अब ब्रिक्स में देखने को मिल सकता है.   

ग्लोबल साउथ

भारत की कोशिश है कि 54 देशों के संगठन अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का सदस्य बनाया जाए. इससे इस समूह को वैश्विक प्रतिनिधित्व मिलेगा. भारत की ग्लोबल साउथ योजना का यह भी एक हिस्सा है. यों अफ्रीकन यूनियन को सभी शिखर सम्मेलनों में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है. उसकी सदस्यता को केवल औपचारिक रूप ही दिया जाना है.

जी-20 में यूरोपीय देशों का प्रभाव और दबाव है. भारत चाहता है कि इसमें विकासशील देशों की बातों को स्वर मिले. यह ऐसा समूह है, जिसमें जी-7 देशों और चीन-रूस गुट का सीधा टकराव देखने को मिल रहा है.

Monday, July 17, 2023

2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में सत्तापक्ष और विपक्ष की कवायद शुरू


तकरीबन एक महीने की खामोशी के बाद इस हफ्ते राष्ट्रीय राजनीति में फिर से हलचल शुरू हो रही है। 20 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होगा, जो 11 अगस्‍त तक चलेगा। इस सत्र में सरकार की ओर से 32 अहम बिल संसद में पेश किए जाएंगे। इस दौरान विरोधी दल सरकार को मणिपुर की हिंसा,  यूसीसी और केंद्र-राज्य संबंधों को लेकर घेरने का प्रयास करेंगे। इस दौरान सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह विरोधी एकता की परीक्षा भी होगी। सवाल यह भी है कि संसद का सत्र ठीक से चल भी पाएगा या नहीं।

राजनीतिक दृष्टि से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने गठबंधनों को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। इस दृष्टि से सत्र शुरू होने के ठीक पहले 17 और 18 को बेंगलुरु में हो रही विरोधी-एकता बैठक भी महत्वपूर्ण होगी। इस बैठक में केवल चुनावी रणनीति ही नहीं बनेगी, बल्कि संसद के सत्र में विभिन्न मसलों को लेकर समन्वय पर भी विचार होगा। इस बैठक में शामिल होने के लिए 24 दलों को निमंत्रित किया गया है। इस बैठक को कांग्रेस पार्टी कितना महत्व दे रही है, इस बात का पता इससे भी लगता है कि उसमें सोनिया गांधी भी शामिल होंगी। पटना में 23 जून की बैठक के बाद तय हुआ था कि 10 से 12 जुलाई के बीच शिमला में विपक्षी दलों की दूसरी मीटिंग होगी, जिसमें भविष्य की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक की ज़िम्मेदारी कांग्रेस पार्टी पर सौंपी गई थी। कांग्रेस ने शिमला की जगह बेंगलुरु में बैठक बुलाई है।

इस दौरान महाराष्ट्र में एनसीपी के विभाजन, बंगाल के स्थानीय चुनावों में हुई हिंसा, पंजाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओपी सोनी की गिरफ्तारी और बिहार में राजद के नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होने से विरोधी-एकता को धक्का भी लगा है, पर इन पार्टियों ने अपने प्रयासों को जारी रखने, बल्कि उसे विस्तार देने का फैसला किया है। पटना में जहाँ 16 पार्टियों को बुलाया गया था (शामिल 15 ही हुई थीं) वहीं बेंगलुरु में 24 दलों को आमंत्रित किया गया है।

इस बैठक में ऐसे दलों को ही न्यौता दिया गया है जो प्रत्यक्ष रूप से भाजपा की राजनीतिक शैली और विचारधारा के खिलाफ मैदान में खड़े होते हैं। एमडीएमके, फॉरवर्ड ब्लॉक,आरएसपी और आईयूएमएल समेत आठ ऐसे दलों को बेंगलुरु बैठक में निमंत्रण दिया गया है, जिन्हें पटना में विपक्षी एकता की पहली बैठक में नहीं बुलाया गया था।