रविवार और सोमवार के बीच यानी
30-31 अक्तूबर की आधी रात
प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) से जुड़े आठ युवक
भोपाल के केन्द्रीय कारागार से भाग निकले। सरकारी जानकारी के अनुसार जेल की
चारदीवारी को फांदने के लिए इन कैदियों ने चादरों का इस्तेमाल किया। जाते-जाते उन्होंने एक हैड कॉन्स्टेबल की हत्या भी कर दी। इन कैदियों के भागने की खबर सुबह
भारतीय मीडिया में प्रसारित होने के कुछ देर बाद ही आठों के मारे जाने की खबर आई।
यह खबर ज्यादा विस्मयकारी थी। इतनी तेजी से यह कार्रवाई किस तरह हुई, यह जानने की इच्छा
मन में है।
जितनी तेजी में एनकाउंटर की खबर आई उतनी तेजी से
तमाम सवाल भी उठने लगे। देखते ही देखते कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया में अपलोड हो
गए। भोपाल के आईजी योगेश चौधरी के मुताबिक जेल से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ईंटखेड़ी गांव में इन आठों ‘आतंकियों’ को पुलिस
मुठभेड़ में मार गिराया गया। पुलिस के मुताबिक इन कैदियों के पास हथियार मौजूद थे, जिनकी वजह से यह एनकाउंटर लगभग एक घंटे तक चला। कैदियों और पुलिस के बीच
क्रॉस-फायरिंग में पुलिस के दो जवान भी घायल हुए हैं।
जो कैदी फरार हुए
उनके नाम हैं :
अमज़द, ज़ाकिर हुसैन सादिक़, मुहम्मद सालिक, मुजीब शेख, महबूब गुड्डू, मोहम्मद खालिद अहमद, अक़ील और मजीद। मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस की पीठ थपथपाई है, साथ ही जेल से भागने की घटना की जांच कराने
की घोषणा भी की है। फिलहाल लगता है कि यह मामला तूल पकड़ेगा। इसका राजनीतिक
निहितार्थ जो भी हो, देश की पुलिस और न्याय-व्यवस्था से जुड़े सवाल अब उठेंगे। कोई
आश्चर्य नहीं कि मामला सबसे ऊँची अदालत तक जाए। कांग्रेस इस मामले को राजनीतिक नजरिए से उठा रही है, पर यह केवल बीजेपी-कांग्रेस का मामला नहीं है। यह हमारी पुलिस व्यवस्था से जुड़ा मसला है। इस बात को नहीं भुलाना चाहिए कि एनकाउंटरों की यह शैली कांग्रेसी शासन में ही विकसित हुई है। यदि प्रशासन ने उसी वक्त पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की होती तो यह इतनी नहीं बढ़ती।
भोपाल स्थित यह जेल पूरे मध्य प्रदेश की सबसे सुरक्षित जेल
मानी जाती है। उसकी अचूक सुरक्षा को देखते हुए कुछ साल पहले मध्य प्रदेश में पकड़े
गए सभी सिमी कार्यकर्ताओं को इसी जेल में रखा गया है। बहरहाल महत्वपूर्ण कुछ
तथ्यों पर ध्यान दें।
1.
ईंटखेड़ी, जिस गांव में पुलिस और इन आठ कैदियों के
बीच हथियारबंद मुठभेड़ हुई, भोपाल सेन्ट्रल जेल से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है। रात दो बजे जेल तोड़कर भागे कैदी लगभग आठ घंटे बाद इस
गाँव में मारे गए। क्या ये कैदी आठ घंटों में सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी ही पार कर पाए और कैसे? पैदल या किसी सवारी से अभी यह स्पष्ट नहीं है।
2.
जेल से भोपाल रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है। इन आठ घंटों में ईंटखेड़ी गांव जाने के बजाय उन्होंने रेलवे
स्टेशन जाने की कोशिश नहीं की। या जेल से ज़्यादा नजदीक मौजूद भोपाल शहर में दाखिल
नहीं हुए। वे ईंटखेड़ी के खुले इलाके में क्यों गए जहाँ छिपने की जगह नहीं थी।
3.
आठ के आठ एक ही जगह क्यों थे? अक्सर झुण्ड में फरार कैदी बाहर निकलने के
बाद एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। ये कैदी भी इसके पहले एक बार जेल से भाग चुके
थे। तब अलग-अलग जगहों से पकड़े गए थे। हो सकता है कि इन्होंने जो योजना बनाई उसके
अनुसार साथ रहना उचित समझा, पर यह समझना होगा कि इनकी योजना थी क्या।
4.
समझना यह भी होगा कि पुलिस ने इतनी जल्दी उनका पता कैसे लगा
लिया? क्या पुलिस की टीम ने उनके भागते ही काम शुरू कर दिया था? पुलिस के
अनुसार गाँव के लोगों पर इन्होंने पत्थर फेंके थे। गाँव वालों ने इन्हें डाकू
समझा। उन्होंने पुलिस को जानकारी दी।
5.
आईजी योगेश चौधरी ने दावा किया कि इन कैदियों के पास से
हथियार बरामद किए गए। पुलिस इस बात की जांच करेगी कि इन कैदियों तक हथियार कैसे
पहुंचे। लेकिन सवाल है कि हथियारों का इंतजाम कर लेने वाले कैदियों ने भागने के
लिए किसी गाड़ी का इंतजाम किया था या नहीं?
6. प्रश्न तो यह भी उठता है कि जेल से
भागने के बाद कैदियों को हथियार की ज़रूरत क्यों पड़ी?
उन्हें सबसे
पहले तो किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचना चाहिए। पर पुलिस की बातों से लगता है कि
वे जेल से भागने के बाद ही किसी आतंकी घटना की तैयारी में जुट गए थे। पुलिस के
अनुसार उनके पास चार देसी बंदूकें मिलीं। उन्हें ये हथियार कहाँ से मिले?
7.
मध्य प्रदेश की सबसे अधिक सुरक्षित जेल से कैदी सिर्फ
चादरों के सहारे भाग गए? चारदीवारी बनाने वालों ने क्या कभी इस सम्भावना पर विचार किया था? भागने वालों ने रास्ते में एक हैड कॉन्स्टेबल
की हत्या कर दी। इतनी बड़ी जेल में उनके रास्ते में केवल एक हैड कॉन्स्टेबल ही आया,
कोई दूसरा संतरी नहीं?
8.
जिस हथियार से कैदियों ने हैड कॉन्स्टेबल रमा शंकर की हत्या
की उसे चम्मच का बना बताया जा रहा है। क्या चम्मच इतना धारदार हो सकता है कि उससे
किसी का गला काटा जा सके? उनके पास हथियार क्या थे और उन्हें कैसे
मिले?
9.
एनकाउंटर कितने बजे हुआ, इसका जवाब भी अस्पष्ट है। दिन में क़रीब
दस से साढ़े दस के बीच यह खबर आई कि एनकाउंटर हो गया है, लेकिन समय की कोई साफ जानकारी नहीं है।
10.
इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है जिसमें पुलिस
अधिकारी कुछ लाशों पर गोलियां चला रहे हैं और उनकी कमर से चाकू निकाल रहे हैं। आधिकारिक
रूप से इस वीडियो का कोई खंडन नहीं किया गया है।
11.
आज 1 नवम्बर के टेलीग्राफ, कोलकाता में रशीद किदवई और इमरान
अहमद सिद्दीकी की एक रपट प्रकाशित हुई है उसमें भी कई सवाल उठाए गए हैं। मसलन उन्हें पहनने के लिए टी-शर्ट, जीन्स,
जूते, घड़ियाँ और बेल्ट वगैरह कहाँ से मिले? मध्य प्रदेश के
गृहमंत्री ने कहा है कि जेल में विचाराधीन कैदियों को अपने कपड़े पहनने की अनुमति
है। क्या ये विचाराधीन कैदी थे? यदि विचाराधीन थे तो इनके मुकदमें की स्थिति क्या है?
12.
पुलिस ने इनके पास हथियार होने की बात कही है जबकि प्रदेश
के गृहमंत्री ने हथियारों का जिक्र नहीं किया है। उन्होंने केवल चम्मचों और
प्लेटों का जिक्र किया है।
13.
ज्यादातर कैदियों के सिर और सीने पर गोलियाँ लगी हैं। ऐसा
कैसे सम्भव है कि शरीर के दूसरे हिस्सों में नहीं लगीं। एनकाउंटर में ज्यादातर लोग
भागते हैं, जिससे उनकी पीठ और पैरों में गोलियाँ लगती हैं।
14.
यदि यह झूठा एनकाउंटर था, तो सवाल है कि पुलिस को इसकी
जरूरत क्यों पड़ी? पुलिस ने उन्हें घेरकर समर्पण क्यों
नहीं कराया? और यदि यह फर्जी एनकाउंटर है तो इतने खराब तरीके से क्यों है, जिसे लेकर
देखते ही देखते सवाल खड़े हो गए हैं। इशरत जहाँ जैसे मामले में बड़े-बड़े पुलिस
अधिकारियों के फँसने के बाद भी पुलिस के मन में डर क्यों नहीं है
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