प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन की
दो-तीन खास बातों पर गौर करें तो पाएंगे कि वे 2019 के चुनाव से आगे की बातें कर
रहे हैं. यह राजनीतिक भाषण है, जो सपनों को जगाता है. इन सपनों की रूपरेखा 2014 के
स्वतंत्रता दिवस संबोधन में और जून 2014 में सोलहवीं संसद के पहले सत्र में
राष्ट्रपति के अभिभाषण में पेश की गई थी.
मोदी ने 2014 में अपने जिन कार्यक्रमों की घोषणा की थी,
अब उन्होंने उनसे जुड़ी उपलब्धियों को गिनाना शुरू किया है. वे इन उपलब्धियों को
सन 2022 से जोड़ रहे हैं. इसके लिए उन्होंने सन 1942 की ‘अगस्त क्रांति’ से 15 अगस्त 1947 तक स्वतंत्रता-संकल्प को
रूपक की तरह इस्तेमाल किया है.
हालांकि मोदी के संबोधन में ध्यान देने लायक बातें कुछ
और भी हैं, पर लोगों का ध्यान जम्मू-कश्मीर को लेकर कही गई कुछ बातों पर खासतौर से गया है.
कश्मीरी
लोग हमारे हैं, बशर्ते...