Friday, October 23, 2020

भारत-अमेरिका रिश्तों का एक और कदम

 विदेशी मामलों को लेकर भारत में जब बात होती है, तो ज्यादातर पाँच देशों के इर्द-गिर्द बातें होती हैं। एक, पाकिस्तान, दूसरा चीन। फिर अमेरिका, रूस और ब्रिटेन। इन देशों के आपसी रिश्ते हमें प्रभावित करते हैं। देश की आंतरिक राजनीति भी इन रिश्तों के करीब घूमने लगती है। आर्थिक मसलों को लेकर अमेरिका और चीन के रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं। भारत और अमेरिका के सामरिक रिश्ते एक नई शक्ल ले रहे हैं। हाल में जापान में हुई विदेशमंत्रियों की बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चतुष्कोणीय सुरक्षा यानी क्वाड को लेकर भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहमति बनी हैं। इसके साथ ही मालाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया के और शामिल हो जाने के बाद यह सहयोग पूरा हो गया है। वस्तुतः यह अमेरिकी पहल है और भारत के बगैर यह पूरी नहीं हो सकती थी। दोनों देशों के बीच लगातार टल रही टू प्लस टू वार्ता अंततः सितंबर 2018 में शुरू हो गई, जिसमें कम्युनिकेशंस, कंपैटिबिलिटी, सिक्योरिटी एग्रीमेंट (कोमकासा) समझौता हुआ। और अब 27 अक्तूबर को होने वाली टू प्लस टू वार्ता में एक और महत्वपूर्ण समझौता होने वाला है, जिसका नाम है 'बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियो-स्पेशियल कोऑपरेशन(बेका)। टू प्लस टू वार्तामें दोनों देशों के विदेशमंत्री और रक्षामंत्री शामिल होते हैं। ऐसी ही वार्ता भारत और जापान के बीच भी होती है।

भारत और अमेरिका के बीच कम्युनिकेशंस, कंपैटिबिलिटी, सिक्योरिटी एग्रीमेंट (कोमकासा) होने से लगता है कि दोनों देश आगे बढ़े हैं। इसे दोनों देशों के रिश्तों में मील का पत्थर बताया गया है। कोमकासा उन चार समझौतों में से एक है जिसे अमेरिका फौजी रिश्तों के लिहाज से बुनियादी मानता है। इसके पहले दोनों देशों के बीच जीएसओएमआईए और लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ़ एग्रीमेंट (लेमोआ) पर दस्तखत हो चुके हैं। इन तीन समझौतों के बाद अब 'बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फ़ॉर जियो-स्पेशियल कोऑपरेशन (बेका) की दिशा में दोनों देश बढ़ेंगे। दोनों देशों ने अपने रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने का फैसला भी किया है। सितंबर 2018 में अमेरिकी विदेशमंत्री माइक पोम्पिओ ने संयुक्त ब्रीफिंग में कहा था कि हम वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उभरने का पूरी तरह से समर्थन करते हैं तथा हम अपनी साझेदारी के लिए भारत की समान प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं। कोमकासा के तहत भारत को अमेरिका से महत्वपूर्ण रक्षा संचार उपकरण हासिल करने का रास्ता साफ हो गया और अमेरिका तथा भारतीय सशस्त्र बलों के बीच अंतर-सक्रियता के लिए महत्वपूर्ण संचार नेटवर्क तक उसकी पहुंच होगी।

रॉ चीफ की काठमांडू यात्रा को लेकर नेपाल में चिमगोइयाँ

भारत के थल सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे की अगले महीने होने वाली नेपाल यात्रा के पहले रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख सामंत गोयल की काठमांडू यात्रा को लेकर नेपाली मीडिया में कई तरह की चर्चाएं हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से भी मुलाकात की है, जिसे लेकर तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनकी अपनी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने आलोचना की है। आलोचना इस बात को लेकर नहीं है कि उन्होंने रॉ चीफ से मुलाकात की, बल्कि इसलिए है कि इस मुलाकात की जानकारी उन्हें नहीं दी गई।

रॉ चीफ की इस यात्रा के बारे में न तो नेपाल सरकार ने कोई विवरण दिया है और न भारत सरकार ने। पिछले दिनों जब खबर आई थी कि भारत के सेनाध्यक्ष नेपाल जाएंगे, तब ऐसा लगा था कि दोनों देशों के रिश्तों में जो ठहराव आ गया है, उसे दूर करने के प्रयास हो रहे हैं। रॉ के चीफ की यात्रा उसकी तैयारी के सिलसिले में ही है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री ओली ने अपनी कैबिनेट में जब एक छोटा सा बदलाव किया, तब इस बात का संकेत मिला था कि भारत के साथ रिश्तों में भी बदलाव आ रहा है। देश के रक्षामंत्री ईश्वर पोखरेल को उनके पद से हटाकर नेपाल ने रिश्तों की कड़वाहट को दूर करने का इशारा किया था। पिछले कुछ महीनों में भारत को लेकर पोखरेल ने बहुत कड़वी बातें कही थीं।

Thursday, October 22, 2020

अब भारत में भी होगी हींग की खेती

सीएसआईआर के इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स (IHBT), पालमपुर के वैज्ञानिक हिमालय क्षेत्र में हींग यानी ऐसाफेटिडा (Asafoetida) की खेती के मिशन पर काम कर रहे हैं। पिछले हफ्ते लाहौल घाटी के क्वारिंग गाँव में इसका पहला पौधा रोपा गया है। भारत के रसोईघरों में हींग एक जरूरी चीज है। हर साल हम करीब 600 करोड़ रुपये की हींग का आयात करते हैं। सरकारी डेटा के अनुसार ईरान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से करीब 1200 टन हींग का आयात भारत में होता है।  

किसने और क्यों खींचीं नाज़्का रेखाएं?

पेरू के एक पहाड़ पर दो हजार साल पहले उकेरी गई बिल्ली की एक तस्वीर सामने आने के साथ ही नाज़्का लाइंस का जिक्र एकबार फिर से शुरू हुआ है। नाज़्का लाइंस दक्षिणी पेरू के नाज़्का रेगिस्तान में खिंची ऐसी लकीरें हैं, जिनसे कई तरह के रूपाकार बने हैं। ये सभी आकृतियाँ 500 वर्ष ईसवी पूर्व से लेकर सन 500 के बीच बने हैं। इन विशाल आकार के भू-चित्रों को किसने बनाया, क्यों बनाया और कैसे बनाया, इस बात को लेकर कई तरह की अटकलें हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये नाज़्का संस्कृति की पहचान हैं। रेगिस्तानी मैदान में गहरे गड्ढे खोदकर उनमें स्थित पत्थरों को हटाया गया होगा ताकि अलग-अलग रंग की मिट्टी आसमान से नजर आए और उससे कोई रूपाकार बने। ये चित्र 500 मीटर से लेकर डेढ़ किलोमीटर की ऊँचाई से सबसे अच्छे नजर आते हैं।

कश्मीर का ‘काला दिन’

भारत सरकार ने इस साल से 22 अक्तूबर को कश्मीर का काला दिनमनाने की घोषणा की है। 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला बोला था। पाकिस्तानी लुटेरों ने कश्मीर में भारी लूटमार मचाई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। बारामूला के समृद्ध शहर को कबायलियों, रज़ाकारों ने कई दिन तक घेरकर रखा था। इस हमले से घबराकर कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्तूबर 1947 को भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे, जिसके बाद भारत ने अपने सेना कश्मीर भेजी थी। इस बात के प्रमाण हैं कि स्वतंत्रता के फौरन बाद पाकिस्तान ने कश्मीर और बलोचिस्तान पर फौजी कार्रवाई करके उनपर कब्जे की योजना बनाई थी।