Saturday, December 5, 2020

मेरठ के ज्वैलर ने बनाई 12638 हीरों वाली अँगूठी, नाम गिनीज़ बुक में

 


मेरठ के युवा सर्राफ हर्षित बंसल ने 12638 हीरे लगाकर अंगूठी तैयार कर गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है। इस अंगूठी का वजन 165.450 ग्राम है इसमें 38.08 कैरेट के प्राकृतिक हीरे लगे हैं। हर्षित दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं जिसने इतने हीरे एक अंगूठी में सजाए हैं। 30 नवंबर को हर्षित ने यह विश्व कीर्तिमान बनाया है। लंदन से गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया है।

हर्षित रेनानी ज्वैल्स के संचालक हैँ। रिकार्ड का प्रमाणपत्र आ चुका है। शौक के लिए यह अंगूठी बनाई है अभी इसे बेचने की योजना नहीं है। परिवार सूर्या पैलेस में रहता है। पिता अनिल बंसल, मम्मी रेनू बंसल हैं। हर्षित ने भारत हैदराबाद के श्रीकांत का रिकॉर्ड तोड़ा है।

श्रीकांत ने गोलाकार एब्सट्रैक्ट डिजायन में 7801 हीरों की अंगूठी बनाई थी। हर्षित ने उससे कहीं अधिक हीरे लगाकर यह नया रिकॉर्ड बनाया है। पूरा परिवार और सराफा कारोबारी हर्षित की सफलता पर खुश हैं। जल्द ही वर्ल्ड रिकॉर्ड टीम भारत आकर हर्षित को सम्मानित करेगी।

हर्षित ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैं पिछले ढाई-तीन साल से इस काम पर लगा था।

आयुर्वेदिक चिकित्सक भी करेंगे सर्जरी

ऊपर का यह चित्र प्रचीन काल में ऋषि सुश्रुत की शल्य चिकित्सा को दर्शा रहा है। भारत में आयुर्वेद चिकित्सक प्राचीन काल से शल्य चिकित्सा करते रहे हैं। भारत सरकार ने गत 19 नवंबर को एक अधिसूचना के जरिए चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद को और बढ़ावा देने के लिए स्नातकोत्तर छात्रों को  ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी (Ayurveda surgery) करने की अनुमति देने का फैसला किया। सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा विरोध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने किया है। IMA ने इस फैसले को मेडिकल संस्थानों में चोर दरवाजे से प्रवेश का प्रयास बताते हुए कहा कि ऐसे में NEET जैसी परीक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।

आईएमए ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन चलाने का फैसला किया है। इस सिलसिले में 8 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे और 11 दिसंबर को चिकित्सालयों में गैर-कोविड चिकित्सा कार्यों को ठप रखा जाएगा।

Friday, December 4, 2020

भारत में भी मिलने वाली है वैक्सीन को मंजूरी

 


सब कुछ ठीक रहा तो इस महीने के अंत या जनवरी की शुरुआत में देश की नियामक संस्था कोरोनावायरस टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे देगी।  देश में विभिन्न टीकों का परीक्षण अभी अंतिम चरण में चल रहा है। इसकी जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को दी। (उधर प्रधानमंत्री ने आज सर्वदलीय बैठक में भी इस बात की पुष्टि की कि भारत में वैक्सीन को मंजूरी मिलने वाली है)।

गुलेरिया ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि अल्पावधि में टीका सुरक्षित है। उन्होंने कहा, 'कई आंकड़े उपलब्ध हैं जो इसकी पुष्टि करते हैं कि टीका बेहद सुरक्षित है। टीके से संबंधित सुरक्षा और असर से किसी तरह का समझौता नहीं किया गया है। परीक्षण के दौरान तकरीबन 70 से 80 हजार स्वयंसेवकों को टीका लगाया गया है लेकिन अब तक कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं दिखा है।'

रूस दुनिया का पहला देश है जिसने इस साल अगस्त में कोरोनावायरस के टीके स्पूतनिक-5 के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। हालांकि तब तक स्पूतनिक के तीसरे चरण का परीक्षण भी पूरा नहीं हुआ था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सरकार को अगले हफ्ते से व्यापक स्तर पर देश में टीकाकरण शुरू करने का आदेश दिया है।

Thursday, December 3, 2020

हिंद-प्रशांत क्षेत्र, क्वाड और भारत की भूमिका

 


भारतीय विदेश और रक्षा-नीतियों के संदर्भ में इन दिनों काफी हलचल है। पहली बार भारत ने चीन के खिलाफ साफ शब्दों में बोलना शुरू किया है। देश के पूर्व विदेश सचिव और पूर्व रक्षा सलाहकार श्याम सरन इसे 'ऐतिहासिक हिचकिचाहट' से निजात पाना कहते हैं। देश की इस नीति की आने वाले समय में परीक्षा होगी। देखना होगा कि चीन किस हद तक ताकतवर देश बनता है और हिंद महासागर क्षेत्र में कितने देशों को अपने साथ जोड़ पाता है। पिछले कुछ सप्ताह के घटनाक्रम पर गौर करें, तो पाएंगे कि नेपाल और बांग्लादेश में भारत ने चीनी प्रभाव के बरक्स अपनी पकड़ को बेहतर बनाया है।

हिंद महासागर के बदलते सुरक्षा परिदृश्य पर श्याम सरन ने बिजनेस स्टैंडर्ड में हिंद-प्रशांत क्षेत्र, क्वाड और भारत की भूमिका शीर्षक आलेख में कहा है कि कम से कम इस बात के लिए चीन का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने भारत को 'ऐतिहासिक हिचकिचाहट' से निजात पाने में मदद की और वह क्वाड (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच सुरक्षा संवाद का अनौपचारिक रणनीतिक मंच) को अपनी हिंद-प्रशांत नीति के केंद्र में ला सका। चीन ने पूर्वी लद्दाख में जो आक्रामकता दिखाई उसने भारत को प्रोत्साहित किया कि वह क्वाड के रूप में चारों देशों के गठजोड़ को संस्थागत स्वरूप प्रदान करे।

अफगान सरकार और तालिबान के बीच पहला समझौता


अफगानिस्तान में शांति-स्थापना के लिए सरकार और तालिबान प्रतिनिधियों के बीच बुधवार 2 दिसंबर को दोहा में एक प्राथमिक समझौता हो गया है। करीब 19 साल की खूंरेज़ी के बाद यह पहला समझौता है। इस लिखित समझौते का उद्देश्य केवल आगे की चर्चा के लिए तौर-तरीके तय करना है, पर इसे भी बड़ी सफलता मान जा रहा है, क्योंकि इस समझौते के होने से वार्ताकारों को युद्ध विराम पर वार्ता सहित अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

अफगान सरकार की वार्ता टीम के एक सदस्य नादर नादरी ने रॉयटर्स को बताया, ‘बातचीत की प्रस्तावना सहित प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया गया है और अब, एजेंडा पर बातचीत शुरू होगी। तालिबान प्रवक्ता ने ट्विटर पर इस बात की पुष्टि की। अमेरिका के प्रयास से दोनों पक्षों के बीच कतर की राजधानी दोहा में महीनों से यह बातचीत चल रही है।