आरटीआई पर पार्टियों ने लगाया 'पाखंड का पर्दा'
प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
गुरुवार, 6 जून, 2013 को 07:23 IST तक के समाचार
भारत के मुख्य सूचना आयोग की पूर्ण बेंच ने छह राजनीतिक दलों को क्लिक करेंसूचना के अधिकार के दायरे में लाकर उस वैश्विक प्रवृत्ति की ओर कदम बढ़ाया है, जिसका उद्देश्य लोकतंत्र को पारदर्शी बनाना है.
पर प्रतिक्रिया में लगभग सभी दलों ने कहा है कि हम सरकारी संस्था नहीं हैं. यानी वे इसके मर्म से बचते हुए तकनीकी पहलुओं पर ज्यादा बात कर रहे हैं.
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दुनिया के 70 से ज़्यादा देशों में नागरिकों को जानकारी पाने का अधिकार है. इनमें से 19 देशों में इस अधिकार का दायरा निजी संस्थाओं तक है.
मसलन दुनिया भर में दवा बनाने वाली कंपनियाँ अपनी दवाओं की बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरों की मदद लेती है. यह बात मरीज़ के हितों के खिलाफ जाती है.
डॉक्टर और मरीज़ का रिश्ता
अमरीका में कानूनी व्यवस्थाओं के तहत 15 कंपनियों ने इस जानकारी को सार्वजनिक करना शुरू किया है. फिजिशियंस पेमेंट सनशाइन ऐक्ट का उद्देश्य मरीज़ और इलाज़ करने वालों के बीच हितों के टकराव को साफ करने के लिए पारदर्शिता कायम करना है.
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ReplyDeletedefinitily RTI issue will reveal the real face of Political parties. But the question remain unchanged that how much public understand it.Will public come forward with Anna 2.0 in next oct.2013..???
सब खरे खोटे सामने आ जायेंगें इस बात का ही तो डर है.कल्पना कीजिये कि यह दल जो अपने गलत कारनामे सामने आने के डर से जनता के सामने अपने को साफ़ सुथरा नहीं दिखा सकते ( अगर वे साफ़ हैं ) तो हमें कुआ साफ़ सुथरा शासन व सरकार देंगे, व इनसे क्या उम्मीद भी करें.
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