Sunday, July 24, 2022

इतिहास का सुनहरा अध्याय द्रौपदी मुर्मू


देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक है। जनजातीय समाज से वे देश की पहली राष्ट्रपति बनने जा रही हैं। इसके अलावा वे देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। उनकी विजय भारतीय राजनीति और समाज की भावी दिशा की ओर इशारा कर रही है। हमारा लोकतंत्र वंचित और हाशिए के समाज को बढ़ावा दे रहा है। और यह भी कि सामाजिक रूप से पिछड़े और गरीब तबकों के बीच प्रतिभाशाली राजनेता, विचारक, अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक, लेखक, कलाकार और खिलाड़ी मौजूद हैं, जो देश का नाम ऊँचा करेंगे। उन्हें बढ़ने का मौका दीजिए।

जबर्दस्त समर्थन

यह चुनाव राजनीतिक-स्पर्धा भी थी। जिस तरह से उन्हें विरोधी सांसदों और विधायकों के वोट मिले हैं, उससे भी देश की भावना स्पष्ट होती है। उनकी उम्मीदवारी का 44 छोटी-बड़ी पार्टियों ने समर्थन किया था, पर ज्यादा महत्वपूर्ण है, विरोधी दलों की कतार तोड़कर अनेक सांसदों और विधायकों का उनके पक्ष में मतदान करना। भारतीय राज-व्यवस्था में यह अलग किस्म की बयार है। तमाम मुश्किलों और मुसीबतों का सामना करते हुए देश के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने वाली इस महिला को देश ने जो सम्मान दिया है, वह अतुलनीय है।

मास्टर-स्ट्रोक

राजनीतिक दृष्टि से यह चुनाव बीजेपी का मास्टर-स्ट्रोक साबित हुआ है। जैसे ही द्रौपदी मुर्मू का नाम सामने आया, पूरे देश ने उनके नाम का स्वागत किया। इसका प्रमाण और इस चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्रॉस वोटिंग। सबसे अधिक क्रॉस वोटिंग असम में हुई। असम में 22 और मध्य प्रदेश में 19 क्रॉस वोट पड़े। 126 सदस्यीय असम विधानसभा से उन्हें 104 वोट मिले। असम विधानसभा में एनडीए के 79 सदस्य हैं। मतदान के दौरान विधानसभा के दो सदस्य अनुपस्थित भी थे। राजनीतिक दृष्टि से यह भारतीय जनता पार्टी को मिली भारी सफलता और विरोधी दलों की रणनीति की भारी पराजय है। बावजूद इस सफलता के, उन्हें मिले एकतरफा समर्थन की यह राजनीतिक-तस्वीर पूरे देश की नहीं है। चार राज्यों में उन्हें कुल वोटों की तुलना में 12.5 फीसदी या उससे भी कम वोट मिले। सबसे कम केरल में उन्हें 0.7 फीसदी मत मिले, जहां एकमात्र विधायक ने उनके पक्ष में वोट डाला। तेलंगाना में उन्हें केवल 2.6 फीसदी वोट मिले। पंजाब में 7.3 फीसदी और दिल्ली में 12.5 फीसदी। अलबत्ता तमिलनाडु में 31 फीसदी वोट मिले, जिसकी वजह अद्रमुक का समर्थन है।

विरोधी बिखराव

यह परिणाम देश की पहली महिला आदिवासी के राष्ट्रपति बनने की कहानी तो है ही, साथ ही विरोधी दलों के आपसी मतभेद और अलगाव को भी दिखाता है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर ने श्रीमती मुर्मू का समर्थन करके उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के गठबंधन की एकजुटता के लिए चुनौती पेश कर दी है। उधर तृणमूल कांग्रेस द्वारा उप राष्ट्रपति पद के चुनाव में मार्गरेट अल्वा का समर्थन न करने की घोषणा के बाद विरोधी दलों का यह बिखराव और ज्यादा खुलकर सामने आ गया है। प्रकारांतर से ममता बनर्जी श्रीमती मुर्मू का विरोध नहीं कर पाईं। उन्होंने कहा था,  हमें बीजेपी की उम्मीदवार के बारे में पहले सुझाव मिला होता, तो इस पर सर्वदलीय बैठक में चर्चा कर सकते थे। द्रौपदी मुर्मू संथाल-समुदाय से आती हैं। पश्चिम बंगाल के 70 फ़ीसदी आदिवासी संथाल हैं। उन्हें पश्चिम बंगाल के अपने आदिवासी मतदाता को यह समझाना होगा कि उन्होंने मुर्मू का समर्थन क्यों नहीं किया।

Wednesday, July 20, 2022

रानिल विक्रमासिंघे श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने गए

श्रीलंका की संसद में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में भी कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अभी तक काम कर रहे रानिल विक्रमासिंघे को जीत मिली है। इसके पहले देश के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर सिंगापुर चले गए थे। उनके भाई महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी। वे तब से कहाँ हैं, इसकी कोई सूचना नहीं है।

यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला तीन उम्मीदवारों के बीच हुआ। मुकाबला रानिल विक्रमासिंघे, डलास अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच था। विक्रमासिंघे को 134 वोट मिले हैं। 223 सदस्यों वाली संसद में दो सांसद नदारद रहे और कुल 219 वोट्स वैध और 4 वोट अवैध घोषित हुए। श्रीलंका के संविधान के मुताबिक नया राष्‍ट्रपति अब नवंबर 2024 तक पूर्व राष्‍ट्रपति के कार्यकाल को पूरा करेगा।

इस जीत से फौरी तौर पर राजनीतिक अस्थिरता का समाधान हो गया है, पर यह समझ में नहीं आ रहा है कि आर्थिक संकट का समाधान कैसे निकलेगा। इस चुनाव परिणाम में जनता की दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है। चुनाव परिणाम आने के बाद भी राजधानी कोलंबो में प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी रानिल विक्रमासिंघे का भी विरोध कर रहे हैं। रानिल विक्रमासिंघे भी देश में अलोकप्रिय हैं और उनके निजी आवास में भी आक्रोशित भीड़ ने आग लगा दी थी।

Tuesday, July 19, 2022

गर्मी से परेशान यूरोप

 

मंगलवार के वॉलस्ट्रीट जरनल के पहले पेज पर प्रकाशित तस्वीर। बकिंघम पैलेस पर तैनात संतरी को ठंडा पानी पिलाता उसका अफसर। 

पश्चिमी यूरोप इन दिनों झुलसाने वाली गर्मी का सामना कर रहा है। ज़बरदस्त गर्म हवाओं के उत्तर की ओर बढ़ने के साथ ही मंगलवार को पश्चिमी यूरोप में पारा चढ़ता जा रहा है। कई देशों ने इसे राष्ट्रीय संकट घोषित कर दिया है। फ्रांस और यूके में सोमवार 18 जुलाई को बेहद गर्मी की चेतावनी जारी की गई। वहीं स्पेन में सोमवार को 43 डिग्री तापमान रहा।

फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन और ग्रीस में जंगल की आग के कारण हज़ारों लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों की तरफ जाना पड़ा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ब्रिटेन जल्द ही अपने सबसे गर्म दिन का सामना करेगा और फ्रांस के कुछ हिस्सों में "कयामत की गर्मी बरस" रही है।

पूरा यूरोप गर्मी में उबल रहा है। जंगलों में लगी आग ने मुश्किलों का और बढ़ा दिया है। यूनाइटेड किंगडम (यूके) से लेकर हर हिस्से में तापमान नए रिकॉर्ड बना रहा है। स्पेन में लगी आग में दो लोगों की मौत ने इसे और गंभीर बना दिया है। स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने इसे ग्लोबल वॉर्मिंग से जोड़ा है और कहा है कि जलवायु परिवर्तन लोगों की जान ले रहा है।

दक्षिणी इंग्‍लैंड में सोमवार को तापमान 38 डिग्री था जो मंगलवार को 41 डिग्री के आसपास है। नेशनल रेल सर्विस ने यात्रियों को सलाह दी है कि जब तक जरूरी न हो सफर न करें। पूर्वोत्तर इंग्‍लैंड में कई जगह रेल सेवा बंद कर दी गई है।

Monday, July 18, 2022

अदालत में लड़ी जाएगी ट्विटर और मस्क की लड़ाई


सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर और टेस्ला-प्रमुख एलन मस्क के बीच 44 अरब डॉलर का सौदा खटाई में पड़ गया है। अब यह मामला लम्बी कानूनी लड़ाई का रूप लेने जा रहा है। इसमें दोनों पक्षों के अरबों डॉलर स्वाहा होंगे। ट्विटर के चेयरमैन ब्रेट टेलर का कहना है कि ट्विटर बोर्ड निर्धारित शर्तों पर समझौते को लागू कराएगा। इसके लिए हम डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे विवादों में आमतौर पर डेलावेयर कोर्ट का रुख रहता है कि दोनों पक्ष आपस में बैठकर नया समझौता कर लें।  

ऐसे मौके भी आए हैं, जब अदालतों ने किसी एक पक्ष को समझौता मानने को मजबूर किया हो, पर वे छोटे करार थे। यह करार बहुत बड़ा है। एलन मस्क जैसे जुनूनी पूँजीपति को अपनी इच्छा के विपरीत कम्पनी खरीदने के लिए तैयार करना भी मुश्किल है। ज्यादा से ज्यादा एक अरब डॉलर का खामियाजा भरने के लिए कहा जा सकता है। समझौते में ब्रेक-अप फ़ी एक अरब डॉलर है। दोनों कम्पनियों ने देश की नामी लॉ फर्म्स को इस काम के लिए जोड़ा है, पर दोनों के सामने अनिश्चित भविष्य है।

कमजोर कारोबार

कॉरपोरेट लॉ विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्विटर का केस अपेक्षाकृत मजबूत है। मस्क के लिए यह साबित करना मुश्किल होगा कि ट्विटर ने जो विवरण दिया है, वह अधूरा है या उससे कम्पनी के कारोबार में भारी फर्क पड़ने का खतरा है। पर ट्विटर का आर्थिक आधार बहुत मजबूत नहीं है। डिजिटल-विज्ञापन के बाजार में भारी उतार-चढ़ाव आ रहे हैं। मस्क की जेब भारी है, पर क्या उनके पास इतना पैसा है कि वे लम्बी लड़ाई लड़ सकें?

दोनों कम्पनियों के शेयरों के भाव गिरे हुए हैं। इन बातों से दोनों का आर्थिक-भविष्य भी जुड़ा है। अदालती फैसला मस्क के खिलाफ गया, तो उन्हें अब टेस्ला के कुछ और शेयर बेचने होंगे। अप्रेल में उन्होंने टेस्ला के 8.5 अरब के शेयर बेचे थे। दूसरी तरफ जनवरी से अप्रेल के बीच उन्होंने 2.6 अरब डॉलर की कीमत के ट्विटर के शेयर भी खरीदे थे।

पहले ना, फिर हाँ

इस साल 13 अप्रेल को जब एलन मस्क ने ट्विटर पर कब्जा करने के इरादे से 54.20 डॉलर की दर से शेयर खरीदने की पेशकश की, तो सोशल मीडिया में सनसनी फैल गई थी। दुनिया का सबसे अमीर आदमी सोशल मीडिया के एक प्लेटफॉर्म की इतनी बड़ी कीमत क्यों देना चाहता है? टेकओवर वह भी जबरन, जिसे रोकने के लिए ट्विटर प्रबंधन ने पहले तो ‘पॉइज़न पिल’ का इस्तेमाल किया और फिर तैयार हो गए। पर ढाई-तीन महीने के भीतर समझौता टूटना उतना ही नाटकीय है, जितना समझौता होना।

एलन मस्क ने यह कहकर हाथ खींचा है कि इस क़रार से जुड़ी शर्तों को कई बार तोड़ा गया, जिसकी वजह से वे पीछे हट रहे हैं। मस्क के अनुसार कम्पनी ने उनको ट्विटर के फ़र्ज़ी हैंडलों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी थी। इसके अलावा भी समझौते की कई शर्तों को तोड़ा गया है। समझौते के साथ मस्क और ट्विटर दोनों की साख जुड़ी हुई हैं। दोनों के कारोबार पर भी इसका असर होगा।

Sunday, July 17, 2022

आई2यू2 यानी भारत की ‘लुक-वेस्ट’ नीति


भारत-इजराइल-अमेरिका और यूएई के बीच नवगठित समूह आई2यू2 की गुरुवार 14 जुलाई को हुई पहली शिखर बैठक में भारत के लिए नए अवसर खुले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, इजरायल के प्रधानमंत्री येर लेपिड और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाह्यान की इस वर्चुअल बैठक में दो अहम परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई गई, जो भारत में शुरू होंगी। भारत और यूएई के बीच फूड एक कॉरिडोर बनाया जाएगा। दूसरे भारत के द्वारका में अक्षय ऊर्जा हब बनाया जाएगा। यह आर्थिक कार्यक्रम है, पर इसके पीछे पश्चिम एशिया की भावी राजनीति और इसमें भारत की भूमिका को भी देखा जा सकता है। 

बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति और इजराइल के प्रधानमंत्री तेल अवीव से शामिल हुए थे। जो बाइडेन 13 से 16 जुलाई तक पश्चिम एशिया के दौरे पर थे। उनकी इस यात्रा के पीछे पश्चिम एशिया में अपने मित्र देशों के आधार को मजबूत करने के अलावा यूक्रेन युद्ध के कारण इस समय दुनिया में पेट्रोलियम की कीमतों में तेजी को रोकना भी है। इस तेजी का लाभ रूस को मिल रहा है। अमेरिका की कोशिश है कि सऊदी अरब के सहयोग से इस तेजी पर काबू पाया जाए।
फलस्तीन की समस्या

बाइडेन चाहते हैं कि इजरायल और फलस्तीनियों के बीच दीर्घकालीन समझौता हो जाए। पर यह समझौता फलस्तीनी अथॉरिटी के महमूद अब्बास के साथ होगा। जो बाइडेन टू स्टेट अवधारणा क समर्थन कर रहे हैं। उनकी महमूद अब्बास से मुलाकात भी हुई है। पर समझौता आसान नहीं है। खासतौर से हमस का रुख काफी कड़ा है और गज़ा पट्टी पर हमस का ही दबदबा है। महमूद अब्बास के संगठन और इजरायल दोनों के साथ भारत के रिश्ते अच्छे हैं, जिनका लाभ लिया जा सकता है।

हमस मूलतः उग्रवादी संगठन है, पर 2005 के बाद से उसने गज़ा पट्टी के इलाके में राजनीतिक प्रक्रिया में हिस्सा लेना भी शुरू कर दिया। वह फलस्तीनी अथॉरिटी के चुनावों में शामिल होने लगा। गज़ा में फतह को चुनाव में हराकर उसने प्रशासन अपने अधीन कर लिया है। अब फतह गुट का पश्चिमी तट पर नियंत्रण है और गज़ा पट्टी पर हमस का। अंतरराष्ट्रीय समुदाय पश्चिमी तट के इलाके की अल फतह नियंत्रित फलस्तीनी अथॉरिटी को ही मान्यता देता है। 

शिखर बैठक के बाद भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि शुरूआती दौर में फिलहाल गुजरात और मध्य प्रदेश में यह पार्क बनाने की कवायद आगे बढ़ी है। उन्होंने बताया कि भारत की केला, चावल, आलू, प्याज और मसालों की फसलों को आरंभिक दौर में चिह्नित भी किया गया है। इन परियोजनाओं के जरिए भारतीय किसानों के उत्पादों को बड़ा बाजार मिलेगा, वहीं रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।

दो अरब डॉलर का निवेश

इस शिखर बैठक के बाद संयुक्त अरब अमीरात ने घोषणा की कि वह एकीकृत फूड पार्कों की श्रृंखला का विकास करने के लिए भारत में दो अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसका उद्देश्य दक्षिण और पश्चिम एशिया में खाद्य असुरक्षा की समस्या का सामना करना है। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि इस कार्य के लिए भूमि और किसानों को जोड़ने का काम भारत करेगा। इस बैठक में इस इलाके की खाद्य-सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा, खाद्य उत्पादन तथा वितरण प्रणाली में बदलावों को सुनिश्चित करने पर विचार हुआ, ताकि वैश्विक खाद्य-सामग्री का भंडार बनाया जा सके।

इस कार्य में अमेरिका और इजराइल से निजी क्षेत्रों को आमंत्रित किया जाएगा और उनकी विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाएगा। वे परियोजना की कुल वहनीयता में योगदान देते हुए नवोन्मेषी समाधानों की पेशकश भी करेंगे। पूँजी निवेश से उपज बेहतर होगी और इससे दक्षिण एशिया एवं पश्चिम एशिया में खाद्य असुरक्षा से निपटा जा सकेगा।

आई2यू2 ग्रुप

आई2यू2 यानी अंग्रेजी आई 2 (इंडिया और इजरायल) और यू 2 (यानी यूएसए और यूएई)। इसे पश्चिम एशिया का क्वॉड भी कहा जा रहा है। इस अनौपचारिक समूह की शुरुआत अक्तूबर 2021 में विदेशमंत्री एस जयशंकर की इजरायल यात्रा के दौरान उपरोक्त चारों देशों के विदेशमंत्रियों की एक पहल के रूप में हुई थी। उस समय इसे आर्थिक सहयोग का अंतरराष्ट्रीय फोरम भी कहा गया था।

आई2यू2 समूह को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि पश्चिम एशिया में भारत के साथ अमेरिकी साझेदारी गेम चेंजर हो सकती है। यह बात पूर्व इजरायल के पूर्व एनएसए मेजर जनरल याकोव अमिद्रोर ने गत 14 जुलाई को फोरम की पहली उच्च स्तरीय बैठक से पहले कही। भारत सरकार ने मंगलवार 12 जुलाई को आई2यू2 नेताओं के वर्चुअल शिखर सम्मेलन की घोषणा करते हुए कहा कि यह समूह पानी, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा जैसे छह पारस्परिक रूप से पहचाने गए क्षेत्रों में संयुक्त निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए काम करेगा।

इजरायल  के पूर्व एनएसए ने कहा,  आई2यू2 दुनिया के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें इजरायल  और यूएई में रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की उम्मीद है। उन्होंने कहा, भारत की भूमिका यूरोप और इजरायल  के साथ एक सेतु की है और पूरे संदर्भ में भारत एक बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

नया क्वॉड

इसमें दो राय नहीं कि हाल के वर्षों में भारत ने इस इलाके में सम्पर्क बढ़ाया है। हाल में जर्मनी में हुई जी-7 की शिखर-बैठक में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी यूएई की संक्षिप्त-यात्रा पर भी गए थे। अमेरिका की दिलचस्पी इस बात में भी है कि इजरायल के रिश्ते इस क्षेत्र के देशों के साथ बेहतर हों। इसमें यूएई के अलावा सऊदी अरब की भूमिका भी है। इसमें यूएई, मोरक्को और बहरीन के साथ हुआ अब्राहमिक समझौता मददगार होगा। इस प्रक्रिया को आई2यू2 समूह बढ़ाएगा।