1965 में केंद्र सरकार ने दक्षिण भारत के राज्यों को आश्वासन दिया था कि अब अंग्रेजी अनंतकाल तक हिंदी के साथ भारत की राजभाषा बनी रहेगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को यदि दक्षिण भारतीय जनमत का प्रतिनिधि माना जाए, तो नई माँग यह है कि 2026 के बाद लोकसभा की सीटों का परिसीमन 30 साल तक के लिए ‘फ़्रीज़’ कर दिया जाए। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आज 5 मार्च को इस विषय पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें 2026 में प्रस्तावित संसदीय निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन प्रक्रिया को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने इस लड़ाई को अन्य दक्षिणी राज्यों तक बढ़ाने की माँग करते हुए कहा कि परिसीमन तमिलनाडु को 'कमजोर' करेगा और 'भारत के और ‘भारत के संघीय ढाँचे के लिए खतरा’ होगा।
इस बैठक में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम, अखिल भारतीय द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम, कांग्रेस, विदुथलाई चिरुथिगल काची, तमिलगा वेत्री कषगम और कम्युनिस्ट पार्टियों सहित राजनीतिक दलों ने भाग लिया। भारतीय जनता पार्टी और नाम तमिलार काची और तमिल मानीला कांग्रेस ने इस बैठक का बहिष्कार किया।
बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार, आगामी जनगणना के आँकड़ों के आधार पर परिसीमन, विशेष रूप से तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व अधिकारों को प्रभावित करेगा।…तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों का संसदीय प्रतिनिधित्व केवल इसलिए कम करना पूरी तरह से अनुचित है क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीय हित में जनसंख्या नियंत्रण उपायों को सक्रिय रूप से लागू किया है।
सर्वदलीय बैठक में यह भी संकल्प लिया गया कि 1971 की जनगणना के आधार पर परिसीमन पर रोक को, जो ‘2026 तक के लिए है, निकट भविष्य के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।’ बैठक में अपने संबोधन में स्टालिन ने कहा कि ‘यथास्थिति कम से कम तीन दशकों तक जारी रहनी चाहिए।’ सर्वदलीय बैठक में तमिलनाडु के विभिन्न राजनीतिक दलों की एक संयुक्त कार्रवाई समिति (जॉइंट एक्शन कमेटी) गठित करने का भी संकल्प किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह कमेटी अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों के राजनीतिक दलों को ‘परिसीमन के खिलाफ लड़ाई’ में शामिल होने का निमंत्रण देगी।
अपने संबोधन में स्टालिन ने कहा कि दक्षिणी राज्यों को जनसंख्या के आधार पर परिसीमन का “सामूहिक रूप से विरोध” करना चाहिए । उन्होंने कहा कि संसद में 39 सांसदों वाले तमिलनाडु की आवाज़ को केंद्र अब भी नहीं सुनता है।
स्टालिन ने पहले कहा था कि अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन लागू किया जाता है तो तमिलनाडु के सांसदों की संख्या 39 से घटकर 31 रह जाएगी। बुधवार को उन्होंने कहा, संसदीय सीटों की संख्या बढ़ाकर 848 कर दी जाती है, तो तमिलनाडु को 22 अतिरिक्त सीटें मिलनी चाहिए। लेकिन अगर परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होगा, तो हमें केवल 10 सीटें मिलेंगी, जिससे 12 सीटें कम हो जाएंगी। किसी भी स्थिति में, तमिलनाडु की आवाज़ दबा दी जाएगी।
बैठक में स्टालिन के बाद कई नेताओं ने बात की और परिसीमन का विरोध करने के फैसले पर अपनी सहमति व्यक्त की। अन्नाद्रमुक का प्रतिनिधित्व करते हुए पूर्व मंत्री डी जयकुमार ने कहा, तमिलनाडु की संसदीय सीटों को तमिलनाडु के लोगों के समान प्रतिनिधित्व के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए। एआईएडीएमके हमेशा जनसंख्या के आधार पर परिसीमन के खिलाफ खड़ी रही है और हम आज भी उसी मुद्दे पर खड़े हैं।
अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने कहा कि परिसीमन का असर सभी दक्षिणी राज्यों पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि भाजपा ‘हिंदिया बनाना चाहती है’, यह तंज केंद्र सरकार के इस आग्रह पर निशाना साधते हुए किया गया कि तमिलनाडु को तीन-भाषा फॉर्मूला लागू करना चाहिए। डीएमके समेत कई पार्टियों के अनुसार, त्रिभाषा फॉर्मूला तमिल छात्रों पर ‘हिंदी थोपेगा’ जो इस समय सिर्फ दो भाषाएं-तमिल और अंग्रेजी-पढ़ते हैं।
इस बीच, प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई की अगुआई में भाजपा ने इस बैठक को ‘मज़ाक’ बताया। अन्नामलाई ने कहा, ‘दक्षिणी राज्यों पर परिसीमन का डर काल्पनिक है।’
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