इतना स्पष्ट है
कि अमेरिकी जनता और प्रशासन इस महामारी के बाद बहुत बड़े फैसले करेगा. दूसरे
विश्वयुद्ध के बाद भी वैश्विक राजनीति में इतने बड़े बदलाव नहीं आए होंगे, जितने अब आ सकते हैं. इस नए भूचाल का केंद्र चीन बनेगा. इसका
असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार
इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल मंदी में चली जाएगी. इस रिपोर्ट
के अनुसार भारत और चीन इसके अपवाद हो सकते हैं,
पर दुनिया के
देशों को खरबों डॉलर का नुकसान होगा.
Friday, April 3, 2020
दुनिया का गुस्सा अब चीन पर फूटेगा
Tuesday, March 31, 2020
क्या तालिबानी हौसले फिर बुलंद होंगे?
पिछली 29 फरवरी को दोहा में अमेरिका, अफ़ग़ान सरकार और तालिबान के बीच
हुए क़तर दोहा में
हुए समझौते में इतनी सावधानी बरती गई है कि उसे कहीं भी 'शांति समझौता' नहीं लिखा गया है। इसके बावजूद इसे दुनियाभर में शांति समझौता कहा जा रहा है।
दूसरी तरफ पर्यवेक्षकों का मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान अब एक नए अनिश्चित दौर में
प्रवेश करने जा रहा है। अमेरिका की दिलचस्पी अपने भार को कम करने की जरूर है, पर
उसे इस इलाके के भविष्य की चिंता है या नहीं कहना मुश्किल है।
फिलहाल इस समझौते का एकमात्र उद्देश्य अफ़ग़ानिस्तान में
तैनात 12,000 अमेरिकी सैनिकों की वापसी तक सीमित नज़र आता है। यह सच है कि इस
समझौते के लागू होने के बाद अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई का अंत हो जाएगा, पर क्या
गारंटी है कि एक नई लड़ाई शुरू नहीं होगी? मध्ययुगीन
मनोवृत्तियों को फिर से सिर उठाने का मौका नहीं मिलेगा? दोहा में धूमधाम से हुए समझौते ने तालिबान को
वैधानिकता प्रदान की है। वे मान रहे हैं कि उनके मक़सद को पूरा करने का यह सबसे
अच्छा मौक़ा है। वे इसे अपनी ‘विजय’ मान रहे हैं।
Monday, March 30, 2020
पास-पड़ोस का पहला मददगार भारत
भले ही दुनिया
राजनीतिक कारणों से एक-दूसरे की दुश्मन बनती हो, पर प्राकृतिक आपदाएं हमें जोड़ती
हैं। ऐसा सुनामी के समय देखा गया, समुद्री तूफानों का यही
अनुभव है और अब कोरोनावायरस का भी यही संदेश है। भारत इस आपदा का सामना कर रहा है,
पर इसके विरुद्ध वैश्विक लड़ाई में भी बराबर का भागीदार है। इस सिलसिले में नवीनतम
समाचार यह है कि भारत कोरोनावायरस के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के
नेतृत्व में तैयार की जारी औषधि के विकास में भी भागीदार है।
इस सहयोग की
शुरुआत अपने पास-पड़ोस से होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 मार्च को सार्क
देशों से अपील की थी कि हमें मिलकर काम करना चाहिए। इसकी पहल के रूप में उन्होंने
शासनाध्यक्षों के बीच एक वीडियो कांफ्रेंस का सुझाव दिया। अचानक हुई इस पेशकश पर इस
क्षेत्र के सभी देशों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी, केवल पाकिस्तान की हिचक थी।
उसकी ओर से फौरन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, पर बाद में कहा गया कि
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के स्वास्थ्य संबंधी विशेष सलाहकार डॉक्टर ज़फ़र मिर्ज़ा
इसमें शामिल होंगे।
वीडियो कांफ्रेंस
से शुरुआत
इस वीडियो
कांफ्रेंस में नरेंद्र मोदी के अलावा श्रीलंका के राष्ट्रपति गौतबाया राजपक्षे, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलिह, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और अफगानिस्तान के
राष्ट्रपति अशरफ गनी शामिल हुए। नेपाल के प्रधानमंत्री ने तो खराब स्वास्थ्य के
बावजूद इसमें हिस्सा लिया। संकट अभी बना हुआ है, कोई
यह बताने की स्थिति में नहीं है कि कब तक रहेगा, पर इतना कहा जा सकता है कि इस
आपदा ने भारत की सकारात्मक भूमिका को रेखांकित जरूर किया है।
Sunday, March 29, 2020
इस त्रासदी का जिम्मेदार चीन
अमेरिका के
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर कोरोना वायरस को लेकर चीन की
तरफदारी का आरोप लगाया है। उधर अमेरिकी सीनेटर मार्को रूबियो और कांग्रेस सदस्य माइकल मैकॉल
कहा कि डब्ल्यूएचओ के निदेशक टेड्रॉस एडेनॉम गैब्रेसस की निष्ठा और चीन के साथ
उनके संबंधों को लेकर अतीत में भी बातें उठी हैं। एक और अमेरिकी सांसद ग्रेग स्टीव
का कहना ही कि डब्ल्यूएचओ चीन का मुखपत्र बन गया है। ट्रंप ने कहा है कि इस
महामारी पर नियंत्रण पाने के बाद डब्ल्यूएचओ और चीन दोनों को ही इसके नतीजों का
सामना करना होगा। पर चीन इस बात को स्वीकार नहीं करता। उसके विदेश विभाग के
प्रवक्ता झाओ लिजियन ने ट्विटर पर कुछ सामग्री पोस्ट की है, जिसके अनुसार अमेरिकी
सेना इस वायरस की ईजाद की है।
अमेरिका में ही
नहीं दुनिया के तमाम देशों में अब कोरोना को ‘चीनी वायरस’ बताया जा रहा है। डब्लूएचओ के नियमों के अनुसार बीमारियों के नाम देशों के
नाम पर नहीं रखे जाने चाहिए। खबरें हैं कि कोरोना मामले को संयुक्त राष्ट्र
सुरक्षा परिषद में उठाने की कोशिशें भी हो रही हैं, जिनका चीन ने विरोध किया है। इस
सिलसिले में चीन ने भारत से भी सम्पर्क साधा है। चीनी विदेशमंत्री वांग यी ने
पिछले सप्ताह भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर के साथ फोन पर बात की और राजनयिक
समर्थन माँगा। भारत ने खुद को इस विवाद से फिलहाल अलग रखा है और केवल वायरस से
लड़ने के लिए विश्व समुदाय के सहयोग की कामना की है, पर आने वाले समय में यह विवाद
बढ़ेगा।
Friday, March 27, 2020
‘सोशल डिस्टेंसिंग’ यानी हमारी परीक्षा की घड़ी
कोरोना वायरस के
बढ़ते खतरे के कारण देश में लॉकडाउन के साथ लोगों को ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का पालन करने की सलाह भी दी गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने कहा है कि ये नियम मुझपर भी लागू होते हैं. बुधवार को प्रधानमंत्री आवास
पर बुलाई गई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्री करीब एक-एक मीटर की दूरी पर
बैठे. विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुसार सोशल
डिस्टेंसिंग यानी रोजमर्रा के कार्य-व्यवहार में हम एक-दूसरे से कम से कम एक मीटर
या तीन फुट की दूसरी बनाकर रखें.
कैबिनेट बैठक के अलावा गुजरात की कुछ दुकानों की तस्वीरें
भी सोशल मीडिया पर वायरल हुईं हैं, जिनमें दुकानदारों ने एक-एक मीटर की दूरी पर
गोले बना दिए हैं. ग्राहकों से कहा गया है कि वे उनके भीतर खड़े रहें और जब उनसे
आगे वाला बढ़े, तो उसकी जगह ले लें. हालांकि करीब एक अरब 30 करोड़ लोगों के देश
में इस किस्म के अनुशासन को स्थापित कर पाना आसान नहीं है, पर जब उन्हें लगेगा कि
जान पर बन आई है, तो वे इसे स्वीकार भी करेंगे.
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