हिंदी पत्रकारिता का हिंदी से क्या रिश्ता है?
Submitted by admin on Sat, 2014-09-13 18:35
प्रमोद जोशी
पूर्व संपादक, हिन्दुस्तान
हिंदी के नाम पर हम दो दिन खासतौर से मनाते हैं। पहला हिंदी पत्रकारिता दिवस, जो 30 मई 1826 को प्रकाशितहिंदी के पहले साप्ताहिक अख़बार ‘उदंत मार्तंड’ की याद में मनाया जाता है और दूसरा हिंदी दिवस जो संविधान में हिंदी कोसंघ की राजभाषा बनाए जाने से जुड़े प्रस्ताव की तारीख 14 सितम्बर 1949 की याद में मनाया जाता है। हिंदी और पत्रकारिता का खास रिश्ता बनता है। उन्हें अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। संयोग से पत्रकारिता और हिंदी दोनों इन दिनों बड़े बदलावों से गुज़र रहे हैं। और दोनों की गिरावट को लेकर एक बड़े तबके को शिकायत है। हाल के वर्षों में रोमन हिंदी का चलन बढ़ा है। उसके लोकप्रिय होने की वजह को भी हमें समझना होगा।
समय के साथ संसार बदलता है। भाषाएं और उनकी पत्रकारिता भी। हिंदी को भी बदलना है। पर क्या उसमें आ रहे बदलाव स्वाभाविक हैं? बदलाव से आशय है, उसमें प्रवेश कर रहे अंग्रेज़ी के शब्द। मसलन प्रधानमंत्री को प्राइम मिनिस्टर, छात्र को स्टूडेंट और गाड़ी को वेईकल लिखने से क्या भाषा ज्यादा सरल और सहज बनती है? दुनियाभर में अख़बार अपनी भाषा को आसान और आम-फहम बनाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उनका पाठक-वर्ग काफी बड़ा होता है। हिंदी के जिस रूप को हम देख रहे हैं वह डेढ़ सौ से दो सौ साल पुराना है। उदंत मार्तंड की हिंदी और आज की हिंदी में काफी बदलाव आ चुका है। हिंदी के इस स्वरूप की बुनियाद फोर्ट विलियम कॉलेज की पाठ्य-पुस्तकों से पड़ी।