Tuesday, September 28, 2021

जर्मनी में सोशल डेमोक्रेट सबसे आगे, पर सरकार गठबंधन की बनेगी


 रविवार को हुए जर्मनी के चुनाव में देश की सबसे पुरानी सोशल डेमोक्रेट पार्टी (एसपीडी) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आई है, पर उसे सरकार बनाने के लिए गठबंधन करना होगा। शुरुआती परिणामों के आधार पर माना जा रहा है कि सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट्स ने मामूली अंतर से चांसलर अंगेला मैैर्केल की पार्टी को देश के संघीय चुनावों में हरा दिया है। एसपीडी ने 25.7% वोट हासिल किए हैं, वहीं सत्तारुढ़ कंजर्वेटिव गठबंधन सीडीयू-सीएसयू ने 24.1% वोट हासिल किए हैं। जर्मन रेडियो के अनुसार चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू-सीएसयू ने चुनावों में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है।

बीबीसी हिन्दी के अनुसार ग्रीन्स पार्टी ने अपने इतिहास में सबसे बड़ा परिणाम हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर क़ब्ज़ा किया है और 14.8% वोट हासिल किए हैं। सरकार बनाने के लिए अब एक गठबंधन ज़रूर बनाना होगा। शुरुआती परिणामों में बढ़त बनाने के बाद एसपीडी के नेता ओलाफ शॉल्त्स ने पहले कहा था कि उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलेगा और वह सरकार बनाएगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या इससे देश में अस्थिरता का माहौल बनेगा, उन्होंने कहा हमारे यहाँ लम्बे अरसे से गठबंधन सरकारें ही बनती आ रही हैं। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी 2005 के बाद पहली बार सत्ता में आ सकती है।

एक्ज़िट पोल्स में भविष्यवाणी की गई थी कि चुनाव में कुछ भी परिणाम आ सकते हैं और यह चुनाव शुरुआत से ही अप्रत्याशित था और इसका परिणाम भी इस कहानी को ख़त्म करने नहीं जा रहा है। यह भी याद रखना होगा कि जब तक गठबंधन नहीं बन जाता तब तक चांसलर अंगेला मर्केल कहीं जाने वाली नहीं हैं। नए गठबंधन को क्रिसमस तक का इंतज़ार करना होगा। मर्केल पहले ही कह चुकी हैं कि मुझे चांसलर नहीं बनना।

नए चांसलर के आगे यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को अगले चार साल में आगे ले जाने की चुनौती होगी। साथ ही साथ जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे भी सामने हैं जो मतदाताओं के एजेंडे में टॉप पर था। परिणामों को देखकर कहा जा सकता है कि सोशल डेमोक्रेट्स और कंजर्वेटिव में कोई एक विजेता नहीं है, बल्कि अब दो किंगमेकर ग्रीन्स और लिबरल (व्यापार समर्थक एफडीपी) ज्यादा महत्वपूर्ण बनकर उभरे हैं, क्योंकि सरकार बनाने के लिए उनके समर्थन की ज़रूरत पड़ेगी। ग्रीन्स की नेता अनालेना बेयरबॉक जर्मनी को क़र्ज़ से छुटकारा दिलाना चाहती हैं। एफडीपी नेता क्रिश्टियान लिंडनर टैक्स बढ़ाने और क़र्ज़ से मुक्ति के विचार पर काम कर रही हैं। लिबरल्स और ग्रीन्स ने एक चौथाई वोट हासिल किए हैं और दोनों बड़ी पार्टियों को अपनी शर्तें मनवाने पर मजबूर कर सकती हैं।

30 साल से कम आयु के लोगों के बीच ये दोनों पार्टियां किसी भी मुख्य पार्टी से अधिक लोकप्रिय हैं, लेकिन इन दोनों को साथ लाने के लिए कुछ विचारों को इनके सामने रखना होगा। कई संभावित गठबंधन हो सकते हैं। ग्रीन्स और लिबरल्स के बीच गठबंधन होने की बहुत संभावना है, लेकिन कई और गठबंधन भी हो सकते हैं। ऐसा पहली बार है जब जर्मनी तीन तरफ़ा गठबंधन की ओर देख रहा है। यह देश एक नए राजनीतिक युग में पहुंच गया है और अभी बातचीत शुरू होना बाकी है। अंतरिम नतीजों से साफ है कि सरकार एसपीडी या सीडीयू-सीएसयू के नेतृत्व में ही बनेगी। ग्रीन पार्टी के साथ कारोबार समर्थक एफडीपी पार्टी किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है जिसे 11.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं। । 

संसद की स्थिति

जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में 598 सीटें हैं, जिनमें 299 पर चुनाव क्षेत्रों में सीधे निर्वाचन से होता है। चुनाव में हर मतदाता दो वोट डालता है पहला वोट पसंदीदा स्थानीय उम्मीदवार को जाता है जबकि दूसरा वोट पार्टी को दिया जाता है। बहुत से लोगों अपने दोनों वोट दो अलग-अलग पार्टियों को भी देते हैं। यानी हो सकता है कि स्थानीय स्तर पर आपको किसी और पार्टी का उम्मीदवार पसंद हो और राष्ट्रीय स्तर पर किसी दूसरी पार्टी की नीतियां आपको अच्छी लगती हों।

संसद में कितनी सीटें होंगी, यह मतदाताओं के दूसरे वोट पर निर्भर करता है। चुनाव में पांच प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टियों को उनके वोट के अनुपात में संसद में सीटें मिलती हैं। यदि कोई पार्टी उसे मिलने वाले वोटों की तुलना में ज्यादा सीटें सीधे जीत जाती है तो वह उन सीटों को रख सकती है लेकिन दूसरी पार्टियों को उसी अनुपात में अतिरिक्त सीटें मिल जाती है। इसे ओवरहैंग मैंडेट कहते हैं जिसकी वजह से संसद की सीटें बढ़ती घटती रहती है। इस बार की संसद लोकतांत्रिक जर्मनी के इतिहास सबसे बड़ी संसद होगी।

सम्भावनाएं

चांसलर अंगेला मैर्केल की कंजर्वेटिव सीडीयू-सीएसयू पार्टी का रंग काला माना जाता है। वहीं मध्यमार्गी वामपंथी पार्टी एसपीडी का प्रतीक लाल रंग है। कारोबारी समर्थक पार्टी एफडीपी को पीले रंग से दर्शाया जाता है जबकि पर्यावरण के लिए खास तौर से सक्रिय ग्रीन पार्टी का रंग हरा है। जर्मन मीडिया में इन पार्टियों के मेल से बनने वाले अलग-अलग संभावित गठबंधनों को खास नामों से पुकारा जाता है।

एसपीडी के चांसलर उम्मीदवार ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है कि उनकी पार्टी को बहुत सारे लोगों ने वोट दिया है और वे सरकार में बदलाव जाते हैं। इसके विपरीत सीडीयू-सीएसयू के चांसलर पद के उम्मीदवार आर्मिन लाशेट ने पार्टी को चुनावों में हुए भारी नुकसान के बावजूद सरकार बनाने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि वह यूनियन पार्टियों के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए सारे प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि अब भविष्य के गठबंधन की जरूरत है और चांसलर वही होगा जो विरोधाभासों को जोड़ने में कामयाब हो। उनकी बिरादर पार्टी सीएसयू के नेता बवेरिया के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर ने आर्मिन लाशेट का समर्थन करते हुए कहा कि मतदाताओं ने वामपंथी गठबंधन को ठुकरा दिया है और मध्यमार्गी गठबंधन को समर्थन दिया है।

सीडीयू-सीएसयू की कोशिश ग्रीन पार्टी और बिजनेस फ्रेंडली फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के साथ गठबंधन बनाने की है। एफडीपी के नेता क्रिश्टियान लिंडनर चुनाव नतीजों को मध्यमार्गी पार्टियों की जीत बताया है और कहा है कि राजनीतिक केंद्र मजबूत हुआ है जबकि हाशिए की पार्टियां कमजोर हुई हैं। उन्होंने कहा कि जनादेश मध्यमार्गी सरकार बनाने के लिए है। इसे सीडीयू-सीएसयू के पक्ष में दिया गया बयान माना जा सकता है।

ग्रीन पार्टी की चांसलर उम्मीदवार अनालेना बेयरबॉक ने स्वीकार किया है कि पार्टी अपना चुनावी लक्ष्य हासिल करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी अगुआ राजनीतिक ताकत के रूप में देश को गढ़ना चाहती थी, "हम ज्यादा चाहते थे लेकिन इसे हासिल नहीं कर पाए, चुनाव प्रचार के शुरू में अपनी गलतियों के कारण, मेरी अपनी गलती के कारण।" ग्रीन पार्टी के सह अध्यक्ष रोबर्ट हाबेक ने कहा है कि उनकी पार्टी सीडीयू-सीएसयू या एसपीडी दोनों के साथ गठबंधन में जा सकती है।

धुर दक्षिणपंथी एएफ़डी पार्टी के संघीय प्रवक्ता यॉर्ग मॉयथेन ने स्वीकार किया कि उन्हें कोई बड़ी जीत नहीं मिली, लेकिन हार भी नहीं है। वामपंथी डी लिंके पार्टी के प्रमुख उम्मीदवार डीटमार बार्च ने नतीजों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ओलाफ शॉल्त्स और आर्मिन लाशेट में हुए ध्रुवीकरण ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने पार्टी के कमजोर प्रदर्शन पर गहन मंथन करने की मांग की।

 

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