Wednesday, November 1, 2023

भारत की पश्चिम-एशिया नीति की अग्निपरीक्षा


गज़ा में चल रही फौजी कार्रवाई और क़तर की एक अदालत से आठ भारतीयों को मिले मृत्युदंड और वैश्विक-राजनीति में इस वक्त चल रहे तूफान के बरक्स भारतीय विदेश-नीति से जुड़े कुछ जटिल सवाल खड़े हो रहे हैं. बेशक गज़ा की लड़ाई और क़तर के अदालती फैसले का सीधा रिश्ता नहीं है, पर दोनों संदर्भों का देश की पश्चिम-एशिया नीति से नज़दीकी रिश्ता है.

पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा में गज़ा की लड़ाई के संदर्भ में हुए मतदान से अलग रहने के बाद भारत की नीति को लेकर कुछ और सवाल पूछे जा रहे हैं. यह प्रस्ताव जॉर्डन की ओर से रखा गया था. इसका अर्थ है कि इसके पीछे अरब देशों की भूमिका थी. उससे अलग रहने के जोखिम हैं, पर यह समझना होगा कि हमास को लेकर अरब देशों की राय क्या है और उन देशों के इसराइल के साथ बेहतर होते रिश्तों की राजनीति का मतलब क्या है.

बाइडन का बयान

पिछले बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का एक बयान भारतीय मीडिया में काफी उछला था. उसके राजनीतिक निहितार्थ पढ़ने की जरूरत भी है.  

बाइडन ने कहा था कि 7 अक्तूबर को गज़ा में हमास ने जो हमला किया था, उसके पीछे भारत-पश्चिम एशिया कॉरिडोर को रोकने का इरादा था. मुझे विश्वास है कि हमास ने हमला किया तो यह उन कारणों में से एक था. बाद में ह्वाइट हाउस ने सफाई दी कि बाइडेन की टिप्पणी को गलत समझा जा रहा है. संभवतः उनका आशय था कि इसराइल और सऊदी अरब के बीच रिश्ते में धीरे-धीरे हो रहे सुधार ने हमास को हमले के लिए प्रेरित किया हो.

Tuesday, October 31, 2023

‘भाषा के बहाने’ हिंदी की बातें

करीब आठ महीने पहले सुरेश पंत की पुस्तक शब्दों के साथ-साथ का आगमन हुआ था, जिसने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए। उस किताब क दूसरे,  तीसरे और चौथे भाग की जरूरत बनी रहेगी। शब्द-सागर की गहराई अथाह है और उसमें गोता लगाने का आनंद अलग है। शब्दों के करीब जाने पर तमाम रोचक बातें जानकारी में आती हैं। उन्होंने अपनी नवीनतम पुस्तक भाषा के बहाने में शब्दों से कुछ आगे बढ़कर भाषा से जुड़े दूसरे मसलों को भी उठाया है। इस अर्थ में यह किताब पाठक को शब्दों के दायरे से बाहर निकाल कर भाषा-संस्कृति के व्यापक दायरे में ले जाती है।

संस्कृति, सभ्यता और समाज के विकास की धुरी भाषा है। हालांकि जानवरों और पक्षियों की भाषाएं भी होती हैं, पर मनुष्यों की भाषाओं की बराबरी कोई दूसरा प्राकृतिक संवाद-तंत्र नहीं कर सकता। अमेरिकी भाषा-शास्त्री रे जैकेनडॉफ (Ray Jackendoff) के अनुसार हमारी भाषाएं अनगिनत विषयों, जैसे मौसम, युद्ध, अतीत, भविष्य, गणित, विज्ञान, गप्प वगैरह, से जुड़ी हैं। इसका सूचना और ज्ञान के प्रसार, संग्रह, मंतव्यों के प्रकटीकरण, प्रश्न करने और आदेश देने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

इंसानी भाषाओं में चंद दर्जन वाक् ध्वनियों से लाखों शब्द बनते हैं। इन शब्दों की मदद से वाक्यांश और वाक्य गढ़े जाते हैं। विलक्षण बात यह है कि सामान्य बच्चा भी बातें सुनकर भाषा के समूचे तंत्र को सीख जाता है। भाषा या संवाद सांस्कृतिक और राजनीतिक-पृष्ठभूमि को भी व्यक्त करते हैं। दूसरी तरफ जानवरों के संवाद तंत्र में मात्र कुछ दर्जन अलग-अलग ध्वनियां होती हैं। इन ध्वनियों को वे केवल भोजन, धमकी, खतरा या समझौते जैसे फौरी मुद्दों को प्रकट करने के लिए कर सकते हैं। इस लिहाज से मनुष्यों की भाषा की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक-भूमिकाओं का आकाश बहुत विस्तृत है।  

इस पुस्तक में पंत जी ने भाषा के बहाने कई प्रकार के विषयों को उठाया है। सभी विषय भाषा से सीधे नहीं भी जुड़े हैं, तो उन्हें जोड़ा जा सकता है। उन्होंने किताब की प्रस्तावना में लिखा है, भाषा के बहाने उठाए गए विषयों का काल-क्षेत्र पर्याप्त विस्तृत है। समय-समय पर लिखे गए कुछ लेख भी इस पुस्तक में स्थान पा गए हैं।…हिंदी के बहुत से रोचक पहलुओं पर भी कलम चली है-गाली से लेकर आशीर्वाद तक, ठग से ठुल्ला तक, शिक्षण से पत्रकारिता तक, किसान से राष्ट्रपति तक, गू से गुएँन तक, केदारनाथ से एवरेस्ट तक अनेक विषयों पर चर्चाएं इस पुस्तक में मिल जाएँगी। कुछ कहावतें, कुछ विश्वास, कुछ मसले, कुछ चिंताएँ और कुछ दिशाएँ। इस लिहाज से कुछ अस्त-व्यस्त और बिखरी हुई सामग्री भी है, जिसे सधे हाथों से तरतीब दी गई है। पुस्तक में 80 छोटे-छोटे अध्यायों के अलावा दो परिशिष्ट हैं। एक में कुछ परिभाषाएं हैं और दूसरे में संदर्भ पुस्तकों की सूची।

Monday, October 30, 2023

दिल्ली ‘शराब-नीति कांड’ से जुड़ी गिरफ्तारियों की नीति और राजनीति


दिल्ली के शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी मनीष सिसोदिया की जमानत पर रिहाई को स्वीकार नहीं किया है। इस मामले की वजह से आम आदमी पार्टी को भविष्य के चुनावों में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। अदालत ने कहा, हम बेल के आवेदन को खारिज कर रहे हैं, लेकिन स्पष्ट करते हैं कि अभियोजन पक्ष ने आश्वासन दिया है कि मुकदमा छह से आठ महीने के भीतर समाप्त हो जाएगा। तीन महीने के भीतर यदि केस लापरवाही से या धीमी गति से आगे बढ़ा, तो सिसोदिया जमानत के लिए आवेदन करने के हकदार होंगे।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी के पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ ने दोनों याचिकाओं पर 17 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने 17 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा था कि अगर दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत ‘अपराध से आय' का हिस्सा नहीं है, तो संघीय एजेंसी के लिए सिसोदिया के खिलाफ धन शोधन का आरोप साबित करना कठिन होगा।

सीबीआई ने आबकारी नीति 'घोटाले' में कथित भूमिका को लेकर सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। वे तब से हिरासत में हैं। इसके बाद सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी पर मनी लाउंडरिंग (धन शोधन) मामले में 9 मार्च को तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था।

Wednesday, October 25, 2023

नवाज़ शरीफ़ की वापसी से पैदा हुईं सियासी-लहरें

मंगलवार 24 अक्तूबर को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पेशी के लिए जाते नवाज़ शरीफ़

पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की स्वदेश-वापसी, स्वागत और उनके बयानों से लगता है कि कानूनी दाँव-पेच में फँसे होने के बावजूद देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के इरादे से वे वापस आए हैं और उससे जुड़े हर तरह के जोखिमों का सामना करने के लिए वे तैयार हैं. उन्होंने वापस लौटकर कम से कम उन लोगों को ग़लत साबित किया है, जो कहते थे कि वे लौटकर नहीं आएंगे, राजनीतिक दृष्टि से वे हाशिए पर जा चुके हैं और अप्रासंगिक हो चुके हैं.

अदालतों ने उन्हें अपराधी और भगोड़ा घोषित कर रखा है. अब पहिया उल्टा घूमेगा या नहीं, इसका इंतज़ार करना होगा. उनकी वापसी के तीसरे दिन ही लग रहा है कि कानूनी बाधाएं ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगी हैं. बहुत कुछ उनके और सेना के रिश्तों पर और अदालतों के रुख पर भी निर्भर करेगा. अतीत में वे कई बार कह चुके हैं कि उन्हें बेदखल करने में सेना का हाथ था.

अलबत्ता उनके साथ मुर्तज़ा भुट्टो जैसा व्यवहार नहीं हुआ, जो बेनजीर के प्रधानमंत्रित्व में 3 नवंबर, 1993 में कराची हवाई अड्डे पर उतरे थे और सीधे जेल भेजे गए थे. इसके बाद बेनज़ीर की सरकार बर्खास्त कर दी गई थी और तीन साल बाद मुर्तज़ा भुट्टो मुठभेड़ में मारे गए थे.

नए सपने

नवाज़ शरीफ़ का पहला भाषण आने वाले वक्त में उनकी राजनीति का प्रस्थान बिंदु साबित होगा. वे पाकिस्तान को नए सपने देना चाहते हैं, पर कहना मुश्किल है कि वे कितने सफल होंगे. भारत की दृष्टि से संबंधों को सुधारने की बात कहकर भी उन्होंने अपने महत्व को रेखांकित किया है.

Sunday, October 22, 2023

दक्षिण के गोलू और उत्तर भारत के टेसू


तमिलनाडु, आंध्र और कर्नाटक में घरों में सीढ़ीनुमा स्टैंड पर गुड्डे-गुड़ियों जैसी छोटी-छोटी प्रतिमाएं सजाई जाती हैं। इन प्रतिमाओं में देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं के पात्रों, दशावतार के अलावा सामान्य स्त्री-पुरुषों, बच्चों, पालतू जानवरों और वन्य-प्राणियों की छोटी-छोटी मूर्तियाँ सजाई जाती हैं। इसके साथ ही देवी दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती की गुड़ियों के साथ मारापाची बोम्मई नामक लकड़ी की गुड़िया इस परंपरा का खास हिस्सा होती हैं। देश के संतों और नायकों की मूर्तियां स्थापित होती हैं। ऐसी उम्मीद की जाती है कि हर साल एक नई गुड़िया इसमें शामिल की जाएगी। यह संकलन पीढ़ी-दर-पीढ़ी समृद्ध होता जाता है। इस मौके पर लोग एक-दूसरे के घर में गोलू देखने जाते हैं। महिलाएं गीत गाती हैं। तमिल में गोलू या कोलू का मतलब है दिव्य-उपस्थिति, तेलुगु में बोम्माला कोलुवु का अर्थ है खिलौनों का दरबार, कन्नड़ में बॉम्बे हब्बा का अर्थ है गुड़ियों का महोत्सव। अब इनमें नए-नए विषय जुड़ते जा रहे हैं। जैसे कि चंद्रयान, फिल्म अभिनेता पुनीत राजकुमार और सुपरस्टार रजनीकांत, कार्टून चरित्र डोरेमोन और नोबिता वगैरह-वगैरह।

उत्तर के टेसू

उत्तर भारत में और खासतौर से ब्रज के इलाके में शारदीय नवरात्र के दौरान शाम को टेसू और झाँझी गीत हवा में गूँजते हैं। लड़के टेसू लेकर घर-घर जाते हैं। बांस के स्टैण्ड पर मिट्टी की तीन पुतलियां फिट की जाती हैं। टेसू राजा, दासी और चौकीदार या टेसू राजा और दो दासियां। बीच में मोमबत्ती या दिया रखा जाता है। जनश्रुति के अनुसार टेसू प्राचीन वीर है। पूर्णिमा के दिन टेसू तथा झाँझी का विवाह भी रचाया जाता है। सिंधु घाटी की सभ्यता से लेकर अब तक भारत में उत्तर से दक्षिण तक मिट्टी और लकड़ी के खिलौने और बर्तन जीवन और संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग के रूप में दिखाई पड़ते हैं। इनके समानांतर कारोबार चलता है, जो आमतौर पर गाँव और खेती से जुड़ा है। इसके पहले कि ये कलाएं पूरी तरह खत्म हो जाएं हमें उनके ने संरक्षकों को खोजना चाहे। देश और विदेश में मिट्टी के इन खिलौनों को संरक्षण देने वाले काफी लोग हैं। जरूरत है उन तक माल पहुँचाने की।