यह हिन्दी के किसी नए अखबार का विज्ञापन लगता है। हर नया अखबार नए सोच के साथ आगे बढ़ने का दावा करता है। पुराने अखबार इस नए सोच के साथ खुद को रिलांच कर रहे हैं। नरेन्द्र मोदी इस नए सोच को भुनाना चाहते हैं। इसमें कोई दिक्कत नहीं, बल्कि तेजी से बढ़ते मध्य वर्ग और युवा जनसंख्या को देखते हुए यह सही रास्ता है। पर सिर्फ नई सोच और नई उम्मीद कहने से काम चल जाए तो सबका यही नारा हो जाएगा। नारा लगाने वाले को बताना होगा कि उसका मतलब क्या है।
नरेन्द्र मोदी इस रविवार को हैदराबाद में रैली करके एक प्रकार से अपना अभियान शुरू करने जा रहा हैं। उनके इस कार्यक्रम के होर्डिंगों की थीम है नई सोच। मोदी की नवभारत युवा भेरी के होर्डिंग काफी सादा, सीधे और साफ हैं। आमतौर पर भाजपा के पोस्टर तमाम नेताओं की तस्वीरों से भरे होते हैं और उनपर राष्ट्रवाद का मुलम्मा चढ़ा होता है। मोदी की एप्रोच राष्ट्रवादी है, पर ट्रीटमेंट कंटेम्परेरी है। यानी आधुनिक। फिलहाल यह रैली आने वाले विधानसभा चुनावों की आहट दे रही है, पर इससे मोदी की प्रचार नीति पर रोशनी पड़ेगी। अभी यह शुरुआती होर्डिंग है। पता लगा है कि यह होर्डिंग भाजपा की हैदराबाद इकाई की ओर से नहीं लगाया या है, बल्कि दिल्ली वालों ने लगवाया है।
नरेन्द्र मोदी इस रविवार को हैदराबाद में रैली करके एक प्रकार से अपना अभियान शुरू करने जा रहा हैं। उनके इस कार्यक्रम के होर्डिंगों की थीम है नई सोच। मोदी की नवभारत युवा भेरी के होर्डिंग काफी सादा, सीधे और साफ हैं। आमतौर पर भाजपा के पोस्टर तमाम नेताओं की तस्वीरों से भरे होते हैं और उनपर राष्ट्रवाद का मुलम्मा चढ़ा होता है। मोदी की एप्रोच राष्ट्रवादी है, पर ट्रीटमेंट कंटेम्परेरी है। यानी आधुनिक। फिलहाल यह रैली आने वाले विधानसभा चुनावों की आहट दे रही है, पर इससे मोदी की प्रचार नीति पर रोशनी पड़ेगी। अभी यह शुरुआती होर्डिंग है। पता लगा है कि यह होर्डिंग भाजपा की हैदराबाद इकाई की ओर से नहीं लगाया या है, बल्कि दिल्ली वालों ने लगवाया है।