प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कोरोना संक्रमण काल में भारत ने पूरी दुनिया को ‘उम्मीदों के गुलदस्ते’ जैसा एक खूबसूरत उपहार दिया है, जिसमें भारतीयों का लोकतंत्र पर अटूट विश्वास, 21वीं सदी को सशक्त करने वाली प्रौद्योगिकी, भारतीयों का मिजाज और उनकी प्रतिभा शामिल है। विश्व आर्थिक मंच के दावोस एजेंडा में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से ‘विश्व की वर्तमान स्थिति’ (स्टेट ऑफ द वर्ल्ड) पर अपने विशेष संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कोरोना के इस समय में भारत ‘वन अर्थ, वन हैल्थ’’ की दृष्टि पर चलते हुए अनेक देशों को जरूरी दवाइयां और टीके देकर करोड़ों जीवन बचा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘आज
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जब से
कोरोना महामारी की शुरुआत हुई तब से भारत में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में भोजन
दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘शायद दुनिया में इस प्रकार का यह सबसे
बड़ा कार्यक्रम होगा। हमारी कोशिश है कि संकट के कालखंड में गरीब से गरीब की चिंता
सबसे पहले हो। इस दौरान हमने सुधार पर भी जोर दिया। सुधार के लिए हमारे कदमों को
लेकर दुनिया के अर्थशास्त्री भी भरपूर सराहना कर रहे हैं। भारत बहुत मजबूती से आगे
बढ़ रहा है।’
व्यवधान पर राजनीतिक-तंज
कोरोना महामारी के कारण वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम
की बैठक वर्चुअल हो रही है। भाषण के दौरान कुछ देर व्यवधान हुआ जिसे लेकर विरोधी दल
कांग्रेस और कुछ अन्य लोगों ने तंज कसना शुरू कर दिया। मोदी के दिए भाषण के वीडियो में नजर
आता है कि एक जगह वे बार-बार अपनी बाईं ओर देखते हैं, और
कुछ सेकेंड की चुप्पी के बाद फ़ोरम के अध्यक्ष क्लॉस श्वाब से पूछते हैं कि क्या
उनकी और उनके दुभाषिए की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही है? इसके बाद वे अपना भाषण दोबारा देने
लगते हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि बीबीसी हिंदी की वैबसाइट ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भाषण को कवर किया है, नरेंद्र मोदी के भाषण को नहीं। वैबसाइट ने मोदी के भाषण के टेलीप्रॉम्प्टर प्रसंग को जरूर कवर किया है, पर उन्होंने क्या कहा, इसे कवर करने की जरूरत नहीं समझी।
भाषण के दौरान बाधा क्यों आई इसे लेकर आधिकारिक
तौर पर कुछ नहीं बताया गया है, पर सोशल मीडिया पर अटकलें लगने लगीं कि
ऐसा टेलीप्रॉम्प्टर की वजह से हुआ। भाषण में विराम इतना लंबा भी नहीं था कि उससे
कोई निष्कर्ष निकाला जाता। ऐसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी ने इसके पहले बगैर टेलीप्रॉम्प्टर
के भाषण नहीं दिए हों। जाहिर है कि विश्व आर्थिक फोरम का भाषण पहले से लिखा गया
होगा, क्योंकि वह सामान्य भाषण नहीं था। वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी लिखित
भाषण पढ़ते रहे हैं। मोदी ही नहीं इसके पहले देश के प्रधानमंत्री और विदेशमंत्री
लिखित भाषण पढ़ते रहे हैं।
शी की चेतावनी
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस फोरम में चेतावनी दी है कि
वैश्विक टकराव के भीषण नतीजे हो सकते हैं। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि इतिहास
इस बात का गवाह है कि टकराव से समस्याओं का हल नहीं निकलता है। उन्होंने कहा कि
कोरोना महामारी के असर से निपटने के लिए साझा कोशिशें किए जाने की ज़रूरत है। चीनी
राष्ट्रपति ने कहा कि मानवता महामारी से उबर जाएगी। उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था
की स्थिति और ख़राब होने से रोकने के लिए आर्थिक नीतियों के बेहतर समन्वय का भी
आह्वान किया है।
शी चिनफिंग के भाषण का लहजा पिछली बार की तरह
ही था। उन्होंने कोरोना महामारी से निपटने के मामले में चीन की कामयाबी का जिक्र
किया। उन्होंने कहा कि चीन दुनिया की इकलौती ऐसी अर्थव्यवस्था है जो मजबूत नतीजे
दे रही है। दुनिया की प्रमुख शक्तियों के संबंधों में आई कमज़ोरी की तरफ़ संकेत
देते हुए उन्होंने भविष्य के प्रति आगाह किया।
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