Sunday, September 26, 2021

चीन-पाक दुरभिसंधि पर वार


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका-यात्रा का साफ संदेश पाकिस्तान और चीन की दुरभिसंधि के नाम है। राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ आमने-सामने की मुलाकात और क्वॉड के शिखर सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोदी के भाषण को जोड़कर देखें, तो चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए स्पष्ट संदेश है। आने वाले दिनों में भारत की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बड़ी भूमिका का इशारा भी इनमें देखा जा सकता है। बाइडेन से मुलाकात के पहले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात का भी विदेश-नीति के लिहाज से महत्व है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन, महामारी, वैक्सीन और मानव कल्याण के तमाम सवालों को उठाते हुए बहुत संयत शब्दों में अफगानिस्तान की स्थिति का जिक्र किया और चेतावनी दी कि वे उस जमीन का इस्तेमाल आतंकी हमलों के लिए न करें। प्रकारांतर से यह चेतावनी पाकिस्तान के नाम है। समुद्री मार्गों की स्वतंत्रता बनाए रखने के संदर्भ में उन्होंने चीन को भी चेतावनी दी। उन्होंने संरा की साख बढ़ाने का सुझाव भी दिया, जिसमें उन्होंने दूसरी बातों के साथ कोविड-संक्रमण के मूल का जिक्र भी किया।

व्यापक निहितार्थ

अमेरिका में हुई चर्चाओं को जोड़कर पढ़ें, तो कोविड, क्लाइमेट और क्वॉड के अलावा अफगानिस्तान पर विचार हुआ। पाकिस्तान को आतंकवाद और कट्टरपंथ पर कठोर संदेश मिले, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेतृत्व के साथ प्रधानमंत्री मोदी की चीन से उपजे खतरों पर विस्तृत चर्चा हुई। साथ ही ऑकस से जुड़ी आशंकाओं को भी दूर किया गया। इन सबके अलावा प्रधानमंत्री ने बड़ी अमेरिकी कम्पनियों के सीईओ के साथ बैठकें करके भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज विकास का रास्ता भी खोला है। द्विपक्षीय बैठकों में अफगानिस्तान का मुद्दा भी हावी रहा। भारत ने बताया है कि कैसे तालिबान को चीन और पाकिस्तान की शह मिल रही है, जिससे भारत ही नहीं दुनिया की मुश्किलें बढ़ेंगी। अमेरिका ने भारत के इस दृष्टिकोण को स्वीकार किया है।

Friday, September 24, 2021

कमला हैरिस से मोदी की मुलाकात


अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

अमेरिका दौरे पर गए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार 23 सितम्बर को अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से पहली बार आमने-सामने मुलाक़ात की। भारतीय मूल की कमला हैरिस ने पिछले वर्ष इतिहास रचा था जब वे अमेरिका में उपराष्ट्रपति पद तक पहुँचने वाली पहली अश्वेत और दक्षिण एशियाई मूल की राजनेता बनी थीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने ह्वाइट हाउस में कमला हैरिस के साथ मुलाक़ात के बाद एक साझा प्रेस वार्ता में भारत और अमेरिका को स्वाभाविक सहयोगी बताया। उन्होंने ने कहा, भारत और अमेरिका स्वाभाविक सहयोगी हैं। हमारे मूल्य समान हैं, हमारे भू-राजनीतिक हित समान हैं।

नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ही ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से मुलाकात की। दोनों देश क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बन रहे समूह क्वाड के सदस्य हैं। मोदी और मॉरिसन ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक के साथ-साथ आपसी संबंध मजबूत करने पर भी जोर दिया।

Thursday, September 23, 2021

मोदी की अमेरिका यात्रा

 

गुरुवार को वॉशिंगटन में भारतीय मूल की महिलाओं से मुलाकात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी।

कोविड महामारी के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल मार्च में बांग्लादेश की एक संक्षिप्त यात्रा के बाद अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए अमेरिका पहुँच गए हैं। वे 26 सितंबर को देर रात दिल्ली लौटेंगे। फिलहाल निगाहें 24 सितम्बर को उनकी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बैठक पर होगी। शुक्रवार को ही ह्वाइट हाउस में क्वाड देशों के नेताओं की बैठक होगी। इसके बाद मोदी न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो जाएंगे और 25 सितंबर को वहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करेंगे।

मोदी वॉशिंगटन के होटल बिलार्ड में ठहरे हैं, वे यहां भी लोगों के अभिवादन का जवाब देते नजर आए। मोदी आज वे एपल के सीईओ टिम कुक समेत क्वालकॉम, एडोबी और ब्लैकस्टोन जैसी कंपनियों के प्रमुखों से भी होटल में ही मुलाकात कर रहे हैं। हरेक सीईओ को 15 मिनट का समय देने का निश्चय हुआ है।

उन्होंने सबसे पहले क्वालकॉम के सीईओ  क्रिस्टियानो आर अमोन से मुलाकात की। मोदी ने क्रिस्टियानो को भारत में मिलने वाले अवसरों के बारे में बताया। क्वालकॉम के सीईओ ने भारत के 5जी सेक्टर समेत कई क्षेत्रों में मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की। क्वालकॉम एक मल्टीनेशनल फर्म है, जो सेमीकंडक्टर, सॉफ्टवेयर और वायरलेस टेक्नोलॉजी सर्विस पर काम करती है।

वे उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से भी बातचीत करेंगे। दिन के आखिर में वे जापान के प्रधानमंत्री सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से बातचीत करेंगे। ये दोनों देश क्वॉड ग्रुप में शामिल हैं। भारत और अमेरिका भी क्वॉड में शामिल हैं।

Wednesday, September 22, 2021

संरा महासभा में क्या तालिबान का भाषण होगा?

सुहेल शाहीन

तालिबान को वैश्विक मान्यता मिलेगी या नहीं, इसका अनुमान संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक के दौरान लगाया जा सकेगा। तालिबान शासन ने संरा से अनुरोध किया है कि हमारे प्रतिनिधि को महासभा में बोलने की अनुमति दी जाए। इसके लिए उन्होंने दोहा स्थित अपने प्रवक्ता सुहेल शाहीन को प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त कर दिया है। संरा की एक प्रामाणिकता (क्रेडेंशियल) समिति अब इस अनुरोध पर फैसला करेगी। इस समिति के नौ सदस्यों में अमेरिका, चीन और रूस के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

इस समिति की बैठक अगले सोमवार यानी 27 सितम्बर के पहले नहीं होगी। अमेरिका का कहना है कि हम इस विषय पर काफी सावधानी से विचार करेंगे। बहरहाल लगता यही है कि फिलहाल अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाकज़ई ही अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे, जो पिछली सरकार द्वारा नियुक्त हैं। इस बात की सम्भावना लग रही है कि 27 को वे अफगानिस्तान की ओर से वक्तव्य देंगे। संरा सुरक्षा परिषद की बैठकों में भी वही शामिल हुए थे। तालिबान ने अपने अनुरोध में कहा है कि वे अफगानिस्तान के प्रतिनिधि नहीं हैं। दुनिया के अनेक देशों की सरकारें उस सरकार को मान्यता नहीं देती हैं, जिसने उन्हें नियुक्त किया था।  

अब संयुक्त राष्ट्र के सामने सवाल है कि तालिबान के अनुरोध को स्वीकार करने का मतलब क्या नई सरकार को मान्यता देना नहीं होगा? इससे तालिबान को एक वैधानिक मंच मिल जाएगा। उधर संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर होने वाली दक्षेस देशों की बैठक इस साल नहीं हो पाएगी, क्योंकि यह तय नहीं हो सका है कि इस बैठक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व कौन करेगा। तालिबान या अशरफ ग़नी सरकार का प्रतिनिधि?

Tuesday, September 21, 2021

अफगानिस्तान में अमेरिकी सहयोग के बिना केवल चीनी सहायता से रास्ता नहीं निकलने वाला


वैश्विक एजेंडा पर इस हफ्ते भी अफगानिस्तान सबसे ऊपर है। तालिबान की विजय को एक महीना पूरा हो गया है, पर अस्थिरता कायम है। अफगानिस्तान के भीतर और बाहर भी। इस दौरान एक शिखर सम्मेलन व्लादीवोस्तक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम का हुआ, फिर 9 सितम्बर को दिल्ली में ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन। उसके बाद दुशान्बे में शंघाई सहयोग संगठन का सम्मेलन। अब इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक शुरू होगी, जिसमें दूसरी बातों से ज्यादा महत्वपूर्ण अफगानिस्तान का मसला है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें भाग लेंगे, पर उनकी यात्रा का ज्यादा महत्वपूर्ण एजेंडा है राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात का। 24 सितंबर को ह्वाइट हाउस में क्वॉड नेताओं का पहला वास्तविक शिखर-सम्मेलन होने जा रहा है। इसमें बाइडेन के साथ नरेंद्र मोदी, स्कॉट मॉरिसन और योशिहिदे सुगा शामिल होंगे। भारतीय राजनय के लिहाज से वह महत्वपूर्ण परिघटना होगी, पर वैश्विक-दृष्टि से एक और मुलाकात सम्भव है। संरा के हाशिए पर चीन और अमेरिका के राष्ट्रपतियों की मुलाकात। खासतौर से अफगानिस्तान के संदर्भ में।

शी-बाइडेन वार्ता

अफगानिस्तान को भटकाव से बचाने के लिए अमेरिका और चीन का आपसी सहयोग क्या सम्भव है? बाइडेन और शी चिनफिंग के बीच 9-10 सितंबर को करीब 90 मिनट लम्बी बातचीत ने इस सवाल को जन्म दिया है। दोनों नेताओं के बीच सात महीने से अबोला चल रहा था। इस फोन-वार्ता की पेशकश अमेरिका ने की थी। पर्यवेक्षकों के अनुसार दोनों देशों के लिए ही नहीं दुनिया के भविष्य के लिए दोनों का संवाद जरूरी है।