प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
शनिवार, 13 जुलाई, 2013 को 13:55 IST तक के समाचार
नरेन्द्र मोदी भारत के ध्रुवीकारी नेताओं में सबसे आगे हैं, इसे मान लिया जाना चाहिए. उनका समर्थन और विरोध लगभग समान आक्रामक अंदाज़ में होता है. इस वजह से उन्हें ख़बरों में बने रहने के लिए अब कुछ नहीं करना पड़ता.
ख़बरों को उनकी तलाश रहती है. इसमें आक्रामक समर्थकों से ज़्यादा उनके आक्रामक विरोधियों की भूमिका होती है.
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दूसरी बात यह कि उनसे जुड़ी हर बात घूम फिर कर सन 2002 पर जाती है. रॉयटर्स के रॉस कॉल्विन और श्रुति गोत्तीपति का पहला सवाल इसी से जुड़ा था. वे जानना चाहते थे कि नरेन्द्र मोदी को क्या घटनाक्रम पर कोई पछतावा है.
पिल्ले का रूपक
मोदी का वही जवाब था जो अब तक देते रहे हैं. उनका कहना था, "फ्रस्टेशन तब आएगा जब मैने कोई ग़लती की होगी. मैंने कुछ ग़लत किया ही नहीं."
साफ़ है की मोदी की दृष्टि में गुजरात के दंगों में मरे इंसानों की अहमियत गाडी के नीचे मरे कुत्ते से ज्यादा नहीं।
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