देश की राजधानी में नए साल की शुरुआत ‘यलो-अलर्ट’ से हुई है। नेपथ्य से आवाजें सुनाई पड़ रही हैं, ‘सावधान, आगे खतरनाक मोड़ है।’ इक्कीसवीं सदी के बाईसवें साल की शुरुआत एक नए विश्वयुद्ध के साथ रही है, जो शुरू तो दो साल पहले हुआ था, पर अब निर्णायक मोड़ पर है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ मीट्रिक्स एंड इवैल्युएशन (आईएचएमई) का अनुमान है कि अगले दो महीने में कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों की संख्या तीन अरब के ऊपर पहुँच जाएगी। तीन अरब यानी दुनिया की आधी आबादी से कुछ कम। यह संख्या पिछले दो साल में संक्रमित लोगों की कुल-संख्या से कई-कई गुना ज्यादा है। क्या ऐसा होगा?
ओमिक्रॉन पहेली बनकर सामने आया है। इसे दो तरह
से बूझ सकते हैं। एक तरफ यह जबर्दस्त तेजी से फैसले वाला वेरिएंट है, इसलिए खतरनाक
है। दूसरे, इसका असर काफी हल्का है, साधारण फ्लू का दशमांश। इसलिए खतरनाक नहीं है।
शायद वह दुनिया को कोविड-19 से बाहर निकालने के लिए आया है। इसके बाद यह बीमारी
साधारण फ्लू बनकर रह जाएगी। पर क्या यह ‘शायद’ सच होगा?
भारत की आजादी के 75वें साल का समापन इस साल
होगा। यह ऐतिहासिक वर्ष है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक की भविष्यवाणी
है कि इस साल भारत की पूरे वेग के साथ वापसी होने वाली है। दुनिया की सबसे तेज
अर्थव्यवस्था। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 2024-25 तक हम देश
को पाँच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बना देंगे। फिलहाल ऐसा होता लग नहीं रहा है। दस
फीसदी या उससे भी ज्यादा की वार्षिक दर हो, तब भी नहीं। फिर भी, शायद इस साल
अर्थव्यवस्था तीन ट्रिलियन पार कर लेगी।
समुद्र-मंथन
इस समुद्र-मंथन के देवता और दानव आप तय करें,
पर यह साल बेहद रोचक और रोमांचक होने वाला है। विरोधियों को एकसाथ आने के मौके
मिलेंगे, वहीं मोदी के प्रभामंडल का विस्तार होने के प्रचुर-अवसर भी हैं। इस साल चुनाव
ही चुनाव हैं, जिनमें ताकत और हैसियतों का पता लगेगा। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति
पद के अलावा सात या आठ राज्यों के विधानसभा चुनाव और तीन बड़े महानगरों के नगर
निकाय चुनावों से बहुत बातें स्पष्ट हो जाएंगी। इस साल का यक्ष-प्रश्न है, क्या
कांग्रेस नए अध्यक्ष की घोषणा करेगी? पार्टी ने कहा है कि अगस्त-सितंबर तक अध्यक्ष का चुनाव करा लेंगे। वह खानदानी
होगा या बाहर का? ममता बनर्जी क्या
विपक्ष की एकछत्र नेता बनकर उभरेंगी? योगी आदित्यनाथ क्या उत्तर प्रदेश के
नए लोह-पुरुष साबित होंगे? ऐसे तमाम सवालों के जवाब इस साल की झोली में
हैं।
रामनाथ कोविंद क्या फिर से प्रत्याशी बनेंगे? या
किसी नए प्रत्याशी, मसलन वेंकैया नायडू को, पार्टी चुनाव लड़ाएगी? केवल राजेंद्र प्रसाद ही ऐसे राष्ट्रपति हुए हैं, जो दो बार इस पद पर रहे हैं। फरवरी मार्च में उत्तर प्रदेश, पंजाब,
उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनाव होंगे। नवंबर-दिसंबर में गुजरात और हिमाचल
प्रदेश में। हालात ठीक रहे तो जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव हो सकते हैं।
फरवरी में बृहन्मुम्बई नगर महापालिका और महाराष्ट्र के कई शहरों के नगर निगम के चुनाव महाराष्ट्र के राजनीतिक स्वास्थ्य की जानकारी देंगे। बीजेपी और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के बीच सीधा मुकाबला होगा या अलग-अलग पार्टियाँ उतरेंगी? अप्रेल में दिल्ली के तीन नगर निगमों के चुनाव होंगे। क्या आम आदमी पार्टी विधानसभा के साथ-साथ नगर निगमों पर भी कब्जा करने में कामयाब होगी? पश्चिम बंगाल में भी नगर निगमों के चुनाव हैं।