Sunday, June 6, 2021

राजद्रोह पर पुनर्विचार की जरूरत


वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह के एक मामले को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पत्रकारों को राजद्रोह के दंडात्मक प्रावधानों से तबतक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, जबतक कि उनकी खबर से हिंसा भड़कना या सार्वजनिक शांति भंग होना साबित न हुआ हो। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी नागरिक को सरकार की आलोचना और टिप्पणी करने का हक है, बशर्ते वह लोगों को सरकार के खिलाफ हिंसा करने के लिए प्रेरित न करे। अलबत्ता कोर्ट ने इस मांग को ठुकरा दिया कि अनुभवी पत्रकारों पर राजद्रोह केस दर्ज करने से पहले हाईकोर्ट जज की कमेटी से मंजूरी ली जाए।

विनोद दुआ ने एक यूट्यूब चैनल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसके खिलाफ शिमला के कुमारसैन थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अदालत ने कहा कि अब वह वक्त नहीं है, जब सरकार की आलोचना को देशद्रोह माना जाए। ईमानदार और विवेकशील आलोचना समाज को कमजोर नहीं मजबूत बनाती है।

हल्के-फुल्के आरोप

पिछले हफ्ते ही अदालत ने एक और मामले में आंध्र प्रदेश पुलिस को दो टीवी चैनलों के ख़िलाफ़ राजद्रोह के आरोप में दंडात्मक कार्रवाई से रोकते हुए कहा कि राजद्रोह से जुड़ी आईपीसी की धारा 124-ए की व्याख्या करने की जरूरत है। इस कानून के इस्तेमाल से प्रेस की स्वतंत्रता पर पड़ने वाले असर की व्याख्या भी होनी चाहिए।

आंध्र पुलिस ने दो तेलुगू चैनलों के ख़िलाफ़ 14 मई को राजद्रोह का मुक़दमा दायर किया था। आरोप है कि उनके कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की आलोचना की गई थी। मुकदमा अभी आगे चलेगा, इसलिए सम्भव है कि अदालत अपने अंतिम आदेश में व्याख्या करे। यह कानून औपनिवेशिक शासन की देन है और ज्यादातर देशों में ऐसा कानून नहीं है।

Saturday, June 5, 2021

दुधारी तलवार के जोखिम

चाकू डॉक्टर के हाथ में हो, तो वह जान बचाता है। गलत हाथ में हो, तो जान ले लेता है। सोशल मीडिया दुधारी चाकू है। कश्मीरी डॉक्टरों का एक समूह वॉट्सएप के जरिए हृदय रोगों की चिकित्सा के लिए आपसी विमर्श करता है। वहीं आतंकी गिरोह अपनी गतिविधियों को चलाने और किशोरों को भड़काने के लिए इसका सहारा लेते हैं। गुजरे वर्षों में असम, ओडिशा, गुजरात, त्रिपुरा, बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र से खौफनाक आईं। झूठी खबरों से उत्तेजित भीड़ ने निर्दोष लोगों की हत्याएं कर दीं-मॉब लिंचिंग।

वर्षों पहले ट्विटर ने पाकिस्तानी संगठन लश्करे तैयबा के अमीर हाफिज सईद का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड किया। उनके तीन नए अकाउंट तैयार हो गए। आईएस के एक ट्वीट हैंडलर की बेंगलुरु में गिरफ्तारी के बाद पता लगा कि ‘साइबर आतंकवाद’ का खतरा उससे कहीं ज्यादा बड़ा है, जितना सोचा जा रहा था। दुनिया एक तरफ उदात्त मानवीय मूल्यों की तरफ बढ़ रही है, तो दूसरी तरफ कट्टरपंथी संकीर्णताओं के ज्वालामुखी के मुँह भी खुल रहे हैं। 

बिचौलियों का उदय

सूचना-प्रसारण दुनिया का शुरूआती औद्योगिक उत्पाद है। सन 1454 में मूवेबल टाइप के आविष्कार के फौरन बाद अखबारों, पत्रिकाओं और पुस्तकों का प्रकाशन शुरू हो गया था। उसी दौरान यूरोप में साक्षरता बढ़ी जैसा आज हमारे यहाँ हो रहा है। पुराने मीडिया में लेखक-संवाददाता और पत्रकार अपने पाठक को कुछ परोसते थे। सोशल मीडिया पब्लिक का मीडिया है। उसमें पत्रकार गायब है और साथ में गायब है मॉडरेशन। इसमें गाली-गलौज है, अच्छी जानकारियाँ भी हैं और झूठी बातें भी।

Friday, June 4, 2021

संधारणीय विकास में केरल सबसे आगे, सुधार के बावजूद बिहार सबसे पीछे

इंडियन एक्सप्रेस से साभार

संयुक्त राष्ट्र के 2030 के संधारणीय विकास लक्ष्यों के बरक्स भारत का नीति आयोग सभी राज्यों में हुए विकास के संकेतकों के सूचकांक को जारी करता है। भारत सूचकांक-2020-21 में केरल ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है तो बिहार ने सबसे ख़राब। अलबत्ता बिहार, असम और उत्तर प्रदेश ने पिछली रैंकिंग के मुक़ाबले अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। सतत विकास लक्ष्यों के इस सूचकांक (एसडीजी-इंडेक्स) में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गुरुवार को भारत-एसडीजी सूचकांक का तीसरा संस्करण जारी किया। केवल केंद्र शासित प्रदेशों में 79 अंक के साथ चंडीगढ़ शीर्ष पर रहा, जिसके बाद 68 अंक के साथ दिल्ली का स्थान रहा। राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी का औसत स्कोर 2020-21 में छह अंकों के सुधार के साथ 60 से बढ़कर 66 अंक हो गया है। नीति आयोग के अनुसार देश भर में मुख्य रूप से स्वच्छ जल एवं स्वच्छता और सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रदर्शन से प्रेरित होकर लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास किया गया।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट हमारे एसडीजी प्रयासों के दौरान तैयार की गई साझेदारी और उसकी मजबूती को दर्शाती है। इससे पता चलता है कि किस तरह मिलकर की गई पहलों के जरिए बेहतर नतीजे पाए जा सकते हैं।' नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने साझेदारियों की थीम को लेकर कहा, 'यह साफ है कि साथ मिलकर हम एक ज्यादा मजबूत और सतत भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जिसमें कोई पीछे नहीं छूटेगा।'

हिन्दू से साभार

अंकों के लिहाज से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शीर्ष पाँच स्थानों में 75 अंक पाकर केरल ने पहला स्थान हासिल किया है। 74 अंकों के साथ हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं। 52 अंकों के साथ बिहार सबसे आख़िरी पायदान पर है जबकि 56 अंकों के साथ झारखंड और 57 अंकों के साथ असम उसके ऊपर हैं।  

Thursday, June 3, 2021

क्या भारत की फलस्तीन-नीति में बड़ा बदलाव आ रहा है?


हाल में इसराइल और हमस के बीच हुए टकराव के दौरान भारत की विदेश-नीति में जो बदलाव दिखाई पड़ा है, उसकी ओर पर्यवेक्षक इशारा कर रहे हैं। संरा सुरक्षा परिषद में भारत ने जो कहा, वह महासभा की बहस में बदल गया। इसके बाद मानवाधिकार परिषद की बैठक में भारत ने उस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिसमें गज़ा में इसराइली कार्रवाई की जाँच की माँग की गई है। भारत की इस अनुपस्थिति पर फलस्तीन के विदेशमंत्री डॉ रियाद मल्की ने कड़े शब्दों में आलोचना की है।

इस आलोचना के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत की नीति इस मामले में स्पष्ट रही है। इसके पहले भी हम मतदान से अनुपस्थित होते रहे हैं। जहाँ तक फलस्तीन के विदेशमंत्री के पत्र का सवाल है, उन्होंने यह पत्र उन सभी देशों को भेजा है, जो मतदान से अनुपस्थित रहे। 

उधर इसराइल में प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के विरोधियों के बीच गठबंधन सरकार बनाने को लेकर सहमति बन गई है जिसके बाद नेतन्याहू की विदाई का रास्ता साफ़ हो गया है। नेतन्याहू इसराइल में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेता हैं और पिछले 12 साल से देश की राजनीति उनके ही इर्द-गिर्द घूमती रही है। मार्च में हुए चुनाव में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। उन्हें बुधवार 2 जून की मध्यरात्रि तक बहुमत साबित करना था और समय-सीमा समाप्त होने के कुछ ही देर पहले विपक्षी नेता येर लेपिड ने घोषणा की कि आठ दलों के बीच गठबंधन हो गया है और अब वे सरकार बनाएँगे। बहरहाल इस घटनाक्रम से इसराइल-फलस्तीन मसले पर कोई बड़ा फर्क पड़ने वाला नहीं है।

Wednesday, June 2, 2021

गरीबों के हित में कोरोना वैक्सीनों को पेटेंट-मुक्त करने की माँग


कोरोना का सबसे बड़ा सबक है कि दुनिया को जीवन-रक्षा पर निवेश की कोई प्रणाली विकसित करनी होगी, जो मुनाफे और कारोबारी मुनाफे की कामना से मुक्त हो। भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पिछले साल अक्तूबर में विश्व व्यापार संगठन में कोरोना वैक्सीनों को पेटेंट-मुक्त करने की पेशकश की थी। इसे करीब 100 देशों का समर्थन प्राप्त था। हालांकि अमेरिका ने केवल कोरोना-वैक्सीन पर एक सीमित समय के लिए छूट देने की बात मानी है, पर वैक्सीन कम्पनियों को इसपर आपत्ति है। यूरोपियन संघ ने भी आपत्ति व्यक्त की है।

भारत ने डब्ल्यूटीओ की ट्रिप्स (TRIPS) काउंसिल से सीमित वर्षों के लिए कोविड-19 की रोकथाम और उपचार के लिए ट्रिप्स समझौते के विशिष्ट प्रावधानों के कार्यान्वयन, आवेदन और प्रवर्तन से छूट देने का आग्रह किया है। यूरोपीय संघ ने प्रस्तावित कोविड-19 वैक्सीन के वास्तविक मुद्दे को संबोधित करने के बजाय, पेटेंट पूल के विषय को लाकर मुद्दे को भटकाने की रणनीति अपनाई है। इसके पहले सन 2003 में डब्लूटीओ ने गरीब देशों के हितों की रक्षा के लिए दवाओं के मामले में अपने कुछ नियमों में बदलाव किया था।