Tuesday, January 19, 2021

संसद की कैंटीन में अब सब्सिडी वाला भोजन नहीं मिलेगा


संसद भवन परिसर की कैंटीन में अब सांसदों को सब्सिडी वाला खाना नहीं मिलेगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने मंगलवार को कहा कि संसद की कैंटीन में सांसदों को भोजन पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म की जा रही है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बताया कि सांसदों और अन्य लोगों को खाने पर मिलने वाली सब्सिडी पर रोक लगा दी गई है। खाने में सब्सिडी खत्म करने को लेकर दो साल पहले भी बात उठी थी। लोकसभा की कार्यमंत्रणा समिति में सभी दलों के सदस्यों ने एक राय बनाते हुए इसे खत्म करने पर सहमति जताई थी। अब कैंटीन में मिलने वाला खाना लागत के हिसाब से ही मिलेगा। सांसद उसी हिसाब से ही भुगतान करेंगे। संसद की कैंटीन को अब नॉर्दर्न रेलवे के बदले इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन चलाएगा।

संसद की कैंटीन को सालाना करीब 17 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा रही थी, जो अब खत्म हो जाएगी। जानकारी के मुताबिक कैंटीन की रेट लिस्ट में चिकन करी 50 रुपए में तो शाकाहारी थाली 35 रुपए में परोसी जाती है। वहीं थ्री कोर्स लंच की कीमत 106 रुपए निर्धारित है। दक्षिण भारतीय भोजन में प्लेन डोसा मात्र 12 रुपए में मिलता है। इसके अलावा मटन करी सिर्फ 40 रुपये और चिकन बिरयानी 65 रुपये में मिलती है। एक आरटीआई के जवाब में 2017-18 में यह रेट लिस्ट सामने आई थी।

Monday, January 18, 2021

टीका लगाने की वैश्विक ‘अफरा-तफरी’


शनिवार 9 जनवरी को ब्रिटेन की 94 वर्षीय महारानी एलिज़ाबेथ और उनके 99 वर्षीय पति प्रिंस फिलिप को कोविड-19 का टीका लगाया गया। ब्रिटेन में वैक्सीन की वरीयता सूची में उनका भी नाम था। वैक्सीनेशन की वैश्विक गणना करने वाली एक वैबसाइट के अनुसार 11 जनवरी तक दो करोड़ 38 लाख लोगों को कोविड-19 के टीके लगाए जा चुके थे। इन पंक्तियों के प्रकाशित होने तक भारत में भी वैक्सीनेशन का काम शुरू हो जाएगा, जो दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा। हालांकि आबादी के लिहाज से चीन ज्यादा बड़ा देश है, पर वैक्सीन की जरूरत भारत में ज्यादा बड़ी आबादी को है। 

इसे अफरा-तफरी कहें, हड़बड़ी या आपातकालीन गतिविधि दुनिया में इतनी तेजी से किसी बीमारी के टीके की ईजाद न तो पहले कभी हुई, और न इतने बड़े स्तर पर टीकाकरण का अभियान चलाया गया। पिछले साल के शुरू में अमेरिका सरकार ने ऑपरेशन वार्पस्पीड शुरू किया था, जिसका उद्देश्य तेजी से वैक्सीन का विकास करना। वहाँ परमाणु बम विकसित करने के लिए चली मैनहटन परियोजना के बाद से इतना बड़ा कोई ऑपरेशन नहीं चला। यह भी तय था वैक्सीन की उपयोगिता साबित होते ही उसे आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति (ईयूए) मिल जाएगी।

Sunday, January 17, 2021

वैक्सीन यानी भरोसे की वापसी

भारत में कोविड-19 से लड़ाई के लिए जो टीकाकरण अभियान कल से शुरू हुआ है, उसका प्रतीकात्मक महत्व है। यह दुनिया का, बल्कि इतिहास का सबसे बड़ा अभियान है। भारत को श्रेय जाता है कि उसने न केवल त्वरित गति से वैक्सीन तैयार किए, बल्कि उन्हें देश के कोने-कोने तक पहुँचाया। अभियान के पहले चरण में करीब तीन करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। यह टीकाकरण उस भरोसे की वापसीहै, जिसका पिछले दस महीनों से हमें इंतजार है। भारत केवल अपने लिए ही नहीं, दुनियाभर के लिए टीके बना रहा है।  

उम्मीद है कि इस साल के अंत तक देश की उस आबादी को टीका लग जाएगा, जिसे इसकी सबसे पहले जरूरत है। इसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 3,600 केंद्र वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आपस में जुड़ेंगे। पहले चरण में हैल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 से अधिक उम्र के लोग और कोमॉर्बिडिटी वाले लोगों को टीका लगाया जा रहा है। भारत के इस अभियान के कुछ दिन पहले दुनिया में टीकाकरण का अभियान शुरू हुआ है। वैक्सीनेशन की वैश्विक गणना करने वाली वैबसाइट के अनुसार 15 जनवरी तक तीन करोड़ 85 लाख से ज्यादा लोगों को कोविड-19 के टीके लगाए जा चुके थे। भारत का अभियान शुरू होने के बाद यह संख्या तेजी से बढ़ेगी।

भ्रामक प्रचार

इस सफलता के बावजूद और टीकाकरण शुरू होने के पहले ही कुछ स्वार्थी तत्वों ने भ्रामक बातें फैलानी शुरू कर दी हैं। उन बातों की कलई टीकाकरण शुरू होने के बाद खुलेगी, क्योंकि अगले कुछ दिनों के भीतर लाखों व्यक्ति टीके लगवा चुके होंगे। चूंकि दुष्प्रचार यह है कि राजनेता टीके लगवाने से बच रहे हैं, इसलिए उसका जवाब देना भी जरूरी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंस में कहा, जब भी आपका नंबर आए वैक्सीन जरूर लें, लेकिन नियम न तोड़ें। उनका आशय है कि वीआईपी होने का लाभ नहीं उठाएं। पर जब टीके को लेकर भ्रांत-प्रचार है, तब प्रतीक रूप में ही सही कुछ नेता टीकाकरण में शामिल होते तो अच्छा था। इनमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और कुछ मुख्यमंत्री भी हो सकते हैं। इससे उन आशंकाओं को दूर करने में मदद मिलती, जो फैलाई जा रही हैं। संदेह दो प्रकार के हैं। एक वैज्ञानिक और दूसरे राजनीतिक। बेशक वैज्ञानिक संदेहों को ही महत्व दिया जाना चाहिए। वैक्सीन के साइड इफैक्ट क्या हैं और उनके जोखिम क्या हैं, उनपर भी बात करनी चाहिए।

Saturday, January 16, 2021

राजस्थान भाजपा में धड़ेबाजी


राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी धड़ेबाज़ी का सामना कर रही है। इसकी शुरुआत पिछले साल तभी हो गई थी, जब सचिन पायलट ने कांग्रेसी नेतृत्व से बगावत के संकेत किए थे। अब देखा जा रहा है कि पार्टी में वसुंधरा राजे के विरोधियों को अच्छे पदों पर बैठाया जा रहा है। लगता यह भी है कि इस अभियान के पीछे पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व है। 

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हाल में कांग्रेस के विधायक और उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान में वसुंधरा जी के बगैर भाजपा शून्य है। उन्होंने कहा जैसे बगैर गहलोत जी के कांग्रेस अधूरी है, वैसे ही वसुंधरा जी के बगैर भाजपा शून्य है। उधर सोशल मीडिया में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के नाम सन 2023 में होने वाले विधान सभा चुनाव के संदर्भ में मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में सुझाए जा रहे हैं। 

इनमें वसुंधरा राजे के अलावा पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन राम मेघवाल के नाम शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन दिनों मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में शेखावत, मेघवाल, पूनिया के अलावा गुलाब चंद कटारिया और राजेंद्र राठौर के नाम भी चल रहे हैं।

Friday, January 15, 2021

कंपनियों में नई भरतियों के आसार

नौकरियों की बौछार होने जा रही है। कोविड-19 का टीका बनते ही कंपनियां जोश में आ गई हैं और टाटा, बिड़ला, रिलायंस तथा आईटीसी समेत तमाम नामी कंपनियां अगले कुछ महीनों में ज्यादा भर्तियां करने जा रही हैं।

टाटा समूह की सबसे कीमती कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) ने दिसंबर तिमाही में 15,721 लोगों की भर्तियां कर एक तरह से नया कीर्तिमान बना दिया। समूह की दूसरी कंपनियां भी इस मामले में पीछे नहीं हैं और वे अपनी चालू परियोजनाओं के लिए कर्मचारी तथा आवश्यक सामग्री जुटाने में व्यस्त हैं।  टीसीएस के मुख्य वित्तीय अधिकारी वी रामकृष्णन ने कहा, 'वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में जितने नए कर्मचारी जोड़े गए, उतने कभी किसी तिमाही में भर्ती नहीं किए गए।' हाल में ही देश का नया संसद भवन बनाने का ठेका हासिल करने वाली टाटा प्रोजेक्ट्स भी निर्माण कार्य शुरू करने के लिए ज्यादा लोगों को भरती करने जा रही है।