अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गत 4 फरवरी को अपने विदेशमंत्री और विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच जो पहला बयान दिया है, उसे काफी लोग उनका विदेश-नीति वक्तव्य मान रहे हैं। एक मायने में वह है भी, क्योंकि उसमें उन्होंने अपनी विदेश-नीति की कुछ वरीयताओं का हवाला दिया है, पर इसे विस्तृत बयान नहीं माना जा सकता। करीब 20 मिनट के भाषण में ऐसा संभव भी नहीं है।
भारत के संदर्भ में पर्यवेक्षक कुछ बातों पर ध्यान दे रहे थे। डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी, 2016 को शपथ लेने के बाद सबसे पहले जिन छह शासनाध्यक्षों से फोन पर बात की थी, उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे, पर जो बाइडेन ने उनसे बात करने में कुछ देरी की। अपने राजनयिकों के सामने उन्होंने जिन पहले नौ देशों के शासनाध्यक्षों से बातचीत का हवाला दिया था, उनमें भारत का नाम नहीं था। बहरहाल उन्होंने भारत का ध्यान रखा और सोमवार 8 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी के साथ भी उनकी फोन-वार्ता हो गई।
इस वार्ता के बारे में प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, मैं और राष्ट्रपति जो बाइडेन दुनिया में नियम-कानून आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के पक्षधर हैं। हम हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की ओर देख रहे हैं। उधर ह्वाइट हाउस की ओर से जारी बयान में भी दोनों देशों के आपसी सहयोग को बढ़ाने की बात कही गई है।
इसके पहले विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकेन, रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवन की भारत के क्रमशः विदेशमंत्री, रक्षामंत्री और रक्षा सलाहकार से फोन वार्ताएं हो चुकी थीं। उनकी मैत्री-कामना का संदेश भारत तक पहुँच चुका है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तान के साथ बाइडेन प्रशासन का इस किस्म का संवाद अभी तक नहीं हो पाया है। विदेशमंत्री ब्लिंकेन की एक शिकायती कॉल केवल पर्ल हत्याकांड के अभियुक्त की रिहाई के संदर्भ में गई है।
मित्र और प्रतिस्पर्धी
बाइडेन ने अपने वक्तव्य में कहा, ‘पिछले दो सप्ताह में मैंने अपने सबसे करीबी मित्रों से बात की।’ उन्होंने जिन देशों के नाम लिए वे हैं कनाडा, मैक्सिको, यूके, जर्मनी, फ्रांस, नेटो, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया। ये देश अमेरिका के परंपरागत मित्र हैं और उसके साथ कई तरह की संधियों से जुड़े हैं। उन्होंने अपने कुछ प्रतिस्पर्धियों के नाम भी लिए। चीन का उल्लेख उन्होंने पाँच बार किया और उसे अमेरिका का ‘सबसे गंभीर प्रतिस्पर्धी’ बताया। रूस का नाम आठ बार लिया और उसे ‘अमेरिकी लोकतंत्र को नष्ट करने पर उतारू देश’ बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि हम इन दोनों देशों के साथ मिलकर काम करना चाहेंगे।