Friday, May 18, 2012

क्रिकेट को धंधा बनने से रोकिए

आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की खबरे आने के बाद बीसीसीआई को पारदर्शी बनाने की ज़रूरत है। उसके खाते आरटीआई के लिए खुलने चाहिए और साथ ही आईपीएल के तमाशे को कड़े नियमन के अधीन लाया जाना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो यह मसला तमाम बड़े घोटालों की तरह सरकार के गले की हड्डी बन जाएगा। आईपीएल ने जिस तरह की खेल संस्कृति को जन्म दिया है वह खतरनाक है। उससे ज्यादा खतरनाक है इसकी आड़ में चल रही आपराधिक गतिविधियाँ जिनका अभी अनुमान ही लगया जा सकता है। खेल मंत्री अजय माकन ने ठीक माँग की है कि बीसीसीआई खुद को आईपीएल से अलग करे। अभी जिन पाँच खिलाड़ियों पर कार्रवाई की गई है वह अपर्याप्त है, क्योंकि सम्भव है कि इसमें अनेक मोटी मछलियाँ सामने आएं।

Tuesday, May 15, 2012

पाठ्य पुस्तकों में कार्टून क्या गलत हैं?


कार्टून विवाद हालांकि एक या दो रोज की खबर बनकर रह गया। इसकी बारीकियों पर जाने की कोशिश ज्यादा लोगों ने नहीं की। मुझे इधर-उधर जो भी पढ़ने को मिल रहा है उसके आधार पर कुछ बिन्दु उभरते हैं जो इस प्रकार हैं:-

  • दलित राजनीति से जुड़े एक मामूली से संगठन ने इस सवाल को उठाया। महाराष्ट्र के इस संगठन को इसके बहाने  अपने आप को आगे लाने का मौका नज़र आया। सुहास पालसीकर के घर पर तोड़फोड़ के पीछे भी इस संगठन की मंशा अपने को बढ़ाने की है। 
  • संसद में यह सवाल उठने के पहले मानव संसाधन मंत्री के साथ कुछ सांसदों ने चर्चा की थी। कार्टून को हटाने का फैसला भी हो गया। 
  • यह भी समझ में आता है कि सांसदों का एक ग्रुप बड़े दबाव समूह के रूप में उभर कर आया है। सरकार और विपक्ष से जुड़े बहुसंख्यक सांसद राजनीति लेकर जनता के बढ़ते रोष से परेशान हैं। अन्ना हजारे आंदोलन के दौरान यह रोष मुखर होकर सामने आया। 
  • सरकार केवल आम्बेडकर वाले कार्टून को ही नहीं हटा रही है बल्कि किसी भी प्रकार के कार्टून को पाठ्य पुस्तकों से हटाना चाहती है। 
  • सवाल यह है कि क्या किशोर मन को राजनीति की बारीकियाँ समझ में नहीं आएंगी। या उसे यह सब नही बताया जाना चाहिए। उसके मन में क्या राजनीति के प्रति अनादर का भाव है? 

Monday, May 14, 2012

यूरोज़ोन और पूँजीवाद का वैश्विक संकट

यूरोपीय संघ अपने किस्म का सबसे बड़ा राजनीतिक-आर्थिक संगठन है। इरादा यह था कि यूरोप के सभी देश आपसी सहयोग के सहारे आर्थिक विकास करेंगे और एक राजनीतिक व्यवस्था को भी विकसित करेंगे। 27 देशों के इस संगठन की एक संसद है। और एक मुद्रा भी, जिसे 17 देशों ने स्वीकार किया है। दूसरे विवश्वयुद्ध के बाद इन देशों के राजनेताओं ने सपना देखा था कि उनकी मुद्रा यूरो होगी। सन 1992 में मास्ट्रिख्ट संधि के बाद यूरोपीय संघ के भीतर यूरो नाम की मुद्रा पर सहमति हो गई। इसे लागू होते-होते करीब दस साल और लगे। इसमें सारे देश शामिल भी नहीं हैं। यूनाइटेड किंगडम का पाउंड स्टर्लिंग स्वतंत्र मुद्रा बना रहा। मुद्रा की भूमिका केवल विनिमय तक सीमित नहीं है। यह अर्थव्यवस्था को जोड़ती है। अलग-अलग देशों के बजट घाटे, मुद्रास्फीति और ब्याज की दरें इसे प्रभावित करती हैं। समूचे यूरोप की अर्थव्यवस्था एक जैसी नहीं है। दुनिया की अर्थव्यवस्था इन दिनों दो प्रकार के आर्थिक संकटों से घिरी है। एक है आर्थिक मंदी और दूसरा यूरोज़ोन का संकट। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हैं।

Sunday, May 13, 2012

कार्टून विवाद पर फेसबुक से कुछ पोस्ट

हिमांशु पांड्या की यह पोस्ट मैने उनके फेसबुक नोट्स से ली है। इस चर्चा को आगे बढ़ाने में यह मददगार होगी।

अप्रश्नेय कोई नहीं है - गांधी , नेहरू , अम्बेडकर , मार्क्स....
by Himanshu Pandya on Saturday, May 12, 2012 at 1:17pm ·

जिस किताब में छपे कार्टून पर विवाद हो रहा है, उसमें कुल बत्तीस कार्टून हैं। इसके अतिरिक्त दो एनिमेटेड बाल चरित्र भी हैं - उन्नी और मुन्नी। मैं सबसे पहले बड़े ही मशीनी ढंग से इनमें से कुछ कार्टूनों का कच्चा चिट्ठा आपके सामने प्रस्तुत करूँगा, फिर अंत में थोड़ी सी अपनी बात।

इससे बेहतर है कि कार्टून बनाना-छापना बैन कर दीजिए

लगता है कुएं में भाँग पड़ी है। सन 1949 में बना एक कार्टून विवाद का विषय बन गया। संसद में हंगामा हो गया। सरकार ने माफी माँग ली। एनसीईआरटी की किताब बैन कर दी गई। किताब को स्वीकृति देने वाली समिति के विद्वान सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। मानव संसाधन मंत्री ने कहा, '' मैंने एक और फैसला किया है कि जिस पुस्तक में भी इस तरह के कार्टून होंगे, उन्हें आगे वितरित नहीं किया जाएगा।'' बेहतर होता कि भारत सरकार कार्टून बनाने पर स्थायी रूप से रोक लगा दे। साथ ही हर तरह की पाठ्य पुस्तक पर हर तरह की आपत्तिजनक सामग्री हटाने की घोषणा कर दे। उसके बाद किताबों में कुछ पूर्ण विराम, अर्ध विराम, कुछ क्रियाएं और सर्वनाम बचेंगे, उन्हें ही पढ़ाया जाए। इस कार्टून के पहले बंगाल में ममता बनर्जी को लेकर बने एक कार्टून ने भी देश का ध्यान खींचा था, जिसमें कार्टून का प्रसारण करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके पहले कपिल सिब्बल ने इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के खिलाफ कार्रवाई करने की बात जब की थी तब भी मामला मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी आदि के कार्टूनों-मॉर्फ्ड पिक्चरों का था।