Sunday, January 31, 2021

अर्थव्यवस्था में उम्मीदों की आहट


हर साल बजट के ठीक पहले जारी होने वाला चालू वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण दो मायनों में महत्वपूर्ण होता है। इससे अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का पता लगता है और दूसरे अगले साल की बजट प्राथमिकताओं पर रोशनी पड़ती है। इस साल की
आर्थिक समीक्षा के अनुसार अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने पहले से ही 11.5 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया है। इससे यह उम्मीद भी है कि बजट में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने वाले कार्यक्रमों की घोषणाएं होंगी।

यह 11 फीसदी उछाल भी हमें 2019-20 के स्तर पर वापस नहीं ले आएगा। उसके लिए हमें एक साल और इंतजार करना होगा। आर्थिक समीक्षा का दावा है कि इस रास्ते पर चलने से वर्ष 2019-20 की विकास दर की तुलना में वास्तविक जीडीपी में 2.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होगी। यानी कि अर्थव्यवस्था दो साल में महामारी के पूर्व स्‍तर को हासिल करने के साथ-साथ इससे आगे निकल जाएगी।

Saturday, January 30, 2021

आम आदमी पार्टी का फिर से विस्तार का इरादा

 


आम आदमी पार्टी ने घोषणा की है कि वह आने वाले समय में छह राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाग लेगी। ये राज्य हैं यूपी, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और गुजरात। यह घोषणा दिल्‍ली के आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार 28 जनवरी को दिल्‍ली में की। दूसरी तरफ पार्टी ने किसान आंदोलन के दौरान अपनी गतिविधियाँ बढ़ाईं और 29 जनवरी को मुजफ्फरनगर में हुई किसानों की महापंचायत में रालोद के जयंत चौधरी के अलावा आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी मौजूद थे और दोनों ने सभा को संबोधित किया। इसके पहले हाथरस में एक दलित बालिका से हुए बलात्कार और हत्या के बाद भी संजय सिंह उस इलाके में गए थे।

पार्टी को किसान आंदोलन भी अपने आप को लांच करने का उपयुक्त प्लेटफॉर्म लगता है। उसने किसानों का सड़क से संसद तक समर्थन करने का ऐलान किया है। साथ ही कहा है कि आप कार्यकर्ता बिना पार्टी के झंडे और टोपी के किसानों के साथ खड़े होंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने धरने में किसानों के लिए दिल्ली से पानी और शौचालय की व्यवस्था कराकर हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया गाजीपुर बार्डर पहुंचकर हालात का जायजा ले चुके हैं।

Friday, January 29, 2021

आर्थिक समीक्षा : अगले वित्तवर्ष में 11 फीसदी की संवृद्धि का अनुमान


वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहेगी

 व्‍यापक टीकाकरण अभियान, सेवा क्षेत्र में तेजी से हो रही बेहतरी और उपभोग एवं निवेश में त्‍वरित वृद्धि की बदौलत ‘V’ आकार में आर्थिक विकास होगा

 निरंतर आने वाले डेटा जैसे कि बिजली की मांग, रेल माल भाड़ा, ई-वे बिलों, जीएसटी संग्रह और इस्‍पात के उपभोग में उल्‍लेखनीय वृद्धि के बल पर ‘V’ आकार में आर्थिक प्रगति होगी

 आईएमएफ के अनुसार, भारत अगले दो वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएगा

 वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी संवृद्धि दर (-) 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान 

 इस वर्ष कृषि वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत होगी, जबकि औद्योगिक संवृद्धि दर (-) 9.6 प्रतिशत और सेवा-क्षेत्र की संवृद्धि दर (-) 8.8 प्रतिशत रहेगी

 भारत में चालू खाता अधिशेष वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी का 2 प्रतिशत रहेगा, जो 17 वर्षों के बाद ऐतिहासिक उच्‍चतम स्‍तर है

देश में शुद्ध एफपीआई प्रवाह नवम्‍बर 2020 में 9.8 अरब डॉलर के सार्वकालिक मासिक उच्‍चतम स्‍तर पर रहा

आज संसद में पेश की गई वित्त वर्ष 2020-21 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 11 प्रतिशत और सांकेतिक जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहेगी। व्यापक टीकाकरण अभियान, सेवा क्षेत्र में तेजी से हो रही बेहतरी और उपभोग एवं निवेश में त्वरित वृद्धि की संभावनाओं की बदौलत देश में ‘V’ आकार में आर्थिक विकास संभव होगा। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश की जिसमें कहा गया है कि पिछले वर्ष के अपेक्षा से कम रहने वाले संबंधित आंकड़ों के साथ-साथ कोविड-19 के उपचार में कारगर टीकों का उपयोग शुरू कर देने से देश में आर्थिक गतिविधियों के निरंतर सामान्य होने की बदौलत ही आर्थिक विकास फिर से तेज रफ्तार पकड़ पाएगा। देश के बुनियादी आर्थिक तत्‍व अब भी मजबूत हैं क्‍योंकि लॉकडाउन को क्रमिक रूप से हटाने के साथ-साथ आत्‍मनिर्भर भारत मिशन के जरिए दी जा रही आवश्‍यक सहायता के बल पर अर्थ-व्‍यवस्‍था बड़ी मजबूती के साथ बेहतरी के मार्ग पर अग्रसर हो गई है। इस मार्ग पर अग्रसर होने की बदौलत वर्ष 2019-20 की विकास दर की तुलना में वास्‍तविक जीडीपी में 2.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होगी जिसका मतलब यही है कि अर्थव्‍यवस्‍था दो वर्षों में ही महामारी पूर्व स्‍तर पर पहुंचने के साथ-साथ इससे भी आगे निकल जाएगी। ये अनुमान दरअसल आईएमएफ के पूर्वानुमान के अनुरूप ही हैं जिनमें कहा गया है कि भारत की वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 11.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहेगी। आईएमएफ के अनुसार भारत अगले दो वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बन जाएगा।

मुंशी सदासुखलाल और उनका योगदान

 

जॉन गिलक्राइस्ट, हिन्दी-उर्दू के भेद के सूत्रधार 
जब सन 1800 में फोर्ट विलियम कालेज (कलकत्ता) के अध्यापक जॉन गिलक्राइस्ट ने देशी भाषा की गद्य पुस्तकें तैयार कराने की व्यवस्था की, तब उन्होंने उर्दू और हिन्दी दोनों के लिए अलग-अलग प्रबंध किया। फोर्ट विलियम कॉलेज से जुड़े हिन्दी लेखकों से संभवतः कहा गया था कि वे ऐसी भाषा लिखें, जिसमें फारसी के शब्द नहीं हों। मुंशी सदासुखलाल 'नियाज' (1746-1824) का नाम उन चार प्रारंभिक गद्य लेखकों में शामिल है, जिन्हें नई शिक्षा से जुड़ी किताबें लिखने का काम मिला। पर उन्होंने गिलक्राइस्ट के निर्देश पर नहीं स्वतः प्रेरणा से लिखा था। बुनियादी तौर पर वे फारसी और उर्दू में लिखते थे। उन्होंने खड़ी बोली के उस रूप में लिखना शुरू किया, जिसे उन्होंने खुद भाखा बताया। संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग करके उन्होंने इस भाखा के जिस रूप को पेश किया, उसमें खड़ी बोली के भावी साहित्यिक रूप का आभास मिलता है। उन्होंने आगरा से बुद्धि प्रकाश नामक पत्र निकाल, जिसमें उनकी भाषा के नमूने खोजे जा सकते हैं। मुंशी सदासुखलाल के संपादन में यह पत्र पत्रकारिता की दृष्टि से ही नहीं, अपितु भाषा व शैली की दृष्टि से भी ख़ास स्थान रखता है। रामचंद्र शुक्ल ने इस पत्र की भाषा की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि "बुद्धि प्रकाश की भाषा उस समय की भाषा को देखते हुए बहुत अच्छी होती थी।"

दिल्ली निवासी मुंशी सदासुखलाल 1793 के आसपास कंपनी सरकार की नौकरी में चुनार के तहसीलदार थे। बाद में नौकरी छोड़कर प्रयाग निवासी हो गए और अपना समय कथा वार्ता एवं हरिचर्चा में व्यतीत करने लगे। उन्होंने श्रीमद्भागवद् का अनुवाद 'सुखसागर' नाम से किया। अलबत्ता इस ग्रंथ की कोई प्रति उपलब्ध नहीं हैं। शायद वह पुस्तक अधूरी रही। उन्होंने 'मुतख़बुत्तवारीख' में अपना जीवन-वृत्त लिखा है।

Thursday, January 28, 2021

अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे 16 विरोधी दल

 


शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में कांग्रेस समेत देश के 16 विरोधी दलों ने किसान-आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रकट दिखाते हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है। 16 दलों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की जांच कराने की भी मांग की है। बहिष्कार करने वाले दल हैं कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) और एआईयूडीएफ।

संसद के इस सत्र में विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों, पूर्वी लद्दाख गतिरोध, अर्थव्यवस्था की स्थिति, महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। बजट सत्र की शुरुआत शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ होगी और 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा। अभिभाषण के बहिष्कार की घोषणा के साथ विरोधी दलों ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर भी सरकार को घेरते हुए इससे ठीक ढंग ने नहीं निपटने के आरोप लगाए हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी ने कृषि कानूनों का विरोध किया है और आगे भी करेगी। वाम दलों ने भी सरकार से तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरिक ओ ब्रायन ने हाल में कहा है कि सरकार संसद में एक और विधेयक लेकर आए जिसमें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रावधान किया जाए।