सीबीआई की विशेष अदालत के
फैसले से क्या निष्कर्ष निकालें कि टू-जी घोटाला हुआ ही नहीं था? या अभियोजन पक्ष घोटाला
साबित नहीं कर पाया? इधर लालू यादव को चारा घोटाले से जुड़े एक और मामले में
दोषी पाया गया है। आपराधिक मामलों को राजनीतिक मोड़ कैसे दिया जाता है, वह इस मामले में देखें। उनके समर्थकों ने उन्हें नेलसन मंडेला घोषित कर दिया है। कांग्रेस पार्टी ने भी लालू का समर्थन जारी रखने का फैसला किया है।उधर डीएमके ने ए राजा का शॉल पहनाकर अभिनंदन करना शुरू कर दिया है। लगता है उन्होंने कोई बड़ा पवित्र कार्य कर दिया है। अनुभव बताता है कि हमारे देश में जब कोई बड़ा आदमी फँसता है तो पूरी कायनात उसे बचाने को व्याकुल हो जाती है।
इसके विपरीत टू-जी फैसले के कुछ दिन पहले दिल्ली की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने कोयला
घोटाले का फैसला सुनाया था। इसमें कोयला झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को
तीन साल की सजा सुनाई गई। कोड़ा के अलावा पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य
सचिव अशोक कुमार बसु और एक अन्य को आपराधिक षडयंत्र और धारा 120 बी के तहत दोषी
माना गया और तीनों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है। सच यह है कि इसमें फँसे लोग राजनीति के लिहाज से कम प्रभावशाली हैं। उनसे छोटे लोग और आसानी से सिस्टम में फँसते हैं और सबसे छोटे लोग देश की जेलों के आम-निवासी हैं।