Sunday, January 16, 2022

आम बजट की चुनौतियाँ और उम्मीदें


संसद का बजट-सत्र 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। दो कारणों से इस बजट के सामने चुनौतियाँ हैं। एक तो महामारी की तीसरी सबसे ऊँची लहर सामने है। दूसरे पाँच राज्यों में चुनाव हैं, जिसके कारण सरकार के सामने अलोकप्रियता से बचने और लोकलुभावन रास्ता अपनाने की चुनौती है। देश का कर-राजस्व बढ़ रहा है, फिर भी जीएसटी अब भी चुनौती बना है। आयकर को लेकर मध्यवर्ग आस लगाए बैठा है। रेल बजट अब आम बजट का हिस्सा होता है। उसे लेकर घोषणाएं संभव हैं। ग्रामीण विकास, खेती, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और ग्रामीण महिलाओं से जुड़े कार्यक्रम भी सामने आएंगे। ज्यादा बड़ा सवाल यह है कि कोविड-19 की लहर के दौरान यह सत्र चलेगा कैसे? पर सबसे बड़ी उत्सुकता यह जानने में है कि अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा रही है और उत्तर-कोरोना व्यवस्था कैसी होगी? बढ़ती बेरोजगारी को कैसे रोका जाएगा, सामाजिक कल्याण के नए उपाय क्या होंगे और उनके लिए संसाधन कहाँ से आएंगे?

राजस्व-घाटा

सरकार 2021-22 बजट के अनुमानित ख़र्च के ऊपर, 3.3 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय कर रही है, जिसे ग़रीबों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने, एयर इंडिया का निजीकरण की प्रक्रिया के तहत उसके कर्ज़ की अदायगी, निर्यात को बढ़ावा देने की विभिन्न स्कीमों के तहत प्रोत्साहन उपलब्ध कराने, और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी स्कीम के अंतर्गत ज़्यादा पैसा देने पर ख़र्च किया जा रहा है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 16.6 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है, जो जीडीपी का करीब 7.1 फीसदी होगा। राज्यों का राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी के अपेक्षाकृत कम स्तर पर रहने का अनुमान है। इस तरह केंद्र एवं राज्यों का सामान्य राजकोषीय घाटा जीडीपी के करीब 10.4 प्रतिशत तक पहुंचेगा।

बेहतर कर-संग्रह

अर्थव्यवस्था की पहली झलक सत्र के पहले दिन आर्थिक समीक्षा से मिलेगी। सरकार पिछले साल की तुलना में बेहतर स्थिति में है। वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने प्रत्यक्ष कर-संग्रह के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि 16 दिसंबर तक नेट कलेक्शन 9.45 लाख करोड़ रुपये है। एक साल पहले इसी अवधि में यह 5.88 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह 60.8 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। वेतनभोगी और पेंशनधारक आयकर-राहत की आस में बैठे हैं। उन्हें उम्मीद है कि 50,000 रुपये की मानक कटौती की सीमा को 30 से 35 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। जिन्होंने नई कर-व्यवस्था का विकल्प चुना है, वे स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए पात्र नहीं हैं। कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य संबंधी खर्चों को देखते हुए इस सीमा को 30-35 प्रतिशत बढ़ाने की मांग की जा रही है। घर से काम करने के कारण बिजली और इंटरनेट पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। कोविड मरीजों को भी छूट देने की माँग है।

Friday, January 14, 2022

पाकिस्तान की सुरक्षा-नीति है या चूँ चूँ का मुृरब्बा?


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को देश की पहली राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति को जारी किया है। इस नीति में भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की मनोकामना व्यक्त की गई है, साथ ही कश्मीर को द्विपक्षीय संबंधों का आधार बताया गया है। इस नीति में पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि हिंदुत्व आधारित भारतीय राजनीति पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए चिंता का सबब है। यह बात अपने आप में विचित्र है।

इस नीति में कहा गया है कि कश्मीर मुद्दे का न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाधान होने तक यह हमारे द्विपक्षीय रिश्तों का आधार बना रहेगा। इस दस्‍तावेज में चीन के साथ अच्छे बनाए रखने और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को पाकिस्तान के लिए राष्‍ट्रीय महत्व का प्रोजेक्‍ट बताया गया है।

इमरान सरकार भारत के दोस्त रूस के साथ भी अच्छे रिश्ते बनाना चाहती है। दस्तावेज में कहा गया है कि अमेरिका के साथ हमारे सहयोग का लंबा इतिहास रहा है। पाकिस्तान किसी खेमे की राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहता है और अमेरिका के साथ व्यापक रिश्ते बनाना चाहता है।

भूटान के विवादित-क्षेत्र में निर्माण के पीछे चीनी इरादों को समझने की जरूरत


समाचार एजेंसी रायटर्स ने खबर दी है कि चीन ने भूटान के साथ विवादित-क्षेत्र में इमारतें बनाने का काम तेज गति से शुरू कर दिया है। एजेंसी के लिए किए गए सैटेलाइट फोटो के विश्लेषण से पता लगा है कि छह जगहों पर 200 से ज्यादा इमारतों के निर्माण का काम चल रहा है। इन निर्माणों के पीछे की चीनी मंशा को समझने की जरूरत है। चूंकि अब चीन और भूटान के बीच सीधी बातचीत होती है, इसलिए अंदेशा पैदा होता है कि कहीं वह भूटान को किसी किस्म का लालच देकर ऐसी जमीन को हासिल करना तो नहीं चाहता, जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करे।

ये तस्वीरें और उनका विश्लेषण अमेरिका की डेटा एनालिटिक्स फर्म हॉकआई360 (HawkEye 360) ने उपलब्ध कराया है। सैटेलाइट चित्र कैपेला स्पेस और प्लेनेट लैब्स नाम की फर्मों ने उपलब्ध कराए हैं। चीन जिन गाँवों का निर्माण कर रहा है, वे डोकलाम पठार से 30 किमी से भी कम दूरी पर हैं। सूत्रों ने कहा कि भूटान में विवादित क्षेत्र के भीतर चीनी गांवों का इस्तेमाल सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए किए जाने की संभावना है।

भूटान की पश्चिमी सीमा पर चीनी निर्माण की गतिविधियाँ 2020 के शुरुआती दिनों से ही चल रही हैं। शुरू में रास्ते बनाए गए और जमीन समतल की गई। 2021 में काम तेज किया गया, इमारतों की बुनियाद डाली गई और फिर इमारतें खड़ी की गईं। इन सभी छह जगहों को लेकर भूटान और चीन के बीच विवाद है। जब रायटर्स ने इस सिलसिले में भूटान के विदेश मंत्रालय से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि हम अपने सीमा विवाद की चर्चा सार्वजनिक रूप से नहीं करते हैं। उधर चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि ये निर्माण स्थानीय निवासियों की सुविधा के लिए किए जा रहे हैं। यह चीनी क्षेत्र है और हमें अपनी जमीन पर निर्माण करने का अधिकार है।

Tuesday, January 11, 2022

अफरा-तफरी नहीं, धैर्य से सामना कीजिए ओमिक्रॉन का


ओमिक्रॉन-संक्रमण जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए किसी एक संख्या पर उँगली रखना मुश्किल है। कई राज्यों ने आंशिक लॉकडाउन शुरू कर दिया है। दिल्ली में स्कूल, कॉलेज, जिम, सिनेमा हॉल बंद हैं। मेट्रो-बसों में यात्रियों की संख्या सीमित की गई है। रात 10 से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने रविवार को राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ ऑनलाइन बैठक की और नए निर्देश जारी किए हैं।

भारत में ओमिक्रॉन का पहला मरीज दक्षिण अफ्रीका से आया था। इसके कुछ दिन बाद वह दुबई चला गया। इसके बाद यह बात चर्चा का विषय बनी कि जब दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर कई देश रोक लगा चुके हैं तो भारत इसे क्यों नहीं रोक रहा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा मुंबई और तेलंगाना समेत कई राज्यों ने जोखिम वाले देशों से यात्रा बंद करने की मांग की। पश्चिम बंगाल सरकार ने ब्रिटेन से कोलकाता आने वाली उड़ानों को निलंबित करने का फैसला किया है।

Sunday, January 9, 2022

सोशल मीडिया पर नफरत की खेती


बुल्ली बाई प्रकरण ने हमारे जीवन, समाज और संस्कृति की पोल खोली है। इस सिलसिले में अभी तक गिरफ्तार सभी लोग युवा या किशोर हैं, जिनमें एक लड़की भी है। यह बात चौंकाती है। इन युवाओं की दृष्टि और विचारों का पता बाद में लगेगा, पर इसमें दो राय नहीं कि ज़हरीली-संस्कृति को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया की भूमिका की अनदेखी करना घातक होगा। इसके पहले जुलाई 2021 में सुल्ली डील्स नाम से गिटहब पर ऐसा ही एक कारनामा किसी ने किया था, जिसमें पकड़-धकड़ नहीं हुई। वजह यह भी थी कि गिटहब अमेरिका से संचालित होता है। अब खबर है कि सुल्ली डील्स मामले में भी एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है। गिटहब और बुल्ली बाई को सोशल मीडिया कहा भी नहीं जा सकता, पर इसके सामाजिक प्रभावों से इनकार भी नहीं किया जा सकता। इस सिलसिले में वीडियो गेम्स के पीछे छिपे सामाजिक-टकरावों का अध्ययन करने की जरूरत भी है। इन खेलों में जिसे दुश्मन बताया जाता है, वह हमारी दृष्टि पर निर्भर करता है।

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 3 जनवरी को केरल के एक कार्यक्रम में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने धार्मिक विश्वासों को मानने और प्रचार करने का अधिकार है। अपने धर्म का पालन करें, लेकिन गाली न दें और अभद्र भाषा और लेखन में लिप्त न हों। उन्होंने एक सैद्धांतिक बात कही है, पर मसला धर्म के पालन का नहीं है, बल्कि एक बहुल समाज को समझ पाने की असमर्थता का है।

ज़हरीली भूमिका

विविधता हमारी पहचान है, जिसका सबसे बड़ा मूल्य सहिष्णुता है। यह बात समझने और समझाने की है, पर सोशल मीडिया ने सारी सीमाओं को तोड़ दिया है। बुल्ली मामले ने सोशल मीडिया की जहरीली भूमिका के अलावा सामाजिक रीति-नीति पर रोशनी भी डाली है। स्टैटिस्टा डॉट कॉम के अनुसार दुनियाभर में 3.6 अरब से ज्यादा लोग हर रोज औसतन 145 मिनट यानी सवा दो घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। कुछ दशक पहले तक लोग अखबारों और पत्रिकाओं को पढ़ने में जितना समय देते थे, उससे कहीं ज्यादा समय अब लोग सोशल मीडिया को दे रहे हैं। यह मीडिया जानकारियाँ देने, प्रेरित करने और सद्भावना बढ़ाने का काम करता है, वहीं नफरत का ज़हर उगलने और फेक न्यूज देने का काम भी कर रहा है।