Monday, November 17, 2014

जनता खेमे में यह उमड़-घुमड़ कैसी?

हिंदू में केशव का कार्टून
जनता परिवार की पार्टियों के एक होने की कोशिशों के पीछे सबसे बड़ी वजह यही लगती है कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी के देश में बढ़ते असर को रोकने के लिए उन्हें एक छतरी की जरूरत है। यह छतरी किस तरह की होगी और कब तक कायम रहेगी? इस सवाल का जवाब देने के लिए पहले हमें उस छतरी के खड़े होने का इंतज़ार करना होगा। पिछले साल इन्हीं दिनों से शुरू हुई इस मुहिम के सिलसिले में कम से कम तीन बड़ी बैठकें तकरीबन इन्हीं नेताओं की दिल्ली में हो चुकी हैं। नतीजा सामने नहीं आया है।

इधर जवाहर लाल नेहरू की 125वीं जयंती के सहारे कांग्रेस ने जरूर धर्म निरपेक्ष छतरी के रूप में अपनी बैनर भी ऊँचा कर दिया है। सवाल है कि धर्म निरपेक्षता की ध्वजवाहक कांग्रेस को माना जाए या जनता परिवार से जुड़ी उन पार्टियों को जो गाहे-बगाहे एक साथ आती हैं और फिर अलग हो जाती हैं? पर जैसा कि जनता परिवार के कुछ नेता कह रहे हैं कि इस मुहिम का मोदी और भाजपा से कुछ भी लेना-देना नहीं है। हम तो नई राजनीति की शुरूआत करना चाहते हैं, तब सवाल पैदा होगा कि इस नई राजनीति में नया क्या है? मुलायम सिंह यादव और लालू यादव की राजनीति के मुकाबले नीतीश कुमार की राजनीति में नई बात विकास और सुशासन वगैरह की थी, पर वह नारा तो भाजपा के साथ गया। क्या वह अब भी नीतीश कुमार का नारा है?

Sunday, November 16, 2014

मोदी का 'एक्ट ईस्ट'

भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी को देश के नए नेतृत्व ने एक्ट ईस्ट का एक नया रंग दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर हैं, जहाँ एक और भारत-ऑस्ट्रेलिया रिश्तों पर बात होगी वहीं वे ब्रिसबेन में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। वैश्विक अर्थ-व्यवस्था को पटरी पर लाने, पश्चिम एशिया में इस्लामिक स्टेट के नाम के एक नए आंदोलन के खड़े होने और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बदलते परिदृश्य के विचार से यह सम्मेलन बेहद महत्वपूर्ण है। ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के बाद नरेंद्र मोदी का यह सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय संवाद भी है। इसके पहले वे म्यांमार में हुए आसियान शिखर सम्मेलन और ईस्ट एशिया समिट में हिस्सा लेकर आए हैं, जहाँ उन्होंने भारत के आर्थिक बदलाव का जिक्र करने के अलावा भारत की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं का उल्लेख भी किया। उन्होंने लुक ईस्ट के संवर्धित रूप एक्ट ईस्ट का जिक्र भी इस बार किया।

Saturday, November 15, 2014

बिखरे जनता परिवार की एकता?

 क्षेत्रीय राजनीति के लिए सही मौका है और दस्तूर भी,
पर इस त्रिमूर्ति का इरादा क्या है?
पिछले हफ्ते दिल्ली में बिखरे हुए जनता परिवार को फिर से बटोरने की कोशिश के पीछे की ताकत और सम्भावनाओं को गम्भीरता के साथ देखने की जरूरत है। इसे केवल भारतीय जनता पार्टी को रोकने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। व्यावहारिक रूप से यह पहल ज्यादा व्यापक और प्रभावशाली हो सकती है। खास तौर से कांग्रेस के पराभव के बाद उसकी जगह को भरने की कोशिश के रूप में यह सफल भी हो सकती है। भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय राजनीति को एक-ध्रुवीय बना दिया है। उसके गठबंधन सहयोगी भी बौने होते जा रहे हैं। ऐसे में क्षेत्रीय राजनीति को भी मंच की तलाश है। संघीय व्यवस्था में क्षेत्रीय आकांक्षाओं को केवल राष्ट्रीय पार्टी के भरोसे छोड़ा नहीं जा सकता। पर सवाल यह है कि लालू, मुलायम, नीतीश पर केंद्रित यह पहल क्षेत्रीय राजनीति को मजबूत करने के वास्ते है भी या नहीं? इसे केवल अस्तित्व रक्षा तक सीमित क्यों न माना जाए?

Tuesday, November 11, 2014

अंतरिक्ष में भारत बनाम चीन

एक साल पहले 6 नवम्बर दिन अखबारों में मंगलयान के प्रक्षेपण की खबर छपी थी। 5 नवम्बर के उस प्रक्षेपण के बाद पिछली 24 सितम्बर को जब भारत के मंगलयान ने जब सफलता हासिल की थी तब पश्चिमी मीडिया ने इस बात को खासतौर से रेखांकित किया कि भारत और चीन के बीच अब अंतरिक्ष में होड़ शुरू होने वाली है। ऐसी ही होड़ साठ के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चली थी। स्पेस रेस शब्द तभी गढ़ा गया था, जो अब भारत-चीन के संदर्भों में इस्तेमाल हो रहा है। भारत के संदर्भ में जब भी बात होती है तो उसकी तुलना चीन से की जाती है। माना जा रहा है कि इक्कीसवीं सदी इन दोनों देशों की है।

Sunday, November 9, 2014

मोदी का गाँवों की जनता से संवाद

नरेंद्र मोदी की बातों को गाँवों और कस्बों में रहने वाले लोग बड़े गौर से सुन रह हैं। हाल में उन्होंने रेडियो को मार्फत जनता से जो संवाद किया उसकी अहमियत शहरों में भले न रही हो, पर गाँवों में थी। गाँवों में बिजली नहीं आती। रेडियो आज भी वहाँ का महत्वपूर्ण माध्यम है। नरेंद्र मोदी ने उसके महत्व को समझा और गाँवों से सीधे सम्पर्क का उसे ज़रिया बनाया। शुक्रवार को वाराणसी में उनके कार्यक्रमों में जयापुर गाँव का कार्यक्रम गाँव के लोगों को छूता था। यह केवल एक गाँव का मसला नहीं है बल्कि देशभर के गाँवों की नजर इस कार्यक्रम पर थी।