Sunday, June 13, 2010

वॉरेन एंडरसन की रिहाई


पिछले कुछ दिनों के भारतीय अखबार पढ़ने से लगता था कि एंडरसन की केन्द्रीय सरकार के इशारे पर हुई रिहाई कोई बड़ा रहस्य थी, जिसका भंडाफोड़ अब हुआ है। यह बात तो उन दिनों के भारतीय अखबारों में भी छपी थी और अमेरिका के पिट्सबर्ग पोस्ट गज़ट और फ्रीलांस स्टार के पेज गूगल सर्च के बाद आसानी से मिल जाते हैं, जिनके अनुसार एंडरसन की रिहाई भारत सरकार के सहयोग से हुई। सीआईए के डिक्लासिफाइड डॉक्यूमेंट भी यही कहते हैं, जो सीआईए की साइट पर देखे जा सकते हैं। ये अखबार दिसम्बर 1984 के हैं।


 


पिट्सबर्ग पोस्ट गज़ट का लिंक

सीआईए दस्तावेज़ का लिंक

इस किताब का पेज 148 पढ़ें





वुवुज़ेला पर बहस



विश्व कप में कौन जीतेगा या हारेगा पर कयासबाज़ी पहले से चल रही थी। अब इस बात पर बहस है कि वुवुज़ेला बजाना ठीक है या नहीं। एएफपी  की रपट के मुताबिक ऑनलाइन कम्युनिटी के लिए यह जबर्दस्त मुद्दा है। मज़ा यह है कि इस दौरान वुवुस्टॉप नाम के ईयर प्लग्स की बिक्री भी जोरों पर है। इस रपट में एक ईयर प्लग विक्रेता का ज़िक्र है जिसका कहना है कि उसने 200 ईयर प्लग बेचे। पर अगर उसके पास 300 होते तो वे भी बिक जाते। 


शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको के बीच मैच के दौरान कुछ देर के लिए अचानक वुवुज़ेला खामोश हो गए थे। ऐसा तब हुआ जब मैक्सको के मार्केज़ ने दक्षिण अफ्रीका पर बराबरी का गोल दागा। 


फेसबुक और यूट्यूब पर वुवुज़ेला प्रेमी और उसके आलोचक आपस में भिड़ गए हैं। बहस इतनी जोरदार है कि एक वैबसाइट खुल गई है। ईएसपीएन के कमेंटेटर इस पींपी से खासे नाराज़ हैं। आप चाहें तो इस बहस में कूद पड़ें। हो सकता है आप टीवी न देख पाए हों और चाहते हों कि आखिर कैसी आवाज़ है जिसपर हंगामा बरपा है तो यहाँ क्लिक करें और सुनें।और अगर आपके पास वुवुज़ेला है और उसे बजाना सीखना चाहते हैं तो इधर चले आएं। 

Saturday, June 12, 2010

वुवुझेला ?



दक्षिण अफ्रीका में हो रहे विश्व कप का टीवी प्रसारण देखने पर एक खास तरह का शोर सुनाई पड़ता है। लगता है मधुमक्खियाँ भिनभिना रहीं हैं। यह वुवुज़ेला बज रहा है। वुवुज़ेला करीब आधे से एक मीटर तक लम्बा भोंपू है, जिसे दर्शक मौज-मस्ती में बजा रहे हैं। एक वुवुज़ेला पूरी शिद्दत से बजाया जाए तो 131 डैसिबल की आवाज़ करता है। और हजारों एक साथ बजें तो? प्रतियोगिता के पहले रोज़ 90,000 दर्शकों में से 10 प्रतिशत ने भी इसे बजाया होगा तो करीब 10,000 वुवुजेलाओं को तो आपने झेला ही होगा। 


विकिपीडिया से पता लगा वुवुजेला की ईज़ाद मैक्सिको में हुई। वहीं जहाँ मैक्सिकन वेव की ईज़ाद हुई। वहाँ यह टीन का बनता था। इसे ब्राज़ील में भी बजाया जाता है। बाद में यह अल्युमिनियम का बनने लगा। दक्षिण अफ्रीका में इन दिनों प्लास्टिक के वुवुज़ेला बज रहे हैं। वुवुज़ेला से कान को नुकसान होता है। इसकी आवाज़ दरअसल हाथी के चिंघाड़ने जैसी होती है। इससे बहरापन पैदा हो सकता है। कारोबारियों के पास इसका भी इलाज़ है। जितने लोग वुवुज़ेला खरीद रहे हैं, उतने ही ईयर प्लग भी खरीद रहे हैं। बेचने वालों को दक्षिण अफ्रीकी दर्शकों के शौक का पता था, सो उन्होंने पहले से इंतज़ाम करके रखा है। 25 रैंड में एक जोड़ी। तुम्हीं ने दर्द दिया.....

भोपाल त्रासदी

त्रासदी के पच्चीस साल बाद हमारे पास सोचने के लिए क्या है?


कि वॉरेन एंडरसन को देश से बाहर किसने जाने दिया


कि क्या उन्हें हम वापस भारत ला सकते हैं?


कि राजीव गांधी को दिसम्बर 1984 में सलाह देने वाले लोग कौन थे? श्रीमती गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने उन्हें एक महीना और कुछ दिन हुए थे। 


कि क्या हम सच जानना चाहते हैं या इसे या उसे दोषी ठहराना चाहते हैं?


कि हमारी अदालतों में क्या फैसले होते रहेजस्टिस अहमदी ने कानून की सीमा के बारे में जो बात कही है, क्या हम उससे इत्तफाक रखते हैं? मसलन प्रातिनिधिक दायित्व(विकेरियस लायबिलिटी) क्या है? इस तरह के हादसों से जुड़े कानून बनाने के बारे में क्या हुआ?


कि हमने ऐसे कारखानों की सुरक्षा के बारे में क्या सोचा?


कि भोपाल में वास्तव में हुआ क्या था
कि 1982 में भोपाल गैस प्लांट के सेफ्टी ऑडिट में जिन 30 बड़ी खामियों को पकड़ा गया, उनका निवारण क्यों नहीं हुआ?


कि कल को कोई और हादसा ऐसा हुआ तो हम क्या करेंगे?


कि भोपाल में मुआबजे का बँटवारा क्या ठीक ढंग से हो पाया?


ऐसे सैकड़ों सवाल हैं, पर आज सारे सवाल बेमानी है। हम सब आपत्तियाँ ठीक उठाते हैं, पर गलत समय से। 1996 में जस्टिस अहमदी ने फैसला किया। 1984 में वॉरेन एंडरसन बचकर अमेरिका गए। हम क्या कर रहे थे? 1996 में तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आ गया था। फिर यूनियन कार्बाइड के भारतीय प्रतिनिधि तो देश में ही थे। जून 2010 में अदालती फैसला आने के पहले हम कहाँ थेहमने क्या किया


आसानी से समझ में आता है कि अमेरिका का दबाव था तो किसी एक व्यक्ति पर नहीं था। और हमारी व्यवस्था किसी एक व्यक्ति के कहने पर चल सकती है तो फिर किसी से शिकायत क्यों? आज भी हर राज्य में मुख्यमंत्री सरकारी अफसरों से वह करा रहे हैं, जो वे चाहते हैं। राजनीति में अपराधियों की  खुलेआम आमदरफ्त है। भोपाल में मुआवजे को लेकर कई प्रकार के स्वार्थ समूह बन गए हैं। एक विवाद के बाद दूसरा। शायद भोपाल हादसे की जगह कल-परसों कोई नई बात सामने आएगी तो हम इसे भूल जाएंगे। हमें उत्तेजित होने और शोर मचाने की जगह शांति से और सही मौके पर कार्रवाई करनी चाहिए। हाथी गुज़र जाने के बाद उसके पद चिह्नं पीटने से क्या फायदा

Friday, June 11, 2010

नेलसन मंडेला की प्रपौत्री की दुर्घटना में मृत्यु


विश्व कप शुरू होने के ठीक पहले नेलसन मंडेला की प्रपौत्री की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई।  हालांकि यह खबर एक व्यक्तिगत क्षति और शोक की खबर है, पर इसके कारण मंडेला विश्वकप के उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं ले पाए। 

Mandela great-granddaughter killed in crash - Africa, World - The Independent