सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार के अनुसार उत्तर प्रदेश के चुनाव में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। आज के मिंट में प्रकाशित उनकी रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण राजनीतिक फसल काटने का अच्छा जरिया है। एक पार्टी हिंदू वोट को हथियाने का प्रयास करती है तो दूसरी पार्टी मुसलमानों के वोटर को लुभाती है। राज्य में मुस्लिम आबादी 19.3 फीसदी है।
सीएसडीएस के चुनाव बाद के सर्वेक्षणों से
प्राप्त डेटा का अध्ययन करने से निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि 2014 और 2019 के लोकसभा
चुनाव में और 2017 के विधानसभा चुनाव में हिंदुओं के कुल वोटों में से आधे भारतीय
जनता पार्टी के खाते में गए। जिन सीटों पर बीजेपी की हार हुई, उनमें भी हिंदुओं के
वोट भारी संख्या में बीजेपी को मिले।
इसके विपरीत समाजवादी पार्टी को मुस्लिम वोट
बड़ी संख्या में मिले। जिन क्षेत्रों में मुसलमानों के वोट कांग्रेस, बसपा और सपा
के बीच बँटे, वहाँ भी सपा को सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव
में करीब मुस्लिम वोटरों ने सपा का साथ दिया, फिर भी पार्टी को भारी अंतर से पराजय
का सामना करना पड़ा।
ध्रुवीकरण मददगार
एक बात यह भी स्पष्ट हुई है कि जो पार्टियाँ
मुस्लिम वोटों के सहारे हैं, वे भी हिंदू वोटों की अनदेखी नहीं कर सकती हैं। सन
2017 के चुनाव में बीजेपी ने उन सब सीटों पर सफलता हासिल की, जहाँ मुसलमान 30 से
40 फीसदी हैं। बीजेपी के पक्ष में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के कारण दूसरी
पार्टियाँ केवल मुस्लिम वोट के सहारे जीत नहीं सकतीं। जिन क्षेत्रों में मुसलमान
40 फीसदी से ज्यादा है, वहाँ बीजेपी नहीं जीत सकती। 2017 में जहाँ बीजेपी ने राज्य
में भारी बहुमत हासिल किया, वहीं जिन क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी 40 फीसदी से
ज्यादा है, वहाँ सपा को जीत मिली। बीजेपी ऐसी 60 फीसदी सीटों पर हारी।
स्विंग वोटर
जबर्दस्त सांप्रदायिक अभियान ऐसे वोटरों को अपनी
तरफ खींचने में कामयाब होता है, जो मतदान के एक-दो दिन पहले फैसला करते हैं। स्विंग
वोटर किसी पार्टी के वफादार नहीं होते, और वे प्रत्याशी या मुद्दों पर वोट देते
हैं। आमतौर पर वे उसे वोट देते हैं, जिसकी जीत नजर आ रही हो। सीएसडीएस सर्वे के
अनुसार उत्तर प्रदेश में करीब 25 फीसदी स्विंग वोटर हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में 41 फीसदी स्विंग
वोटरों ने ऐसे प्रत्याशी को वोट दिया, जो उनकी निगाह में जीतता नजर आ रहा था, जबकि
8 फीसदी ने यह जानते हुए भी वोट दिया कि पार्टी हार जाएगी। जीतने वाली पार्टी के
पक्ष में स्विंग मुसलमानों के बीच ज्यादा है। सर्वेक्षण के दौरान आधे से ज्यादा
वोटरों ने कहा कि उन्होंने उस प्रत्याशी को वोट दिया, जो हमें लगा कि जीत जाएगा।
सांप्रदायिक अभियान का एक उद्देश्य स्विंग वोटर को अपने साथ लाना भी होता है।
No comments:
Post a Comment