प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के चुनाव-घोषणापत्र जो तीखा हमला बोला, वह कई मायनों में विस्मयकारी है। प्रतिस्पर्धी पार्टी के घोषणापत्र की आलोचना एक बात होती है, पर इस घोषणापत्र पर उन्होंने मुस्लिम लीग की छाप बताकर बहस का एक आधार तैयार कर दिया है। यह मुद्दा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठाया। सबसे पहले मेरठ की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप है। उन्होंने कहा कि जो चीजें बच गई थीं उनपर वामपंथी हावी हो गए। अलग-अलग राज्यों में हुई चुनावी रैलियों में भी प्रधानमंत्री ने यह मुद्दा उठाया। चुनाव के समय संजीदा और गैर-संजीदा बातें एकसाथ उठती हैं और साथ-साथ ही भुला दी जाती हैं। यह चर्चा भी दो-चार दिन तक चली और फिर गायब हो गई। यों भी चुनाव घोषणापत्र किसी को याद नहीं रहते।
कांग्रेस पार्टी के आर्थिक-कार्यक्रमों में टॉमस पिकेटी, क्रिस्तॉफ जैफ्रेलो और ज्याँ द्रेज़ जैसे विशेषज्ञों के विचार भी दिखाई पड़ रहे हैं। राहुल गांधी खुद को सबसे बड़ा वामपंथी साबित करना चाहते हैं। हाल के वर्षों में कांग्रेस पार्टी की सरकार की सबसे बड़ी भूमिका 1991 के आर्थिक सुधारों के रूप में रही है। पार्टी अब पहिया उल्टी दिशा में घुमाने को आतुर है। पश्चिमी देशों के विशेषज्ञ सायास या अनायास हिंदू समाज-व्यवस्था पर हमले बोल रहे हैं और जो सुझाव दे रहे हैं, उनसे सामाजिक-व्यवस्था के विखंडन का खतरा पैदा हो रहा है।